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मुख्यमंत्री ने खादी महोत्सव एवं सिल्क एक्सपो-2021 का उद्घाटन किया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज यहां खादी महोत्सव एवं सिल्क एक्सपो-2021 का उद्घाटन किया। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर खादी के सूत की माला से माल्यार्पण किया। उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा चरखे से सूत भी काटा। इस कार्यक्रम का आयोजन आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड एवं रेशम विभाग द्वारा आयोजित यह प्रदर्शनी 30 अक्टूबर, 2021 तक चलेगी।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पं0 दीन दयाल खादी विपणन विकास सहायता योजना, मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना एवं प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के लभार्थियों को चेक, ऋण स्वीकृति प्रमाण पत्र एवं राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किये। साथ ही, पं0 दीन दयाल उपाध्याय रेशम उत्पादकता पुरस्कार भी वितरित किये। इसके पूर्व, उन्होंने सोलर चरखे, विद्युत चालित चाक, दोना-पत्तल मशीनें एवं माटी कला बोर्ड के लाभार्थियों को टूलकिट वितरित किये।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदर्शनी के अवलोकन व टूलकिट वितरण कार्यक्रम में भारी वर्षा के बाद भी बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति रही। यह उनके धैर्य को दर्शाता है। इसी धैर्य से स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को आजाद कराया था। उन्होंने कहा कि आज पुनः खादी के जश्न का अवसर है। खादी स्वदेशी, सम्मान तथा स्वावलम्बन का प्रतीक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस सदी की सबसे बड़ी महामारी के दौरान देश को ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मंत्र दिया। आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त किये बगैर कोई देश व कोई समाज सम्मानपूर्वक अपने जीवन को आगे नहीं बढ़ा सकता और न ही स्वावलम्बन का जीवन गुजर-बसर कर सकता है। प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये ‘वोकल फॉर लोकल’ को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग द्वारा प्रदेश में देशी, स्वदेशी व स्थानीय उत्पादों को तकनीक से जोड़ते हुए आगे बढ़ाने का कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘एक जनपद एक उत्पाद योजना’, ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ तथा माटी कला बोर्ड से जुड़ी योजनाएं आज प्रदेश में एक ब्राण्ड के रूप में उभरी हैं। आने वाला समय खादी का है। खादी के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। इस महोत्सव एवं प्रदर्शनी के प्रति लोगों में विशेष आकर्षण देखने को मिला है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि खादी पहले से ही अपने आप में आजादी का ब्राण्ड था। अब वह ‘आत्म निर्भर भारत’ का ब्राण्ड बनने जा रहा है। खादी ने आजादी के लिये संघर्षरत स्वतंत्रता सेनानियों को एक मंच प्रदान किया था। खादी आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्पों को आगे बढ़ाने में ब्राण्ड के रूप में कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि खादी की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। ग्रामीण महिलाएं घरेलू कार्यों के पश्चात खादी के उत्पादन में अपनी भागीदारी निभाएं, तो उन्हें आय के साधन प्राप्त होंगे, वह स्वावलम्बी बनेंगी और उनका परिवार खुशहाल होगा। इससे ग्राम स्वराज की परिकल्पना को साकार करने में मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड ने प्रधानमंत्री की प्रेरणा से खादी के उत्पादन को नयी तकनीकी से जोड़ा है। खादी को मैनुअल चरखे के बजाए सोलर चरखे से जोड़ा गया है, जो कामगारों की आय बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहा है। वर्तमान सरकार ने प्रदेश में परम्परागत उद्योग को बढ़ावा देने के लिये ‘एक जनपद एक उत्पाद योजना’ प्रारम्भ की। प्रदेश मंे परम्परागत उद्यम को तकनीक से जोड़कर एक नया आयाम दिया गया। कुम्हारी कला को विशेष महत्व दिया गया है। इसका परिणाम है कि चीन से आने वाली मूर्तियां प्रदेश में बनायी जा रही मूर्तियों के सामने टिक नहीं पायेंगी ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी की दर मंे कमी आयी है। उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी आबादी का राज्य है। प्रदेश में वर्ष 2017 में बेरोजगारी दर 17 से 18 प्रतिशत थी। आज वह घटकर मात्र 05 प्रतिशत के स्तर पर रह गयी है, जो यह दर्शाता है कि राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भ की योजनाएं प्रभावी ढंग से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगार नवयुवकों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रदेश सरकार के सहयोग से ‘मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना’ तथा भारत सरकार के सहयोग से ‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ का संचालन किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार मिलकर रोजगार सृजन के बेहतरीन प्रयास कर रही हैं। इन बेहतरीन प्रयासों के परिणामस्वरूप विगत 04 वर्षों में इन योजनाओं में 01 लाख 86 हजार से अधिक व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में लगभग 50 हजार व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। पं0 दीन दयाल उपाध्याय खादी विपणन विकास सहायता योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2021-21 तक 307 खादी संस्थाओं के 33 करोड़ 37 लाख 62 हजार रुपए के दावों का भुगतान किया गया है। इसमें खादी संस्थाओं में कार्यरत 01 लाख 61 हजार 345 कामगारों को 09 करोड़ 52 लाख 92 हजार रुपए के प्रोत्साहन बोनस का भुगतान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में 136 खादी संस्थाओं को 04 करोड़ 87 लाख 35 हजार रुपए के दावों का भुगतान किया गया। इसमें 25,474 कामगारों को 01 करोड़ 65 लाख 70 हजार रुपये प्रोत्साहन बोनस का भुगतान किया गया। उन्होंने कहा कि खादी एवं ग्रामोद्योगी उत्पादों के वृहद स्तर पर प्रचार-प्रसार एवं खादी उत्पादों को आम जनमानस में लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से ग्रामोद्योगी प्रदर्शनियों का राष्ट्रीय, राज्य, मण्डल एवं जनपद स्तर पर आयोजन कराया जाता है। खादी और ग्रामोद्योग विकास एवं सतत स्वरोजगार प्रोत्साहन नीति के अन्तर्गत टूलकिट्स कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत खादी उत्पादन में वृद्धि एवं खादी कामगारों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से खादी संस्थाओं को निःशुल्क सोलर चरखे का वितरण किया गया है

मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत 03 वर्षाें में 3,803 लाभार्थियों को निःशुल्क टूलकिट्स तथा सोलर चरखे, विद्युत चालित कुम्हारी चाक, दोना-पत्तल मशीन एवं आधुनिक भट्ठी/पगमिल वितरित किये गये हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2,501 टूलकिट्स के वितरण का लक्ष्य है। यहां पर उपस्थित कारीगर, हस्तशिल्पियों को आज टूलकिट उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि खादी और ग्रामोद्योग विकास एवं सतत स्वरोजगार प्रोत्साहन नीति के अन्तर्गत भुर्जी समाज के परम्परागत एवं अन्य कारीगरों को निःशुल्क आधुनिक मशीन (पॉपकॉर्न मेकिंग मशीन) तथा दोना-पत्तल कार्य में लगे परम्परागत एवं अन्य सम्बन्धित कारीगरों को निःशुल्क दोना-पत्तल मेकिंग मशीनों का वितरण कराया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश के कुल 57 जनपदों में 03 अलग प्रकार के रेशम का उत्पादन होता है। मैदानी क्षेत्र के 44 जनपदों में शहतूती रेशम, विंध्याचल व बुन्देलखण्ड के 13 जनपदों में टसर रेशम तथा यमुना के तटीय 08 जनपदों में एरी रेशम का उत्पादन होता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की रेशम की खपत 03 हजार मीट्रिक टन है। यहां रेशम व्यवसाय के लिये अपार सम्भावनाएं हैं। उस दृष्टि से इसको प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है, जबकि रेशम का उत्पादन 300 मीट्रिक टन है।

रेशम उत्पादन हेतु वृक्षारोपण, कोया उत्पादन व धागाकरण हेतु केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा सामान्य वर्ग के लाभार्थियों को 75 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को 90 प्रतिशत उत्पादन का अनुदान तथा निःशुल्क प्रशिक्षण एवं तकनीकी सहायता दी जाती है।

