कांवड़ियों के लिए आस्था का केंद्र हैं झारखंड चाकेश्वर महादेव का मंदिर
झारखंड चाकेश्वर महादेव मंदिर सैकड़ों सालों से कांवड़ियों की आस्था का केंद्र है। मंदिर में महाशिवरात्रि को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
शहर से दो किलोमीटर दूर जंगल में स्थित झारखंड चाकेश्वर महादेव मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही मन बरबस भक्तिमय हो जाता है। यहां एक ओर भगवान शिव की विशाल मूर्ति श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित करती है।
वहीं दूसरी ओर वर्षों पुराने मंदिर की छटा। यहां हर साल महाशिवरात्रि पर मेला लगता है। बड़ी संख्या में कांवड़िये हरिद्वार से गंगाजल लाकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं।
सलेमपुर गोसाई निवासी हितेश कुमार व देवराज सिंह पिछले 10 सालों से सोमवार को झारखंड चाकेश्वर महादेव मंदिर पर जलाभिषेक करते हैं। उन्होंने बताया कि पुराने लोगों से सुनते हैं, जहां अब भव्य मंदिर है, यहां पर कभी जंगल था।
चाकीखेड़ा का रकबा सलेमपुर गोसाई की रियासत के अधीन था। रियासत के कर्मचारी झाड़ियों की सफाई कर रहे थे। इसी दौरान एक कर्मचारी का फावड़ा शिवलिंग से टकराया। काफी खोदाई करने पर भी जमीन से निकले शिवलिंग का दूसरा छोर हाथ नहीं आया।
तब रियासत ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। झारखंड चाकेश्वर महादेव मंदिर करीब सैकड़ों वर्ष पुराना है। मंदिर की काफी मान्यता है। जनपद के अलावा अन्य जनपदों के कांवड़िए भी मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।