फ्लैश न्यूजसाइबर संवाद

शब्‍दों के चयन में सावधानी रखें पत्रकारःधीरेन्द्र श्रीवास्तव

हिन्‍दी पत्रकारिता दिवस पर गाजीपुर जिले के रायफल क्‍लब में आज की पत्रकारिता विषयक संगोष्‍ठी हुई आयोजित।

 

जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने समारोह में वरिष्‍ठ पत्रकार धीरेंद्र श्रीवास्‍तव समेत अन्‍य पत्रकारों को किया सम्‍मानित।

 

हिन्दी पत्रकारिता दिवस 30 मई को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रायफल क्लब में आज की पत्रकारिता विषयक गोष्ठी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि जिलाधिकारी नरेन्द्र सिंह पटेल व विशिष्ट अतिथि पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्‍यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया।

तत्पश्चात अतिथियों को स्मृति चिन्ह व माल्‍यार्पण कर सम्मानित किया गया। जिसके क्रम में मुख्य अतिथि जिलाधिकारी को अध्यक्ष अनिल कुमार उपाध्याय व विशिष्ट अतिथि पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण को महासचिव चन्द्र कुमार तिवारी ने माल्‍यार्पण कर स्वागत किया।

संस्था के संरक्षक गुलाब राय ने जिलाधिकारी व संरक्षक आर0सी0 खरवार ने पुलिस अधीक्षक को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया।

लखनऊ से आये वरिष्ठ पत्रकार धीरेन्द्र श्रीवास्तव को जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने संयुक्त रूप से सम्मानित किया।

इसी क्रम में अतिथि द्वय द्वारा रत्नाकर दिक्षित, अशोक श्रीवास्तव, दानिश रिजवी, विनय कुमार सिंह, संजय कुमार यादव, सूर्यबीर सिंह, सत्येन्द्र शुक्ला, साहित्यकार व कुशल संचालक ब्यासमुनि राय को सम्मानित किया।

वहीं महिला पत्रकार अर्चना राय ने समाजसेवी मीरा को माल्यापर्ण कर सम्मानित किया।

वक्ताओं में धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने अपने पत्रकारिता के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए गाजीपुर के स्वर्णिम इतिहास से सभी को रूबरू कराया।

हिन्दी पत्रकारिता पर चर्चा करते हुए कहा की हिन्दी का छोटा अखबार भी जब किसी मुददे को छु लेता है तब बड़े अखबारों का ध्यान उसपर जाता है और उसका विश्लेषण करने लगते हैं और छोटे अखबार की आवाज को धार देते हैं।

पत्रकारों को अपने शब्दों को नाप तौल कर लिखना चाहिए, क्योकि शब्द किसी के भविष्य को बना या बिगाड़ सकते हैं और यदि किसी का भविष्य हमसे बिगड़ गया तो हम उसका बीता समय लौटा नहीं सकते।

वक्ताओं के अगले क्रम में स्नातकोत्तर महाविद्यालय गाजीपुर के समाजशास्त्री डा0 चन्द्र प्रकाश दिक्षित ने कहा कि पत्रकारिता को व्यवसाय बनाना तो ठीक है, लेकिन उसे व्यापार न बनाया जाये।

स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रो0 बी0 डी0 मिश्रा ने हिन्दी भाषा पर जोर देते हुए पत्रकार, अध्यापक, वकील, साहित्यकार को एक श्रेणी मे खड़ा करते हुए शब्दों की सार्थकता पर विशेष ध्यान रखने की बात कही।

रत्नाकर दिक्षित ने कहा कि पत्रकारिता के व्यावसायिक होने की बातें तो बहुत होती हैं, लेकिन इसके लिए हम पत्रकार जिम्मेदार नही होते हैं। नीति निर्धारण करने वाले दुसरे लोग होते हैं। हम तो मात्र एक प्रतिनिधि की भूमिका निभाते हैं।

पत्रकारिता में आज कुशाग्र व तेज लोगों की आवश्यकता है। आज समाज में सबसे छंटे हुए लोगों को पत्रकार बनाया जाता है। जहॉं पर सजग व बुद्धिमान लोगों की आवश्यकता है।