मुख्यमंत्र ने कहा कि परम्परागत खेती की तुलना में रेशम उत्पादन द्वारा कृषक लगभग दो गुनी आय अर्जित कर सकते हैं। इसके दृष्टिगत वर्तमान राज्य सरकार द्वारा रेशम उत्पादन में वृद्धि के लिए अनेक कदम उठाये गये हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में, प्रदेश के लाभार्थी प्रशिक्षण के लिए राज्य से बाहर कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश जाते थे। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2018 में मिर्जापुर स्थित ‘लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल राजकीय प्रशिक्षण संस्थान’ का निर्माण पूर्ण कराकर प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोई भी उन्नत किस्म की रीलिंग मशीन नहीं थी।

वर्तमान सरकार द्वारा वर्ष 2019 में जनपद पीलीभीत और बहराइच में एक-एक रीलिंग मशीन की स्थापना कराकर प्रदेश में ही धागाकरण कराया जा रहा है। इस वित्तीय वर्ष में 13 और रीलिंग मशीनों की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है। यह मशीनें इसी वित्तीय वर्ष में स्थापित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि शहतूती रेशम में मुख्यतः 03 से 04 फसलें ली जा रही थीं। उपरोक्त का अध्ययन एवं विश्लेषण कर वर्ष 2019 से प्रतिवर्ष 05 से 06 फसलें लिये जाने का प्रयोग किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जलवायु के अनुकूल अनुसंधान करने हेतु कोई केन्द्र न होने के दृष्टिगत प्रदेश सरकार द्वारा केन्द्रीय रेशम बोर्ड, भारत सरकार की मांग पर लखनऊ में क्षेत्रीय रेशम अनुसंधान केन्द्र की स्थापना हेतु 05 एकड़ भूमि उपलब्ध करा दी गयी है। इस अनुसंधान केन्द्र की स्थापना का कार्य भारत सरकार के स्तर पर विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में अनुसंधान केन्द्र की स्थापना के लिये प्रयासरत है। इसकी स्थापना से प्रदेश में बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन होगा और किसानों की आमदनी बढ़ाने में काफी मदद मिलेेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि खादी महोत्सव का यह कार्यक्रम दीपावली से ठीक पूर्व तक चलेगा। उन्होंने कहा कि दीपावली के अवसर पर लोगों में उपहार देने की एक परम्परा है। प्रदेश में आये किसी भी राज्य अतिथि को प्रदेश सरकार द्वारा परम्परागत उद्योग से जुड़े उत्पाद उपहार स्वरूप दिये जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भी लोगों को मांगलिक अवसरों पर खादी या परम्परागत उद्योगों के उत्पादों को उपहार स्वरूप देना चाहिए। इससे खादी को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि स्वदेशी ही सबके सम्मान और स्वावलम्बन का आधार बन सकता है।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के सपने को धरातल पर उतारा है। मुख्यमंत्री ने नेतृत्व में प्रदेश में खादी को निरन्तर प्रोत्साहन दिये जाने से आज उत्तर प्रदेश के खादी उत्पाद दक्षिण भारत के खादी उत्पादों से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि खादी आजादी का प्रतीक बनने के साथ-साथ फैशन का भी प्रतीक बने। इसे ध्यान में रखते हुए इस खादी महोत्सव के कार्यक्रम में फैशन शो का आयोजन भी किया जा रहा है। खादी को विदेशों में बड़े स्टोरों में पहुंचाने का कार्य भी किया जा रहा है।

इस अवसर पर राज्य मंत्री खादी एवं ग्रामोद्योग चौधरी उदयभान सिंह ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये कहा कि महात्मा गांधी ने आजादी की लड़ाई लड़ने से पहले उसकी गहराई में जाकर यह विचार किया था कि जब तक देश स्वदेशी के मामले में आत्मनिर्भर नहीं होगा, गांव के कुटीर उद्योग फिर से जीवन्त नहीं होंगे, तब तक भारत आत्मनिर्भर नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में खादी ने अपनी करवट बदली है। प्रदेश में खादी के प्रति लोगों का रूझान बदला है।

इस अवसर पर औद्योगिक विकास राज्य मंत्री श्री धर्मवीर सिंह, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष श्री गोपाल अन्जान, अपर मुख्य सचिव एम0एस0एम0ई0, खादी एवं ग्रामोद्योग एवं सूचना श्री नवनीत सहगल सहित शासन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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