केजीएमयू ने विभाग के एचओडी को ही बना दिया सीएमएस, जानें क्या हैं नियम
लखनऊ। केजीएमयू में नेशनल मेडिकल काउंसिल की गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है। गाइडलाइन के अनुसार किसी विभाग अध्यक्ष को चिकित्सा अधीक्षक(एमएस) व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) नहीं बनाया जा सकता है।
लेकिन केजीएमयू में न्यूरो सर्जरी के एसओडी प्रोफेसर वीक ओझा को सीएमएस बनाया गया है। प्रॉक्टर प्रोफेसर क्षितिज श्रीवास्तव भी इसी विभाग के हैं। यह स्थिति तब है जब विभाग में मरीजों की सर्जरी के लिए लंबी वेटिंग है।
नहीं हो रहा पालन
केजीएमयू में पाठ्यक्रम चलाने में तो मेडिक काउंस आफ इंडिया (एमसीआई) की गाइडलाइन का पालन हो रहा है लेकिन अधिकारियों की तैनाती में मनमानी की जा रही है। एमसीआई की गाइडलाइन में स्पष्ट कहा गया है कि किसी विभाग के अध्यक्ष को सीएमएस बनाया जाएगा, ऐसा इसलिए किया गया है
जिससे मरीजों का इलाज प्रभावित न हो। यह दोनों पद प्रशासनिक है इनका काम नीति निर्धारण और सुविधाओं से संबंधित फैसला लेना है। जबकि विभाग अध्यक्ष की ओर से इससे संबंधित प्रस्ताव भेजे जाते हैं। विभाग अध्यक्ष व सीएमएस तथा एमएस एक ही व्यक्ति के होने से पक्षपात की आशंका बनी रहती है। इसलिए यह व्यवस्था की गई है।
क्या कहते हैं प्रवक्ता
केजीएमयू में एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायोकेमिस्ट समेत कई विभाग नॉन क्लीनिकल है। इसके बावजूद ज्यादातर क्लिनिक विभागों के चिकित्सकों को भी प्रशासनिक पदों के जिम्मेदारी दी गई है। इसे इलाज और सामान्य काम का दोनों प्रभावित होते हैं।
केजीएमयू के प्रवक्ता सुधीर सिंह ने बताया कि केजीएम में सभी काम नियमों के अनुसार किए जाते हैं। शिक्षक भी पूरी निष्ठा से जिम्मेदारी निभाते हैं। एनएमसी ने विभाग अध्यक्ष को एस और सीएमएस न बनाने का प्रावधान किया है, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं किया गया है।