जिससे समाज के सही मार्गदर्शन का कार्य हो सके। पत्रकार वेद प्रकाश श्रीवास्तव, शिवेन्द्र पाठक ने बताया कि पत्रकारिता का मतलब विचार प्रधान होता है।

वहीं विशिष्ट अतिथि वैभव कृष्ण ने कहा कि पत्रकारिता समाज का आभूषण है। समाज को सजाने का काम पत्रकार करते हैं। इन्हीं के प्रयास से सूचना का अधिकार लागू किया गया।

जिसके प्रयास से सभी को सूचना प्राप्त करने का अधिकार मिला। समाज में लोगों को अपने पद की प्रतिष्ठा का ध्यान रखते हुए काम करना चाहिए।

पत्रकारिता को व्यापार न बनने दें। इससे समाज का चौथा स्तम्भ बना रहे इसका प्रयास करना चाहिए।

मुख्य अतिथि ने अपना अनुभव को बांटते हुए बताया कि नौकरी से पहले मैं, भी पत्रकार बनना चाहता था, मैने पत्रकारिता का कोर्स भी किया, किन्तु समाज की सेवा नौकरी से भी की जा सकती है।

अपने सैनिक स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान उन्होने अखबारो के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अखबार में लिखे जाने वाले सम्पादकीय का असर छात्रो में बहुत पड़ता है।

वह सम्पादकीय अच्छे पत्रकारों द्वारा लिखा जाता है जो आगे आने वाली पीढिय़ों के दिमाग में रोपित हो जाता है। जिससे समाज का निमार्ण होता है।

पत्रकारों को बड़ी कठिनाईयो का सामना भी करना पड़ता है। पर इनकी जो पत्रकारिता का नशा है वह इन्हें संयमित करते हुए हम प्रशिक्षित भी होते हैं।

सभी लोगो में 5 प्रतिशत गुण होते हैं, वही 5 गुण लोगों को आगे बढ़ाने का काम करते हैं। सभी व्यक्तियो में 95 प्रतिशत अवगुण होते हैं, लेकिन उसपर ध्यान नही दिया जाता।

चला जाता हूं, मौजे हवालिस में, अगर आसानियां हो तो जिन्दगी दुश्वार हो जाती है!! इसी कविता के साथ अपने उदबोधन का समाप्त किया।

अपने अध्यक्षीय उदबोधन में अनिल उपाध्याय ने पत्रकारिता को स्वच्छ व स्वस्थ्यता पर बल देते हुए स्वच्छ पत्रकारिता करने की सलाह देते हुए सभी आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया।

 

इस मौके पर कमला शंकर यादव, रविकान्त पाण्डेय, अनिल कश्यप, देवब्रत विश्वकर्मा, अजय शंकर तिवारी, विनोद गुप्ता, सोनू तिवारी, मनीष मिश्रा, सुनील सिंह, संजय यादव, मनोज गुप्ता, आशीष सिंह मन्टू, अमित चतुर्वेदी, गुडडू अंसारी, परवरिश सिन्हा, बच्चा तिवारी, प्रमोद सिघानिया, अखिलेश यादव पिन्टू, अखिलेश यादव, कमलेश यादव, शशियादव, सूर्यवीर सिंह, प्रदीप उपाध्याय, सुशील उपाध्याय, एस0के0 प्रधान, ओम प्रकाश पाण्डेय, राधेश्याम पाण्डेय, श्याम सिन्हा, अमित चौरसिया, शिवकुमार कुशवाहा, अंजनी तिवारी, अवधेश यादव, विजय यादव, विपिन, सादिक सिददकी, हिमाशु राय, सुशील सिह, अरूण कुमार, आशुतोष पाण्डेय, अनिल मौर्या, आफताब सिददीकी, आरिफ आदि पत्रकार उपस्थित थे।

Dhirendra Srivastava
Dhirendra Srivastava

 

धीरेन्द्र श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार की फेसबुक वॉल से साभार।

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