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दुर्लभ संयोग में मथुरा, वृंदावन और इस्कॉन मंदिर में 7 सितंबर को जन्माष्टमी

इस वर्ष भी जन्माष्टमी का त्योहार दो दिन मनाया जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। ऐसे में इस वर्ष अष्टमी तिथि 6 और 7 सितंबर दोनों ही दिन पड़ रही है। वैदिक पंचांग के अनुसार 6 सितंबर को अष्टमी तिथि दोपहर 3 बजकर 37 मिनट पर शुरू हो जाएगी और समापन 7 सितंबर को शाम 4 बजकर 14 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार जन्माष्टमी 7 सितंबर को वहीं तिथि और नक्षत्रों के संयोग से जन्माष्टमी 6 सितंबर को मनाने की सलाह दी जा रही है।

पंचामृत और माखन मिश्री
भगवान कृष्ण की पूजा में पंचामृत विशेष रूप से चढ़ाया जाता है। इसे गाय के दूध, दही, घी, शहद व शक्कर मिलाकर तैयार किया जाता है। इसका सेवन करने से कई तरह की बीमारियां और मानसिक विकार दूर होते हैं। वहीं भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री अत्यंत प्रिय है। जन्माष्टमी पूजन के समय आप भगवान को माखन मिश्री का भोग जरूर लगाएं।ऐसा करने से आपके रिश्ते मधुर बनेंगे व घर में सुख-समृद्धि का वास होगा।

बांसुरी
भगवान कृष्ण को बांसुरी बहुत ही प्रिय होती है। ऐसे में जन्माष्टमी के दिन एक बांसुरी लाएं और उस बांसुरी को भगवान श्री कृष्ण को अर्पित करने के बाद वह बांसुरी अपने बेडरूम में अपने बैड के पास रखें। ऐसा करने से आपका वैवाहिक जीवन सुखमय हो जाएगा। वही अगर घर का कोई सदस्य अक्सर बीमार रहता है तो दरवाज़े के ऊपर अथवा सिरहाने बांसुरी रखने से स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।

तुलसी
भगवान कृष्ण को तुलसी का पौधा बहुत ही प्रिय होता है। तुलसी को देवी लक्ष्मी का ही रूप माना गया है। जन्माष्टमी पर जिस भी चीज का भोग लगाएं उसमें तुलसी के पत्ते जरूर रखें। किसी कारणवश भोग न भी लग पाएं तो सिर्फ तुलसी के पत्ते चढ़ाने से भी कान्हा की कृपा के साथ लक्ष्मीजी की कृपा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती और भाग्य का साथ मिलता है।

मोरपंख
इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 6 और 7 सितंबर को मनाई जा रही है। जन्माष्टमी पर कई तरह के उपाय किए जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण को मोर मुकुटधारी भी कहते हैं। जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को मोरपंख भी अर्पित करना चाहिए। इसके बाद इस मोर पंख को अपनी तिजोरी में रख लें। इससे धन लाभ के योग बनते हैं साथ ही आर्थिक परेशानी भी दूर हो जाती है।

माधव
भगवान कृष्ण का एक नाम माधव भी है। माधव नाम के पीछ दो कथाएं सबसे ज्यादा प्रचलित है। वसंत ऋतु का ऋतुओं में वसंत के समान श्रेष्ठ होने के कारण कृष्ण का नाम माधव पड़ा है, वहीं त्रेतायुग में एक मधु नाम का राक्षस था और इस मधु का पुत्र यादवराज था। कान्हा के मधु के वंश में जन्म लेने कारण इन्हें माधव भी कहते हैं।

केशव
भागवत और गर्ग संहिता में कान्हा जी के स्वरूप का वर्णन मिलता है। भगवान कृष्ण का एक नाम केशव भी है। सुंदर केशों के कारण भगवान कृष्ण का नाम केशव रखा गया है। गोपियां और बृजवासी कान्हा के सुंदर केश के कारण उन्हें केशव कहकर बुलाते थे।

मधुसूदन
जिस तरह के मुर राक्षस के वध के कारण भगवान कृष्ण का एक नाम मुरारी पड़ा, उसी तरह मधु नाम के दैत्य के वध करने के कारण भगवान कृष्ण का नाम मधुसूदन पड़ा।

मुरारी
भगवान कृष्ण को मुरारी कहने के पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार महर्षि कश्यप और दिति की एक राक्षस पुत्र था। जिसका नाम मुरा था। राक्षस मुरा ने अपने बल और पराक्रम से स्वर्ग पर विजय हासिल कर ली थी। तब इंद्र समेत सभी देवता परेशान होकर भगवान कृष्ण से प्रार्थना की। इसके बाद भगवान कृष्ण और पत्नी सत्यभामा ने युद्ध में मुरा का वध कर दिया था और इंद्र को दोबारा से स्वर्ग लोक सिंहासन दिलवाया। मुरा राक्षस के अरि होने से भगवान कृष्ण का नाम मुरारी पड़ा। यहां अरि का अर्थ होता है शत्रु। शास्त्रों के अनुसार शुभ कार्यों में बिघ्न न पड़े इसलिए मुरारी का नाम जाप करना शुभ माना जाता है।

मथुरा, वृंदावन और इस्कॉन मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी कब?
हर वर्ष देशभर में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में बहुत हि उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी पर मथुरा, वृंदावन और इस्कॉन मंदिर में विशेष तरह के आयोजन किए जाते हैं। लेकिन इस साल अष्टमी तिथि दो दिन होने के कारण जन्माष्टमी का त्योहार 6 और 7 सितंबर दो दिन मनाई जा रही है। गृहस्थ लोगों के लिए जन्माष्टमी 6 सितंबर को जबकि वैष्णव संप्रदाय के लोगों के लिए 7 सितंबर को जन्माष्टमी है। मथुरा, वृंदावन और इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी 7 सितंबर को मनाई जाएगी।

आज कब से शुरू हो रही है अष्टमी तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार आज यानी 06 सितंबर 2023 को भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है। आज यह सप्तमी तिथि शाम 03 बजकर 36 मिनट तक रहेगी फिर इसके बाद अष्टमी तिथि लग जाएगी। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि बहुत ही खास मानी जाती है क्योंकि इस तिथि पर भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी तिथि पर भगवान कृष्ण के बाल गोपाल स्वरूप की विधिवत पूजा और जन्मोत्सव मनाया जाता है।

इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी पर दुर्लभ संयोग बना हुआ है। शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में मध्य रात्रि को हुआ था। इस वर्ष भी कृष्ण जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का योग है, जो एक बहुत ही दुर्लभ संयोग माना जा रहा है।

गर्ग संहिता के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म मां देवकी की कोख से भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, हर्षण योग और वृषभ लग्न में मध्य रात्रि को हुआ था।
विष्णु और ब्रह्रा पुराण के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी में उल्लेख मिलता है कि भगवान योगनिद्रा से कहते हैं कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि में मैं जन्म लूंगा।

7 सितंबर को वृंदावन, इस्कान और मथुरा में जन्माष्टमी
भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का यह पर्व 5250 वां कृष्ण जन्मोत्सव है। कुछ विद्वानों का मत है कि कृष्ण जन्माष्टमी तिथि और नक्षत्र के संयोग होने की वजह से 6 सितंबर की रात को मनानी चाहिए। वहीं द्वारिका, वृंदावन, मथुरा और इस्कान के मंदिरों में जन्माष्टमी 7 सितंबर को मनाई जा रही है।

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