विविध

बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने पूरे विश्व में लहराया भारत का परचम

भारत की स्टार महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु आज यानी की 5 मई को अपना जन्मदिन मना रहा है। बेहद कम उम्र में पीवी सिंधु अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुई। बहुत कम उम्र में उनको दुनिया की दिग्गज महिला बैडमिंटन खिलाड़ी के रूप में जाना जाने लगा। पीवी सिंधू ने ओलंपिक में पदक जीता है।

विश्व पटल पर सिंधु को उस समय पहचान मिली, जब साल 2012 में बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन की तरफ से एक लिस्ट जारी की गई। इस लिस्ट में पीवी सिंधु को 20वां स्थान मिला था। बता दें कि सिंधु ने यह उपलब्धि महज 17 साल की उम्र में हासिल की थी। आइए जानते हैं उनके बर्थडे के मौके पर पीवी सिंधु के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में…

जन्म और शिक्षा
पीवी सिंधु को खेल अपने परिवार से विरासत में मिला है। उनके पिता पीवी रमन्ना और मां पी विजया राष्ट्रीय स्तर तक वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं। आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में एक तेलुगू परिवार में 5 जुलाई 1995 को पीवी सिंधु का जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु है। पीवी सिंधु ने अपनी शुरूआती शिक्षा औक्सिलियम हाई स्कूल से पूरी की। फिर आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने सेंट एंस कॉलेज फॉर वुमेन, मेह्दीपटनम में एडमिशन लिया। यहां से सिंधु ने एमबीए की पढ़ाई पूरी की है।

कम उम्र से शुरू किया खेलना
बता दें कि सिंधु ने महज आठ साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। हालांकि उनके पेरेंट्स वॉलीबॉल के खिलाड़ी थे। लेकिन बचपन से ही उनका लगाव हमेशा से बैडमिंटन की ओर था। सिंधू पुलेला गोपीचंद की सफलता से काफी ज्यादा प्रभावित थीं। इसके बाद उन्होंने सिकंदराबाद में इंडियन रेल्वे इंस्टिट्यूट ऑफ़ सिग्नल इंजीनियरिंग एंड टेलीकम्यूनिकेशन में बैडमिंटन की ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया। इस दौरान वह मेहबूब अली की देखरेख में ट्रेनिंग कर रही थीं। इसके बाद उन्होंने पुलेला गोपीचंद की बैडमिंटन अकादमी में एडमिशन ले लिया।

मलेशिया ओपन
पीवी सिंधु ने अपने कॅरियर की शुरूआत अखिल भारतीय रैंकिंग चैम्पियनशिप और सब-जूनियर नेशनल से की और जूनियर बैडमिंटन खिताब जीते। इसके बाद वह अंतरराष्ट्रीय लेवल की खिलाड़ी बन गईं। वहीं साल 2013 में मलेशिया ओपन में स्वर्ण पदक जीतकर पीवी सिंधु ने अपने देश का परचम लहराया। इस जीत के बाद उनको एक युवा खिलाड़ी के रूप में पहचान मिली और वह बैडमिंटन जगत में अपनी पहचान बनाने में सफल रहीं।

ग्वांगझू वर्ल्ड चैंपियनशिप
इसके बाद साल 2013 में एक बार सिंधु चर्चा में आ गईं। जब उन्होंने चीन के ग्वांगझू में बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन की तरफ से आयोजित की गई विश्व चैंपियनशिप में पार्टिसिपेट किया। इस मैच में कांस्य पदक अपने नाम किया। इस मैच में पीवी सिंधु ने ओलंपिक पदक विजेता वान इहान को करारी हार दी थी। पीवी सिंधु ने विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला का खिताब अपने नाम किया।

डेनमार्क ओपन सुपर सीरीज
इसके बाद साल 2015 में डेनमार्क ओपन सुपर सीरीज के समय सिंधू अपने जबरदस्त फॉर्म में थीं। इस दौरान उन्होंने खिलाड़ी वांग इहान को हराकर फाइनल में अपनी जगह बना ली थी। लेकिन फाइनल के मैच में वह जीत नहीं हासिल कर सकीं और उन्हें रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा।

रियो ओलंपिक
भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में नया अध्याय उस दौरान जुड़ा जब पीवी सिंधु ने रियो ओलंपिक में अपना दबदबा कायम करते हुए रजत पदक अपने नाम किया। उनकी इस असाधारण प्रतिभा ने उन्हें कॅरियर की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम किया। उस दौरान भारत की तरफ से ओलंपिक में 116 में पीवी सिंधु ने बेहद शानदार प्रदर्शन किया था।

इसके साथ ही साल 2017 में पीवी सिंधु ने इंडिया ओपन में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। इंडिया ओपन सुपरसीरीज फाइनल में कैरोलिना मारिन हार का स्वाद चखाते हुए न सिर्फ उन्होंने ओलंपिक का बदला चुकाया। बल्कि इस खिताब को भी अपने नाम करने में सफल हुईं। फिर साल 2019 में भी सिंधु ने बेहद शानदार प्रदर्शन करते हुए बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।

सम्मान
साल 2013 में पीवी सिंधु को अर्जुन अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है।
साल 2015 में पीवी सिंधु को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
साल 2020 में पीवी सिंधु को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से नवाजा गया था।
वहीं उन्हें सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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