
जितनी अधिक रजिस्ट्री किसी संपत्ति की होती हैं, उसी हिसाब से शुल्क बढ़ता जाता है। ऐसे में आवंटियों पर न केवल आर्थिक बोझ पड़ता है, बल्कि उनको LDA में महीनों चक्कर काटने के अलावा पूजा-पाठ और चढ़ावा भी चढ़ाना पड़ता है।
एलडीए के सचिव एमपी सिंह ने ऐसी ही पत्रवलियों पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि विधिक तौर पर फ्री-होल्ड संपत्ति का अंतिम नामांतरण LDA कर चुका है। इसके बाद उसकी रजिस्ट्री ही नामांतरण है। सामान्य ज्ञान और कानूनी तौर पर श्री सिंह जी की राय और मनतव्य एकदम सटीक है।
इसलिए इस मुद्दे पर विशेषज्ञ राय मांगी गई है। एमoपीo सिंह की टिप्पणी एकदम सटीक है। विशेषज्ञ राय से ज्यादा ये कॉमन सेन्स का मसला है। इसलिए हर हाल में ऐसे नामांतरण LDA द्वारा बंद किये जाने चाहिए।
राज्यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।