कारोबार

Adani Group की एक और बड़ी डील, अडानी के नाम हुआ इजराइल का एतिहासिक पोर्ट

एशिया के सबसे अमीर बिजनेमैन गौतम अडानी का दबदबा भारत ही नहीं दुनियाभर में बढ़ता जा रहा है। दरअसल, गौतम अडानी के हाथ एक और बड़ी डील लगी है। अडानी पोर्ट्स ने इजराइल के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक हाइफा पोर्ट को खरीदने के लिए बोली जीत ली है।

जी हां..अडानी की कंपनी अब इजराइल के प्रमुख कारोबार को टेकओवर करने जा रही है। इसकी जानकारी खुद इजरायल सरकार दी है। साथ ही गौतम अडानी ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी है। बता दें कि इस खबर के बाद आज शुक्रवार को अडानी पोर्ट्स के शेयरों में तेजी है। शुरुआती कारोबार में यह शेयर 727.50 रुपये पर ट्रेड कर रहा है।

1.18 बिलियन डॉलर में हुई डील
इजराइल ने गुरुवार को कहा कि वह अपने प्रमुख कारोबार हाइफ़ा पोर्ट को अडानी ग्रुप को बेचेगा। बयान के मुताबिक, यह डील 4.1 बिलियन शेकेल (1.18 बिलियन डॉलर) लगभग 9500 करोड़ रुपये में हुई है। इजराइल के बयान के मुताबिक, यह कारोबार 4.1 बिलियन शेकेल में अडानी पोर्ट्स ऑफ इंडिया और लोकल केमिक्ल और लॉजिस्टिक ग्रुप गैडोट को बेचेगा। यानी अडानी ने अपने पार्टनर गैडोट के साथ मिलकर यह डील पूरी है। बता दें कि हाइफ़ा भूमाध्यसागर तट पर स्थित इजराइल के सबसे बड़े पोर्ट्स में से एक है। इजराइल सरकार ने इस पोर्ट के प्राइवेटाइजेशन के लिए दुनियाभर की कंपनियों से बोली मंगवाई थी।

अडानी के पास 70% हिस्सेदारी होगी
उद्योग के एक अधिकारी के अनुसार, अडानी के पास 70% हिस्सेदारी होगी और बाकी के 30% हिस्सेदारी गैडोट के पास होगी। हाइफा पोर्ट ने कहा कि नया ग्रुप साल 2054 तक उसका कार्यभार संभालेगा।

गौतम अडानी ने क्या कहा?
इजराइल सरकार के ऐलान के बाद गौतम अडानी ने देर रात गौतम अडानी ने गुरुवार देर एक ट्वीट में इसकी जानकारी दी और खुशी जाहिर की। उन्होंने लिखा, ”अपने सहयोगी गैडोट के साथ इजराइल में हाइफ़ा बंदरगाह के निजीकरण के लिए बोली जीतकर खुशी हुई। यह दोनों देशों के लिए बेहद शानदार और ऐतिहासिक महत्व रखता है। हाइफ़ा का हिस्सा बनकर गर्व हो रहा है, जहां भारतीयों ने साल 1918 में नेतृत्व किया और सैन्य इतिहास में सबसे बड़ी कैवेलरी चार्जेज में से एक की अगुवाई की।” बता दें कि अडानी पोर्ट्स की जिम्मेदारी गौतम अडानी के बेटे करण अडानी संभाल रहे हैं।

इजराइल ने क्या कहा?
इजराइल के वित्त मंत्री एविगडोर लिबरमैन ने कहा, “हाइफ़ा पोर्ट के प्राइवेटाइजेशन से बंदरगाहों पर प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और जीवन यापन की लागत कम होगी। इज़राइल को उम्मीद है कि आयात की कीमतों में कमी आएगी और इजरायल के बंदरगाहों पर कुख्यात लंबे प्रतीक्षा समय को कम करने में मदद मिलेगी।

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