
महाकुंभ की ‘खराब तैयारियों’ को लेकर कांग्रेस ने की सरकार की आलोचना, लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने महाकुंभ की ‘आधी-अधूरी तैयारियों’ के लिए राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार की आलोचना करते हुए उसपर तीर्थयात्रियों और संतों की सुविधाओं की उपेक्षा का आरोप लगाया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के साथ एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए प्रयागराज से पार्टी सांसद उज्ज्वल रमण सिंह ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर महाकुंभ में श्रद्धालुओं और साधु संतों के लिए इंतजामों में बरती जा रही उदासीनता और महाकुंभ की ‘आधी अधूरी तैयारियों’ पर सवाल खड़ा किया।
उन्होंने सरकार और अधिकारियों द्वारा साधु संतों और श्रद्धालुओं की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा, ”सरकार और पूरा प्रशासनिक तंत्र सिर्फ वीआईपी लोगों की मेहमान नवाजी और फोटो खिंचवाने में लगा हुआ है जिस वजह से आम श्रद्धालु भारी असुविधा का सामना कर रहे हैं।” प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने सरकार द्वारा महाकुंभ के नाम पर आवंटित बजट में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और महाकुंभ के बाद इसे तथ्यों और आंकड़ों के साथ उजागर करने की बात कही। उन्होंने कहा, ”सरकार महाकुंभ के नाम पर बड़े स्तर की तैयारी का दावा करके सभी को भ्रमित करने का काम कर रही है।”
महाकुंभ परिसर में बुधवार को राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक आयोजित किये जाने पर सवाल उठाते हुए राय ने कहा, ”आस्था और अध्यात्म के पावन महासंगम स्थल पर कैबिनेट का ड्रामा कर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ को ‘इवेंट’ बना दिया है। सरकार ने महाकुंभ की परम्पराओं को बदल दिया है। महाकुंभ में व्यवस्था के नाम पर गुजराती कंपनियों को ठेका देकर सिर्फ भ्रष्टाचार हो रहा है। महाकुंभ में कैबिनेट बैठक कर धार्मिक और आस्था के आयोजन में राजनीतिक संदेश दिया जा रहा है।”
सांसद उज्ज्वल रमण सिंह ने सरकार पर महाकुंभ के नाम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा, ”भ्रष्टाचार की नींव तो बहुत पहले से ही डाल दी गई थी। पीपा पुल बनाने के लिये ‘स्लीपर’ (लकड़ी का मोटा पटरा) के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली 200 करोड़ की लकड़ी की आपूर्ति निजी कंपनियों से करायी गयी।” उन्होंने कहा, ”पीपा पुल के लिये इस्तेमाल होने वाली लकड़ी की आपूर्ति हमेशा अन्य राज्यों की सरकारों के वन विभागों से करायी जाती थी। मगर इस बार कई निजी कंपनियों से अवैध रूप से इसकी आपूर्ति करायी गयी। इसका नतीजा यह हुआ कि समय से ‘स्लीपर’ की आपूर्ति नहीं हो पायी और जो हुयी भी तो वह भी खराब गुणवत्ता के थे।