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नियामक आयोग में पहुंचा ग्रामीण फीडरों को शहरी घोषित करने का मामला
प्रदेश में शहरों से सटे ग्रामीण फीडरों को शहरी घोषित करने का मामला राज्य विद्युत नियामक आयोग पहुंच गया है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने मंगलवार को आयोग में अवमानना याचिका दाखिल की। परिषद ने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष समेत पूरे निदेशक मंडल पर कठोर कार्रवाई करने व निदेशकों को बर्खास्त कर उनकी सम्पत्तियों की जांच कराने की मांग की है।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार से मुलाकात के दौरान कहा कि पावर कॉरपोरेशन का निदेशक मंडल उपभोक्ता विरोधी कार्रवाई में लगा है, इस पर सख्त कार्रवाई कर नजीर स्थापित करने की जरूरत है। उन्होंने मुख्यमंत्री से कॉरपोरेशन के पूरे निदेशक मंडल के कार्यकाल की समीक्षा करने व उपभोक्ता विरोधी कार्रवाई कर सरकार की छवि धूमिल करने में लगे निदेशकों को तत्काल बर्खास्त उनकी संपत्ति की जांच की मांग की।
उन्होंने कहा कि कुछ निदेशक अपना कार्यकाल 65 वर्ष कराने में लगे हैं, यह गंभीर मामला है। मालूम हो कि पावर कॉरपोरेशन निदेशक मंडल ने ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति के नाम पर ग्रामीण फीडर को शहरी फीडर घोषित कर शहरी बिलिंग के लिए बिजली कंपनियों को निर्देश जारी किया है।
अधिक वसूली पर कॉरपोरेशन ने नहीं दी आयोग को रिपोर्ट
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि सप्लाई टाइप बदलकर बिजली आपूर्ति बढाए जाने के मामले में प्रदेश के कई जिलों में की गई अधिक वसूली पर नियामक आयोग ने 29 अगस्त 2023 को 10 दिन में रिपोर्ट मांगी गई थी, पर 10 महीने बीत जाने के बाद भी कॉरपोरेशन ने रिपोर्ट तो नहीं दाखिल किया पर प्रदेश के लगभग दो करोड 85 लाख ग्रामीण उपभोक्ताओं को संकट में डालने की साजिश की गई है।