
महंगाई गिरावट के रास्ते पर, कच्चे तेल की कीमतों पर नजर रखने की जरूरत – RBI गवर्नर दास
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि महंगाई को लेकर रुख गिरावट के रास्ते पर है। और केंद्रीय बैंक कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने और आर्थिक ग्रोथ सुनिश्चित करने की जरूरत के बीच संतुलन बनाने की कोशिश जारी रखेगा। दास ने कहा कि रिजर्व बैंक का महंगाई का अनुमान मजबूत है।
लेकिन वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उथल-पुथल के साथ जुड़े जोखिमों पर सावधान है। उन्होंने कहा कि आरबीआई एक खास रेंज को विचार में लेता है। जिसमें कच्चे तेल की कीमतों के जाने की उम्मीद है। इसके लिए वह उन सभी कारणों को देखता है। जिनकी संभावना है और जो आज की स्थिति में हो सकते है।
दास आरबीआई की सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक के बाद सवालों का जवाब दे रहे थे। बैठक को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी संबोधित किया था। गवर्नर ने कहा कि हमारे महंगाई के अनुमान, वे कहेंगे कि काफी मजबूत है। और वे उसके साथ खड़े है। अगर कुछ ऐसी चीज होती है। जिसका कुछ भी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। जिसकी कोई उम्मीद नहीं कर सकता है, वह अलग है।
बेस इफेक्ट का असर अगले कुछ महीने देखने को मिलेगा – दास
उन्होंने आगे कहा कि कच्चे तेल की कीमतें एक वजह है। जिससे मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम बन सकता है। उन्होंने कहा कि मूल्य स्थिरता निश्चित रूप से उनके दिमाग में है। इसका आशय मुद्रास्फीति के लक्ष्य पर टिके रहने से है। रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को जानता है। और साथ ही उसे वृद्धि के उद्देश्य की भी जानकारी है।
दास ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर से मुद्रास्फीति का रुख नीचे की ओर है। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से सांख्यकीय कारणों की वजह से विशेषरूप से तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति ऊंची दिख रही है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इसी बेस इफेक्ट का असर अगले कुछ महीने के दौरान भी दिखेगा।
रिजर्व बैंक ने पिछले हफ्ते कहा था कि सकल मुद्रास्फीति (हेडलाइन इनफ्लेशन) चालू वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में ऊपर जाएगी। लेकिन यह संतोषजनक दायरे में बनी रहेगी। इसके बाद 2022-23 की दूसरी छमाही में यह घटकर लक्ष्य के पास आएगी।