
पीली पगड़ी बांधकर गाजीपुर बॉर्डर पर किसान मना रहे शहीदी दिवस
आज पूरा देश शहीदी दिवस मना रहा है। आज के दिन देश के तीन वीर सपूत भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए थे। काउंसिल हाउस (वर्तमान संसद) में फेंके गए बम की बात करे। तो यह काम 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह के साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर किया था। आज शहीदी दिवस पर पूरा देश भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को याद कर रहा है।
दिल्ली की सरहद (गाजीपुर बॉर्डर) पर चल रहे किसान आंदोलन में आज देशभक्ति का अदभुत नजारा देखने को मिला। आंदोलन के मंच से जहां रोजाना नारेबाजी और किसान समर्थन में संबोधन गूंजते है। वहीं आज मंच से देश भक्ति के तराने सुनाई दे रहे है। किसानों द्वारा शहीदी दिवस मनाया जा रहा है। साढ़े तीन माह से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसान आज शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को पीली पगड़ी पहन कर याद कर रहे है।
भारतीय किसान यूनियन के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने बताया कि शहीदी दिवस पर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को सम्मान प्रकट करने के लिए बॉर्डर पर मौजूद किसान-मजदूर-नौजवानों ने पीली पगड़ी बांधी है। आज दिनभर मंच से भी वीर सपूतों की गाथाएं सुनाईं जाएंगी।
शाम 4:00 बजे मंच का समापन होगा। जिसके बाद गाजीपुर बॉर्डर आंदोलन स्थल पर शहीद-ए-आजम स्वाभिमान मार्च निकलेगा। जिसमें हजारों की संख्या में किसान मजदूर और नौजवान शामिल होंगे। जो किसान खेती किसानी के कार्यों में मसरूफियत के चलते गांव से बॉर्डर नहीं पहुंच पाए हैं वह अपने गांव में ही पीली पगड़ी बांधकर शहीदी दिवस मना रहे है।
शहीदी दिवस पर उत्तर प्रदेश उत्तराखंड समेत विभिन्न राज्यों से किसान मजदूर और नौजवान गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे है। शहीदी दिवस पर देश का किसान, मजदूर और नौजवान सरकार को यह बताना चाहता है कि और गुलामी किसी भी रूप में स्वीकार नहीं है।
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानून किसान और मजदूर के लिए किसी न किसी तरीके से गुलामी लाने वाले है। किसान और मजदूर को न तो तीनों कृषि कानून स्वीकार है और ना ही किसी तरह की गुलामी स्वीकार है।



