राष्ट्रीय

मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिये जाने पर बल दिया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर बल देते हुए कहा कि प्रगतिशील किसानों को इसे अपनाकर आगे बढ़ाना चाहिए। प्राकृतिक खेती से कृषि लागत पांच से दस गुना कम की जा सकती है। इसके उत्पादों की गुणवत्ता भी काफी अच्छी होती है। वर्तमान में कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती खेती लागत कम करने और उत्पादन बढ़ाने की है।

इस सम्बन्ध में प्राकृतिक खेती एक नये विकल्प के रूप में सामने आयी है। इसलिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर आयोजित कृषक समृद्धि आयोग की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने निर्देश दिए कि आयोग के सदस्यों के सुझावों पर कार्यवाही करके प्रगति से अगली बैठक में अवगत कराया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा जनवरी, 2020 में गंगा यात्रा आयोजित की गयी। इस सम्बन्ध में कानपुर में एक विशेष प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किया गया। उन्होंने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री जी की नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में किये जा रहे प्रयासों को प्रभावी ढंग से अपनाये जाने पर भी बल दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि निराश्रित गोवंश की तस्करी रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2018 में निराश्रित गो आश्रय स्थल प्रारम्भ किये गये। प्रदेश में 05 हजार 400 से अधिक निराश्रित गो आश्रय स्थल स्थापित किये गये हैं। इनमें 07 लाख 50 हजार से अधिक निराश्रित गोवंश संरक्षित हैं। सहभागिता योजना के अन्तर्गत निराश्रित गोवंश को पालने के इच्छुक परिवारों को दिया जा रहा है।

साथ ही, गोवंश के लिए प्रति गोवंश 900 रुपये प्रतिमाह की धनराशि प्रदान की जा रही है। कुपोषण से सुपोषण के लिए पोषण मिशन के तहत कुपोषित बच्चे, गर्भवती व धात्री मां वाले परिवारों को निराश्रित गोवंश में से ब्यायी गाय दी जाती है। साथ ही, गोवंश के पालन के लिए सम्बन्धित परिवार को 900 रुपये प्रतिमाह की धनराशि दी जाती है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को अपनाने से गोवंश का भी समाधान होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 से पहले आढ़तियों से प्रोक्योरमेण्ट किया जाता था। वर्तमान राज्य सरकार ने सीधे किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादों की खरीद की तथा उपज मूल्य का सीधे उनके बैंक खाते में भुगतान कराया। वर्तमान प्रदेश सरकार ने गन्ना किसानों का बकाया भुगतान सुनिश्चित किया। प्रदेश में सिंचाई क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि की गयी। वर्षाें से लम्बित परियोजनाओं को पूरा किया गया। कृषि विज्ञान केन्द्रों को सक्रिय किया गया। प्रदेश सरकार द्वारा सकारात्मक सोच के साथ कार्याें को आगे बढ़ाने से कृषि क्षेत्र में काफी सुधार हुआ।

मुख्यमंत्री ने एफ0पी0ओ0 के माध्यम से कृषि को आगे बढ़ाने पर बल देते हुए कहा कि यह किसानों की आमदनी में वृद्धि में सहायक है। एफ0पी0ओ0 द्वारा क्लस्टर फॉर्मिंग और प्राकृतिक खेती को अपनाये जाने से भी आमदनी बढ़ाने में मद्द मिलेगी। उन्हांेने फसलों के विविधीकरण पर जोर देते हुए कहा कि किसानों के समूहों को बाजार की जरूरतों के अनुसार उत्पादन के लिए तैयार किया जाना चाहिए।

बैठक में अतिथियों का स्वागत करते हुए कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश में कृषि व कृषकों के कल्याण से सम्बन्धित कार्यक्रमों को मिशन मोड में आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद हो रही है। प्रधानमंत्री जी के संकल्प के अनुसार मृदा जांच के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया है। ‘नमामि गंगे’ के तहत 27 जनपदों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश में 20 नये कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित कर कृषकों को कृषि की आधुनिक तकनीकी से परिचित कराने का कार्य किया गया है।

बैठक को सम्बोधित करते हुए नीति आयोग के सदस्य एवं कृषक समृद्धि आयोग के उपाध्यक्ष डॉ0 रमेश चन्द्र ने कहा कि देश में प्रदेश सरकार द्वारा नीति आयोग के सुझावों पर सर्वाधिक काम किया गया है। फल और सब्जी, अण्डा, मत्स्य उत्पादन वृद्धि में उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों से आगे रहा है। उन्होंने राज्य में धान व गेहूं की उत्पादकता बढ़ाने पर बल देते हुए उत्पादन लागत कम करने के सम्बन्ध में अपने सुझाव दिये। उन्होंने प्रदेश में मक्का और तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दिये जाने का सुझाव दिया। बैठक के दौरान आयोग के सदस्यों द्वारा प्रदेश में कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने तथा किसानों के कल्याण के सम्बन्ध में सुझाव दिये गये।

