राष्ट्रीय

‘काशी सांसद सांस्कृतिक महोत्सव-2023’ का समापन एवं पुरस्कार वितरण

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज जनपद वाराणसी के सिगरा स्थित रूद्राक्ष कन्वेन्शन सेण्टर में 1115.37 करोड़ रुपये की लागत से उत्तर प्रदेश के 16 अटल आवासीय विद्यालयों का लोकार्पण किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री जी ने ‘काशी सांसद सांस्कृतिक महोत्सव-2023’ का समापन एवं पुरस्कार वितरण भी किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी भी शामिल हुए। प्रधानमंत्री जी ने ‘काशी सांसद सांस्कृतिक महोत्सव’ के अन्तर्गत विजेताओं को पुरस्कृत किया। प्रधानमंत्री जी ने 15 अक्टूबर से 05 नवम्बर, 2023 तक आयोजित होने वाले ‘काशी सांसद खेलकूद प्रतियोगिताओं’ हेतु पोर्टल तथा क्यू-आर कोड का बटन दबाकर उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से काशी का सम्मान आज नित नई-नई ऊँचाइयों को छू रहा है। जी-20 समिट के जरिए भारत ने पूरी दुनिया में अपना झण्डा गाड़ा है, उसमें काशी की चर्चा विशेष है। काशी की सेवा, काशी का स्वाद,  काशी की संस्कृति और काशी के संगीत, जी-20 के सभी मेहमान अपनी यादों में समेटते हुए साथ लेकर गए हैं। जी-20 की अद्भुत सफलता महादेव के आशीर्वाद से ही सम्भव हुई है। बाबा की कृपा से काशी अब विकास के ऐसे आयाम गढ़ रही है, जो अभूतपूर्व हैं। दुनिया में काशी का नाम बढ़ता चला जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज ही उन्होंने बनारस के लिए अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का शिलान्यास किया है। उन्हें उत्तर प्रदेश के 16 अटल आवासीय विद्यालयों के लोकार्पण का अवसर भी मिला है। प्रधानमंत्री जी ने इन आयोजनों के लिए उत्तर प्रदेश वासियों को बधाई देते हुए कहा कि वर्ष 2014 में उन्होंने जिस काशी की कल्पना की थी, विकास और विरासत का वो सपना अब धीरे-धीरे साकार हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें गर्व है कि काशी सांसद सांस्कृतिक महोत्सव के माध्यम से इस क्षेत्र की, इस धरती की, इतनी प्रतिभाओं से सीधा जुड़ने का अवसर मिला। यह इस आयोजन का पहला साल है। इसमें करीब 40 हजार कलाकारों ने हिस्सा लिया, और लाखों दर्शक प्रत्यक्ष रूप में इसका आनन्द लेने के लिए आए। आने वाले वर्षों में यह सांस्कृतिक महोत्सव काशी की एक अलग पहचान बनने वाला है। देश दुनिया के पर्यटकों के लिए काशी आकर्षण का एक नया केंद्र भी बनेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी और संस्कृति एक ही ऊर्जा के दो नाम हैं। आप उनको अलग नहीं कर सकते। काशी को देश की सांस्कृतिक राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। काशी की गली-गली में गीत गूँजते हैं। यह स्वाभाविक है, क्योंकि यह नटराज की अपनी नगरी है। सारी नृत्य कलाएं नटराज के ताण्डव से ही प्रकट हुई हैं। सारे स्वर महादेव के डमरू से उत्पन्न हुये हैं। सारी विधाओं ने बाबा विश्वनाथ के विचारों से जन्म लिया है। इन्हीं कलाओं और विधाओं को भरत मुनि जैसे आदि आचार्यों ने व्यवस्थित और विकसित किया।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि काशी मतलब ‘सात वार- नौ त्यौहार’। काशी में कोई भी उत्सव गीत-संगीत के बिना पूरा नहीं हो सकता।

चाहे घर की बैठकी हो या बजड़े पर बुढवा मंगल, भरत मिलाप हो या नाग नथैया, संकटमोचन का संगीत समारोह हो या देव-दीपावली पर यहाँ सब कुछ सुरों में समाया हुआ है। काशी में शास्त्रीय संगीत की गौरवशाली परंपरा है। उतने ही अद्भुत यहाँ के लोकगीत भी हैं। यहाँ तबला भी है, शहनाई और सितार भी है, सारंगी के सुर भी हैं, वीणा का वादन भी है। ख्याल, ठुमरी, दादरा, चैती और कजरी जैसी कितनी ही विधाओं को बनारस ने सदियों से सहेजकर रखा है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिवारों तथा गुरू-शिष्य परम्पराओं ने भारत की इस मधुर आत्मा को जीवित बनाए रखा। बनारस का तेलिया घराना, पियरी घराना, रामापुरा-कबीरचौरा मोहल्ले के संगीतज्ञ, यह विरासत अपने आपमें बहुत समृद्ध रही है। बनारस के ऐसे कितने ही कलाकार हैं, जिन्होंने पूरे विश्व में अपनी छाप छोड़ी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज यहां काशी सांसद खेल प्रतियोगिता के पोर्टल को भी लॉन्च किया गया है। सांसद खेल प्रतियोगिता या सांसद सांस्कृतिक महोत्सव, यह काशी में नई परंपराओं की शुरुआत है। अब यहां काशी सांसद ज्ञान प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा। हमारा प्रयास है कि काशी के इतिहास, यहां की समृद्ध विरासत, यहां के त्योहार, यहां के खान-पान के प्रति जागरूकता और बढ़े। सांसद ज्ञान प्रतियोगिता भी बनारस के शहरी और ग्रामीण इलाकों में अलग-अलग स्तर पर आयोजित की जाएगी।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि काशी का हर व्यक्ति, हर परिवार काशी का ब्राण्ड एम्बेसडर है।

