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Mohan Bhagwat ने उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं को लेकर जताई चिंता

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत आर्थिक रूप से प्रगति कर रहा है लेकिन उसकी पश्चिमी और उत्तरी सीमाएं इतनी सुरक्षित नहीं हैं कि लोग शांति से सो सकें। मोहन भागवत ने किसी देश का नाम नहीं लिया। लेकिन उनका परोक्ष इशारा पाकिस्तान और चीन की ओर माना जा रहा है।

भागवत ने अहमदाबाद में आरएसएस के एक कार्यक्रम में कहा, आज हमारा देश प्रगति कर रहा है। इसकी साख, महत्व और संपदा भी बढ़ रही है। लोगों के बीच देशभक्ति का प्रसार साफ दिखाई दे रहा है और यही कारण है कि हमें जी20 का नेतृत्व (अध्यक्षता) मिला है।

हालांकि, कई चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा, हमारी पश्चिमी और उत्तरी सीमाएं इतनी सुरक्षित नहीं हैं कि हम शांति से सो सकें। हमारे जवानों को चौकन्ना रहना होगा और हमें (नागरिकों को) भी चौकन्ना रहना होगा। संघ प्रमुख ने कहा कि निहित स्वार्थ वाले कुछ लोग कई तरीकों से भारत को कलंकित करने का प्रयास कर रहे हैं।

और जब हम प्रगति कर रहे हैं तो ऐसी ताकतों से बौद्धिक लड़ाई लड़ने की जरूरत है। भागवत के इस बयान को राहुल गांधी पर हमला भी माना जा रहा है क्योंकि हाल ही में कांग्रेस नेता ने विदेश दौरे के दौरान भारत के खिलाफ बातें कही थीं।

इसके अलावा अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा, हमने आर्थिक रूप से प्रगति की है। लेकिन देश से गरीबी खत्म नहीं हुई है। हमें इन चुनौतियों से लड़ना होगा। भागवत ने कहा कि हमारे समाज को इन चुनौतियों से निपटने के लिए संगठित होना पड़ेगा।

इसके अलावा मोहन भागवत ने संविधान निर्माता बीआर आंबेडकर को याद करते हुए कहा कि भारतीयों को देश को आगे ले जाने के लिए जाति विभाजन के ‘दुष्चक्र’ से बाहर आने की जरूरत है। मोहन भागवत ने देश में विभिन्न जातियों और संप्रदायों के बीच एकता का भी संदेश दिया।

भागवत ने जीएमडीसी मैदान में ‘समाज शक्ति संगम’ नामक एक कार्यक्रम में लगभग 10,000 आरएसएस कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में विविध संस्कृतियां होने के बावजूद सभी भारतीयों का ‘डीएनए’ एक ही है।

उन्होंने आंबेडकर की 132वीं जयंती के अवसर पर कहा, आंबेडकर ने कहा था कि भारत विदेशियों से इसलिए नहीं हारा क्योंकि वे मजबूत थे। बल्कि हमने उन्हें अपने देश को चांदी की थाल में सजा कर पेश किया क्योंकि हम अपने मतभेदों के कारण आपस में लड़ते थे।

अन्यथा हमारी आजादी को कोई छीनने में सक्षम नहीं था। भागवत ने आंबेडकर के भाषणों का उल्लेख करते हुए कहा कि आंबेडकर ने इस बात पर जोर दिया था। कि मतभेदों के बावजूद भारतीयों को देश के लिए एकजुट रहने की जरूरत है।

आरएसएस प्रमुख ने कहा, आंबेडकर ने यह भी कहा था कि एक न्यायपूर्ण और समान समाज बनाए बिना, भारत राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता हासिल नहीं कर सकता है। इसे हासिल करने के लिए हमें अपने समाज से मतभेदों को खत्म करने की जरूरत है। हम अतीत में एक संयुक्त समाज थे। बाद में हमने इन जातियों और वर्गों का निर्माण किया।

जिससे हमारे बीच मतभेद पैदा हुए। उन्होंने कहा, अब मैं कह रहा हूं कि विदेशी ताकतों ने उस स्थिति का फायदा उठाया और इस दरार को और चौड़ा किया। हमें इस दुष्चक्र से बाहर आना होगा और एकजुट होना होगा। नहीं तो हम देश को आगे ले जाने के अपने सपनों को कैसे साकार करेंगे।

भागवत ने कहा, भारत में व्याप्त सभी विविधताओं को स्वीकार और उनका सम्मान करते हुए हमें यह ध्यान रखना होगा कि हम पहले भारत के हैं। भारतीय संस्कृति, कई लोग इसे हिंदू संस्कृति या सनातन संस्कृति कहते हैं। इसके कई नाम हैं। अलग-अलग भाषाएं, रीति-रिवाज या क्षेत्रीय पहचान होने के बावजूद हमारा डीएनए आखिरकार एक ही है।

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