अपर मुख्य सचिव कृषि श्री देवेश चतुर्वेदी ने बैठक के दौरान एक प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने बताया कि प्रदेश का देश के कृषि क्षेत्र में 11.09 प्रतिशत तथा देश के खाद्यान्न उत्पादन में 20 प्रतिशत योगदान है। वर्ष 2020-21 में राज्य में सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन 619.47 लाख मीट्रिक टन हुआ। लगातार तीसरी बार वर्ष 2020-21 में 600 लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद्यान्न उत्पादन हुआ। वर्ष 2020-21 में उद्यान (फल एवं सब्जी) का उत्पादन 403.78 लाख टन रहा। इसी प्रकार वर्ष 2020-21 में दूध का उत्पादन 305 लाख मीट्रिक टन हुआ।

किसानों की आय दोगुनी करने हेतु राज्य सरकार द्वारा कृषि उपज के उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने, किसानों की उपज के बेहतर मूल्य हेतु कृषि विपणन में सुधार, सस्टेनेबल कृषि के द्वारा खेती बाड़ी में होने वाले व्यय को कम किये जानेे, कृषि विविधीकरण-(उच्च मूल्य की फसल हेतु) तथा कृषि सेक्टर में गवर्नेंस रिफॉर्म्स, नीतिगत सुधार एवं अवस्थापना विकास की रणनीति के तहत कार्य किया गया।

प्रदेश में वर्ष 2016-17 में 558 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ। इसके सापेक्ष वर्ष 2020-21 में 619.47 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ। इसी प्रकार वर्ष 2016-17 के 12.41 लाख मीट्रिक टन सापेक्ष वर्ष 2020-21 में 17.95 लाख मीट्रिक टन तिलहन उत्पादन हुआ। वर्ष 2016-17 के 277.697 लाख मीट्रिक टन सापेक्ष वर्ष 2020-21 में 305 लाख मीट्रिक टन दुग्ध उत्पादन हुआ। वर्ष 2016-17 के 383.19 लाख मीट्रिक टन सापेक्ष वर्ष 2020-21 में 403.78 लाख मीट्रिक टन फल एवं सब्जी का उत्पादन हुआ। वर्ष 2016-17 के 6.18 लाख मीट्रिक टन सापेक्ष वर्ष 2020-21 में 7.47 लाख मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन हुआ।

वर्ष 2016-17 में 1486.57 लाख मीट्रिक टन गन्ना उत्पादन के सापेक्ष वर्ष 2020-21 में 2232.82 लाख मीट्रिक टन गन्ना उत्पादन हुआ। इसी प्रकार वर्ष 2016-17 के 87.73 लाख मीट्रिक टन सापेक्ष वर्ष 2020-21 में 110.59 लाख मीट्रिक टन चीनी उत्पादन हुआ। गन्ना उत्पादकता वर्ष 2016-17 मंे 72.38 टन प्रति हेक्टेयर थी, जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 81.5 टन प्रति हेक्टेयर हो गयी। वर्ष 2012 से 2017 में हुए 95 हजार करोड़ रुपये गन्ना मूल्य भुगतान के सापेक्ष वर्ष 2017 से 2021 के मध्य 1.51 लाख करोड़ रुपये गन्ना मूल्य भुगतान किया गया।

वर्तमान सरकार में पिछली सरकार के मुकाबले गेहूं तथा धान की दोगुनी से ज्यादा खरीद की गयी। वर्ष 2012-13 से वर्ष 2016-17 तक धान की कुल खरीद 123.61 लाख मी0 टन थी, जो वर्ष 2017-18 से वर्ष 2021-22 तक 256.94 लाख मी0 टन हो गयी है, जिससे लगभग 38 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। इन कृषकों को वर्तमान प्रदेश सरकार ने अपने कार्यकाल में 43.91 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया है।

वर्ष 2012-13 से वर्ष 2016-17 तक गेहूं की कुल खरीद 94.38 लाख मी0 टन थी, जो वर्ष 2017-18 से वर्ष 2020-21 तक बढ़कर 219.19 लाख मी0 टन हो गयी है। इससे 46.67 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं, जिन्हें वर्ष 2021-22 तक 40.15 हजार करोड़ रुपये का प्रदेश सरकार द्वारा भुगतान किया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2018-19 से दलहन एवं तिलहन की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है।

किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने के लिए कृषि विपणन में सुधार किये गये। कोविड के दौरान वर्ष 2020 में 45 फल व सब्जियों को मण्डी शुल्क से मुक्त किया गया, जिससे किसान अपनी उपज को बिना बाधा के बेच सकें। इन उपजों पर मण्डी में व्यापार होने पर मात्र 01 प्रतिशत यूजर चार्ज देय है। 27 मण्डियों का आधुनिकीकरण किया गया। लगभग 54 ग्रामीण हाटों का निर्माण कराया गया। कुल 220 अधिसूचित मण्डियों में से 125 में ई-नाम व्यवस्था लागू है।

इस अवसर पर इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र, कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक सिन्हा, अपर मुख्य सचिव एम0एस0एम0ई0 एवं सूचना श्री नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव सिंचाई श्री टी0 वेंकटेश, अपर मुख्य सचिव उद्यान श्री एम0वी0एम0 रामीरेड्डी, अपर मुख्य सचिव चीनी मिलें श्री संजय भूसरेड्डी, अपर मुख्य सचिव वन श्री मनोज सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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