एलयू में पालक पर हुई रिसर्च, लवणीय मिट्टी के लिए नई उम्मीद
विश्वविद्यालय में बायोइंजीनियर्ड गोल्ड नैनोपार्टिकल्स के उपचार से पालक की नमक तनाव के प्रति सहनशीलता में वृद्धि पर शोध किया गया। इससे लवणीय मिट्टी के लिए नई उम्मीद लेकर आएगी। यह शोध किसानों और वैज्ञानिकों के लिए नई संभावनाएं लेकर आएगी। जिससे फसलों को नमक जैसी समस्याओं के बावजूद भी स्वस्थ रखा जा सकेगा।
नैनोपार्टिकल्स का उपयोग विज्ञान में नई खोजों के लिए महत्वपूर्ण हो रहा है। वनस्पति विज्ञान विभाग में प्रो. मोहम्मद इसराईल अंसारी के नेतृत्व में एक शोध दल ने पाया है कि गोल्ड नैनोपार्टिकल्स का उपयोग करके पालक के पौधों को नमक के उच्च स्तर के तनाव में भी बेहतर वृद्धि और सहनशीलता मिलती है। यह शोध जून 2024 में फ्रंटियर्स इन प्लांट साइंस (स्विट्ज़रलैंड) में प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि गोल्ड नैनोपार्टिकल्स के अनुप्रयोग से पालक में क्लोरोफिल के स्तर में वृद्धि हुई, जिससे प्रकाश अवशोषण में सुधार हुआ और फोटोसिंथेट्स बढ़ा। इसके परिणामस्वरूप पौधों की वृद्धि में सुधार हुआ और पौधे उच्च नमक के तनाव को पार करने में सक्षम रहे।
इन नैनोपार्टिकल्स ने पौधों के स्टोमेटा (पत्तियों पर छोटे छिद्र) को फिर से खोलने में मदद की, जिससे जलयोजन और गैस विनिमय बेहतर हुआ। पोटैशियम आयनों की मात्रा बढ़ने से एब्सिसिक एसिड (ABA) का स्तर कम हुआ, जो तनाव प्रतिक्रिया से जुड़ा हार्मोन है। प्रोलीन और फ्लेवोनोइड्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स के स्तर में वृद्धि हुई, जिससे पौधे ऑक्सीडेटिव तनाव से बच सके।
पालक पोषण, उत्पादन और खपत के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण सब्जी है। इसके अलावा, इसमें अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक GABA होता है। GABA पौधों, विशेष रूप से पत्तेदार सब्जियों के विकास और तनाव प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।