साथ ही, यह भी जरूरी है कि सभी लोग काशी के बारे में अपनी जानकारी को अच्छी तरह बता पाएं। किसी भी टूरिस्ट प्लेस अथवा यात्रा धाम पर आज के युग में उत्तम गाइड बहुत आवश्यक होते हैं। गाइड प्रतिभावान और जानकारियों के सम्बन्ध में परफैक्ट होना चाहिए। यह ताकत काशी में होनी चाहिए। और आजकल टूरिस्ट गाइड का भी एक बहुत बड़ा रोजगार बन रहा है। जो टूरिस्ट आता है वो सब चीजों को समझना चाहता है। वह टूरिस्ट गाइड को पैसे भी देना चाहता है। अब यहां काशी सांसद टूरिस्ट गाइड की कम्पटीशन भी आयोजित की जाएगी। आप गाइड बनकर आइये, लोगों को जगह के विषय में समझाइये और इनाम पाइए। उसके कारण लोगों को पता चलेगा कि इस शहर में गाइड का एक कल्चर बन रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वे चाहते हैं कि उनकी काशी का पूरी दुनिया में डंका बजना चाहिए। पूरी दुनिया में अगर कोई कहीं गाइड की बात करे तो काशी के गाइड्स का नाम सबसे सम्मान से लिया जाए। उन्होंने सभी काशी वासियों से अपील की कि आप अभी से तैयारी कीजिए और बढ़-चढ़कर हिस्सा लीजिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बनारस सदियों से शिक्षा का भी एक बड़ा केन्द्र रहा है। बनारस की शैक्षणिक सफलता का सबसे बड़ा आधार इसका सर्वसमावेशी स्वभाव है। देश और दुनिया के कोने-कोने से आकर लोग यहाँ पढ़ाई करते हैं। आज भी दुनिया के अनेक देशों से लोग यहाँ संस्कृत सीखने और ज्ञान लेने आते हैं। आज हमने इसी भावना को केन्द्र में रखकर यहाँ से अटल आवासीय विद्यालयों का शुभारम्भ किया है। आज जिन अटल आवासीय विद्यालयों का लोकार्पण हुआ है उन पर करीब 1100 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भव्य स्कूल हमारे श्रमिक, हमारे यहां मजदूरी करने वाले लोगों और समाज के सबसे कमजोर वर्ग के बेटे-बेटियों के लिए किया गया काम है। इससे उनको अच्छी आधुनिकतम शिक्षा तथा संस्कार मिलेंगे। जिन लोगों की कोरोना में दुःखद मृत्यु हो गई, उनके बच्चों को भी इन आवासीय विद्यालयों में निःशुल्क पढ़ाया जाएगा। इन स्कूलों में कोर्स के साथ-साथ संगीत, कला, क्राफ्ट, कम्प्यूटर और स्पोर्ट्स के लिए भी शिक्षक होंगे। गरीब के बच्चे भी अब अच्छी से अच्छी पढ़ाई तथा सर्वांगीण शिक्षा का सपना पूरा कर पाएंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा अटल आवासीय विद्यालयों की तर्ज पर जनजातीय समाज के बच्चों के लिए एकलव्य आवासीय स्कूल बनाए गए हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के जरिए हमने शिक्षा व्यवस्था की पुरानी सोच को भी बदला है। अब हमारे विद्यालय आधुनिक बन रहे हैं। क्लासेस स्मार्ट हो रही हैं। भारत सरकार ने देश के हजारों स्कूलों को आधुनिक बनाने के लिए ‘पी0एम0-श्री’ अभियान भी शुरू किया है। इस अभियान के तहत देश के हजारों स्कूलों को मॉडर्न टेक्नोल़ॉजी से लैस किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि निर्माण श्रमिक एक गांव से दूसरे गांव जाकर काम करते हैं। उनके बच्चों की पढ़ाई छूट जाती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने उनके द्वारा ऐसे बच्चों के प्रति जतायी गयी चिन्ता को अपने मन में रखा और जब यह बच्चे तैयार होंगे तो उन बच्चों के परिवारों को फिर मजदूरी करने की नौबत ही नहीं रहेगी। इन बच्चों में स्पार्क है, सामर्थ्य है। उन्हें विश्वास है कि अगले 10 साल में इन स्कूलों से उत्तर प्रदेश और काशी की आन-बान-शान निखरने वाली है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपनी काशी में प्रदेशवासियों तथा काशीवासियों की ओर से प्रधानमंत्री जी का अभिनंदन करते हुए कहा कि प्रधानमन्त्री जी ने नए भारत को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाने के साथ ही, भारत की 140 करोड़ की आबादी की आशाओं और आकांक्षाओं को नई उड़ान दी है। प्रधानमंत्री जी ने दुनिया की सबसे प्राचीन, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नगरी के रूप में विख्यात अविनाशी काशी को नई पहचान दी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी प्रधानमंत्री जी काशी आते हैं तो देश में कुछ नया करके