
वेंटिलेटर पर भर्ती मरीजों की जान बचाना आसान: मॉलीक्यूलर टेस्ट फॉर बैक्टीरियल आईडेंटिफिकेशन एंड रजिस्टेंट पता लगाएगा बीमारी
केजीएमयू के क्रिटिकल केयर मेडिसिन (सीसीएम) विभाग में वेंटिलेटर पर भर्ती मरीजों की जान बचाना आसान हो गई है। मरीजों को किस बैक्टीरिया ने जकड़ा है। कौन सी एंटीबायोटिक के खिलाफ मरीज में रजिस्टेंट है? इसका पता महज छह घंटे में चल सकेगा। विभाग में मॉलीक्यूलर टेस्ट फॉर बैक्टीरियल आईडेंटिफिकेशन एंड रजिस्टेंट जांच शुरू हो गई है।
यह जानकारी गुरुवार को सीसीएम के विभागाध्यक्ष डॉ. अविनाश अग्रवाल ने पत्रकार वार्ता में दी। डॉ. अविनाश अग्रवाल ने बताया कि आईसीयू व वेंटिलेटर पर भर्ती के दौरान मरीज पर बैक्टीरिया आसानी से हमला बोल देते हैं। तमाम तरह की एंटीबायोटिक रजिस्टेंट हो जाती हैं। ऐसे में मरीज को सटीक इलाज मुहैया कराने के लिए बैक्टीरिया की प्रजाति का पता लगाना जरूरी होता है। साथ ही एंटीबायोटिक रजिस्टेंट का।
डॉ. अविनाश ने बताया कि अभी तक केजीएमयू में पीसीआर (पॉलीमरेज चेन रिएक्शन) तकनीक से मॉलीक्यूलर टेस्ट फॉर बैक्टीरियल आईडेंटिफिकेशन एंड रजिस्टेंट जांच नहीं होती थी। कल्चर तकनीक से जांच होती थी। इसमें 72 से अधिक घंटे लगते थे। ऐसे में गंभीर मरीजों का इलाज प्रभावित होता था। मरीजों की दिक्कतों को दूर करने के लिए सीसीएम विभाग में ही जांच की सुविधा शुरू कर दी गई है। प्रयोग के तौर पर 800 मरीजों की जांच की जा चुकी है। खून, यूरीन और बलगम से ये जांच की जा रही हैं। जांच के सटीक नतीजे आ रहे हैं। इससे टारगेटेड इलाज करने में मदद मिल रही है।
कार्यशाला आज से
केजीएमयू में सोसाइटी ऑफ प्रीसीजन मेडिसिन एंड इंटेंसिव केयर भारत की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें दुनिया भर से 800 से ज्यादा डॉक्टर शिरकत करेंगे। 25 को कार्यशाला होगी। 26 जुलाई को कान्फ्रेंस का शुभारंभ कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद करेंगी।