
प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण दीवाली के पटाखे, इनपर पूरा प्रतिबंध लगाने की जरूरत- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में पटाखा निर्माताओं के खिलाफ दायर याचिका पर कल भी सुनवाई जारी रहेगी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में पटाखा निर्माताओं के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। जिसको लेकर आज सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील शंकरनायाण ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण दीवाली के दौरान पटाखे होते है। ऐसे में पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध जारी रहना चाहिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों के बावजूद पटाखों के निर्माण और यातायात को लेकर उल्लंघन जारी है। जिसके खिलाफ कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान नेताओं पर तंज कसते हुए कहा, चुनाव जीतने के बाद पटाखे जलाए जाते है। जिनकी जिम्मेदारी है आदेश लागू कराने कि वही उल्लंघन कराते है। हजार नहीं दसियों हजार बार ऐसे उल्लंघन होता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में कोई रियायत नहीं बर्दाश्त करेंगे। हम समुचित आदेश देंगे।
पटाखों से कोई बाथरूम में धूम्रपान नहीं करेगा’
वकील शंकरनारायण ने आगे फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते कई साल में कई आदेश दिए है। ऑनलाइन सेल, पटाखों का निर्माण, लाइसेंस और लेबलिंग जैसे मुद्दों पर भी अदालत ने आदेश दिए है। शंकरनारायणन ने आगे कहा कि पटाखे नशीले पदार्थ नहीं हैं कि कोई इससे बाथरूम में धूम्रपान करेगा. यह दण्ड से मुक्ति के साथ चल रहा है और कार्यपालिका न्यायालय के आदेशों को लागू करने में विफल रही है।
पटाखों पर किए गए सर्वे के मुताबिक, वकील शंकरनारायण ने बताया कि हर शहर में लगभग 300 से ज्यादा पटाखे आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
वकील शंकरनारायणन के मुताबिक पटाखा निर्माताओं से समझौता कर उन्हें प्रमाण पत्र देना है। उन्होंने आगे बताया कि बाजार में सिर्फ पांच तरह के ग्रीन पटाखों को ही मंजूरी मिली थी लेकिन बाजार में तमाम तरह के पटाखे बिक रहे है।
शंकरनारायण ने केंद्र पर निशाने साधते हुए कहा, केंद्र ने भी अदालत के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया। जबकि पिछले साल पूरे देश में प्रतिबंध के आदेश का अनुपालन कराने का आश्वासन दिया था. ऐसे में तीन अवमानना याचिकाएं हैं। जिन पर अदालत को गौर करना है. वहीं पटाखो के निर्माण और यातायात को लेकर पूरे देश में आदेश जारी करने को लेकर वकील शंकरनायाण फिर से जोर दिया उन्होंने कहा, सभी त्यौहार पर अदालत के आदेश का उल्लंघन किया जाता है।