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राज्यपाल ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के नैक प्रस्तुतीकरण का अवलोकन किया

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि सभी विश्वविद्यालय विद्यार्थियों की समस्त समस्याओं के निराकरण हेतु सिंगल विंडो सिस्टम लागू करें तथा उनकी समस्याओं का समयबद्ध निस्तारण हो। उचित होगा कि विश्वविद्यालय के विभिन्न क्रिया-कलापों हेतु गठित की जाने वाली समितियों में भी विद्यार्थियों को शामिल किया जाये। राज्यपाल ने ये विचार आज राजभवन में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के नैक प्रस्तुतीकरण के दौरान व्यक्त किये।

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के तहत 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर लागू करें साथ ही विभिन्न शोध कार्यों हेतु विश्वविद्यालय अपनी शोध पाॅलिसी विकसित कर वेबसाइट पर अपलोड करें जिसमे रिसर्च कार्य हेतु विद्यार्थियों को दी जाने वाली समस्त सुविधाओं का भी उल्लेख हो। राज्यपाल ने सुझाव दिया कि केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के फीडबैक पर भी शोध कार्य होना चाहिए।

उन्होंने बताया कि सरकारी योजनाओं में 30 प्रतिशत अपात्र लोग विभिन्न कारणों से लाभ ले लेते है, इसे रोकने के लिये विभिन्न कारणों को जानना तथा उनका निराकरण आवश्यक है। इसलिए विश्वविद्यालय शोध विषयों में इन कार्यों को भी शामिल करें, ताकि पात्र व्यक्तियों को ही योजनाओं का लाभ मिले। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता एवं गुणवत्ता के लिये “शोध गंगा पोर्टल” का उपयोग करते हुए समस्त सूचनाएं उसमे अपलोड करें।

श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालय में स्मार्ट क्लास विकसित करने पर बल दिया तथा आनलाइन शिक्षण कार्य को बढ़ावा देने के निर्देश दिये। राज्यपाल ने कहा कि पिछले मूल्यांकन के समय जो मूल्यांकन कमेटी ने कमिया बताई थी उनमें सुधार करते हुए नैक की तैयारी करें। उन्होंने सुझाव दिया कि नैक मूल्यांकन में अच्छा प्रस्तुतीकरण देने वाले विश्वविद्यालयों से सम्पर्क कर अपनी तैयारी आगे बढ़ाये।

कुलाधिपति ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा जो भी आउटडोर गतिविधियां की जाती है उनका रिकार्ड रखें, पूर्व छात्रों का सम्मेलन कराये, औद्योगिक प्रतिष्ठानों से एम.ओ.यू करें ताकि अधिक से अधिक रोजगार के अवसर विद्यार्थियों को मिल सकें। उन्होंने कहा कि प्रोत्साहन देने के लिये एवार्ड भी दें, इस कार्य में जिला प्रशासन व स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग ले सकते है। इसके लिए सेमिनार और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये जा सकते हैं।

उन्होंने कहा की प्रशिक्षण में ग्राम प्रधानों, आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों, स्वयं सहायता समूह की गु्रप लीडर आदि का सम्मेलन करायें, जिसमें सरकार विभिन्न योजनाओं, कुपोषण, टी.बी.,स्वच्छता, महिला स्वास्थ्य एवं सुरक्षा पर चर्चा करें ताकि वे अपने ग्रामों तथा कार्यक्षेत्र मे लोगों का लाभ दिला पायें।

राज्यपाल ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय अतिरिक्त गतिविधियों के अन्तर्गत अपने छात्र-छात्राओं को जेल, वृद्धाश्रम, बालगृह, अस्पताल आदि का भ्रमण भी करायें ताकि उनको व्यवहारिक ज्ञान हो सकें। विश्वविद्यालय प्रदर्शनी, वेबिनार आदि के माध्यम से अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिताएं आयोजित करें, ऐसा करने से विद्यार्थियों में प्रतिस्पर्धा जागेगी। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को पुरस्कृत भी किया जाये।

उन्होंने कहा कि इसके लिए राजभवन के स्तर से एक कमेटी का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकगण सिर्फ पढ़ाने का ही नही बल्कि विश्वविद्यालय को और आगे ले जाने हेतु प्रयास करें। नैक के लिये तैयारी एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है जिसमे हमे निरन्तर सुधार करते हुए आगे बढ़ना है इसलिए स्वमूल्यांकन करते हुए अपनी तैयारी करें। विद्यार्थियों की सहभागिता बढ़ाये और युवा शक्ति का उपयोग रचनात्मक कार्यों के लिये करें।

एक अन्य कार्यक्रम में राज्यपाल की अध्यक्षता में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी की समीक्षा बैठक हुई, जिसमें राज्यपाल ने निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय द्वारा की जाने वाली सभी नियुक्तियां पारदर्शी हो तथा चयन प्रक्रिया यथाशीघ्र पूर्ण कर लें। राज्यपाल ने डिग्री वितरण कार्य की धीमी प्रगति पर असंतोष व्यक्त किया तथा शीघ्र वितरित करने के निर्देश दिये।

राज्यपाल ने कहा कि वित्तीय लेन-देन के लिये विश्वविद्यालय में 10 खाते से अधिक न हो, शेष खातों को शीघ्र बंद करने की कार्यवाही की जाये। निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए उन्होंने निर्देश दिया कि कार्यदायी संस्थाओं के साथ बैठकर कार्यों की समीक्षा करें तथा समयानुसार सभी कार्य को करने की कार्यवाही करें। राज्यपाल ने समस्त स्टाफ को कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिलाये जाने के भी निर्देश दिये।

इस अवसर पर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव श्री महेश कुमार गुप्ता, विशेष कार्याधिकारी शिक्षा श्री पंकज जाॅनी, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी कुलपति प्रो0 आनंद कुमार त्यागी, तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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