आते हैं। इस बार प्रधानमंत्री जी का आगमन अनेक उपलब्धियों से भरा है। चन्द्रयान की अभूतपूर्व सफलता तथा जी-20 समूह की अध्यक्षता के माध्यम से विश्व ने वसुधैव कुटुंबकम् के भाव से भारत की शक्ति और सामर्थ्य को देखा है। अब आदित्य एल-1 का सफल प्रक्षेपण सूर्य के रहस्यों को जानने का माध्यम बनेगा। संसद के इस विशेष सत्र में नारी शक्ति वंदन अधिनियम का पारित होना भारत की मातृशक्ति के सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत साढ़े नौ वर्षों में दुनिया ने भारत को एक नई ताकत के रूप में उभरते हुए देखा है। हम सभी भारतवासी सौभाग्यशाली हैं कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में यह सभी कार्य होते हुए देख रहे हैं। सभी देशवासी प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व पर गौरव की अनुभूति करते हैं। समाज के हर तबके के विकास के लिए बनाई गई कार्ययोजना को प्रभावी रूप से लागू करना, यह प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व क्षमता में हम सभी सीखते हैं और उससे नई प्रेरणा और प्रकाश प्राप्त करते हैं। अभिनव योजनाओं को बनाना और उसे प्रभावी रूप से क्रियान्वित करना यह एक अद्भुत कला है। प्रधानमंत्री जी की नेतृत्व क्षमता हम सभी के लिए प्रेरणादायी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रधानमंत्री जी ने काशी के गंजारी में इण्टरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम का शिलान्यास किया है। यह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा उत्तर प्रदेश में बनाया जा रहा पहला स्टेडियम है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पारित होने पर काशी और पूर्वी उत्तर प्रदेश की बहनों द्वारा प्रधानमंत्री जी के अभिनन्दन का कार्यक्रम आज सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम में भी प्रधानमंत्री जी ने भागीदारी की थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने समाज के अंतिम पायदान पर बैठे हुए श्रमिकों के बच्चों को  अटल आवासीय विद्यालय की सौगात दी है। उन बच्चों के साथ संवाद और इन विद्यालयों के लोकार्पण के साथ ही, संस्कृति कर्मियों के सम्मान का यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। सांसद खेलकूद प्रतियोगिताओं के माध्यम से खिलाड़ियों के प्रोत्साहन तथा संस्कृति कर्मियों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम महोत्सव, यह अपने आप में एक अभिनव पहल है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि काशी में संगीत की अलग-अलग विधाओं का जन्म हुआ है। इन संस्कृति कर्मियों को सम्मानित करने का अभिनव कार्यक्रम पहली बार हुआ है। लगभग 40,000 से अधिक कलाकारों ने न्याय पंचायत, ब्लॉक, विश्वविद्यालय और जनपद स्तर पर आयोजित अलग-अलग कार्यक्रमों में भाग लिया है। इनमें गायन, वादन, नृत्य और नाट्य श्रृंखलाएं शामिल थीं। यह लोक-गाथाओं के माध्यम से लोक परम्पराओं को पुनर्जीवित करने का अद्भुत प्रयास है। प्रधानमंत्री जी ने कलाकारों को एक नया मंच प्रदान किया है। यह कार्यक्रम अपनी परम्परा और संस्कृति को अक्षुण्य बनाए रखने में मील का पत्थर साबित होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 18 अटल आवासीय विद्यालयों का पहला सत्र प्रारंभ हो चुका है। इनमें से 16 पूरी तरह बनकर तैयार हो चुके हैं और शेष दो विद्यालय अगले दो माह में बनकर तैयार हो जाएंगे। जब उन्हें मुख्यमंत्री पद का दायित्व मिला था, तब  प्रधानमंत्री जी ने उनसे श्रमिकों के लिए किए जाने वाले कार्यों के बारे में पूछा था। प्रधानमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड से जुड़े हुए श्रमिकों के बच्चों के लिए इस प्रकार की परिकल्पना को साकार करने के लिए निर्देशित किया था। आज उसने मूर्त रूप लिया है। यह हम सबके लिए गौरव का क्षण है। कोरोना कालखंड में जो बच्चे निराश्रित हुए और उन्होंने अपने अभिभावकों को खाया था, पहले सत्र में ऐसे 1400 बच्चों को इन अटल आवासीय विद्यालयों में प्रवेश दिया गया है।

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