पवन हंस बिकने को तैयार
पिछले साल दिसंबर में सरकार ने पवन हंस लिमिटेड के रणनीतिक विनिवेश के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू किए थे. पवन हंस में सरकार की 51% हिस्सेदारी है. बाकी 49% हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की ONGC के पास है.
नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की हेलीकॉप्टर ऑपरेटर कंपनी पवन हंस के निजीकरण के लिए सरकार ने ‘Expressions Of Interests-EOI’ (रुचि पत्र) आमंत्रित किए थे। सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांता पांडे ने एक ट्वीट में इस बात की जानकारी दी है कि पवन हंस के निजीकरण की प्रक्रिया अब दूसरे चरण में जाएगी।
निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने कहा कि पवन हंस के लिए उसे विभिन्न कंपनियों से EOI मिले हैं। सरकार के विनिवेश कार्यक्रम का जिम्मा इसी विभाग के पास है। हालांकि पांडे ने पवन हंस खरीदने में रुचि रखने वालों का नाम नहीं बताया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि पवन हंस का निजीकरण 2021-22 में पूरा कर लिया जाएगा। अगले वित्त वर्ष में एयर इंडिया का विनिवेश भी पूरा होना है।
आम बजट 2021 के भाषण में निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोविड-19 के बावजूद हमने रणनीतिक विनिवेश की दिशा में काम किया है। बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल, पवन हंस, नीलाचल इस्पात निगम जैसे कई लेनदेन 2021-22 में पूरे हो जाएंगे।
पिछले साल दिसंबर में सरकार ने पवन हंस लिमिटेड के रणनीतिक विनिवेश के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू किए थे। पवन हंस में सरकार की 51% हिस्सेदारी है। बाकी 49% हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की ONGC के पास है। सरकार ने पवन हंस में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने का लक्ष्य रखा है। साथ ही खरीदने वाली इकाई के पास ONGC की 49% हिस्सेदारी खरीदने का विकल्प होगा। ONGC के निदेशक मंडल ने भी सरकार द्वारा तय शर्तों के आधार पर ही पवन हंस में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने को अनुमति दे दी है।
दीपम ने पिछले साल दिसंबर में पवन हंस की बिक्री के लिए इन्फॉर्मेशन मेमोरेंडम जारी किया था। उसने 19 जनवरी तक इसके लिए EOI आमंत्रित किए थे। पवन हंस को खरीदने के लिए कोई भी निजी या सरकारी कंपनी के साथ-साथ सीमित जवाबदेही वाली पार्टनरिशिप फर्म, भारत या विदेश में पंजीकृत कॉरपोरेट इकाई, सेबी में रजिस्टर वैकल्पिक निवेश कोष, बोलियां लगा सकती हैंं जबकि केंद्र सरकार की 51% भागीदारी वाले केंद्रीय लोक उपक्रम या सहकारी समिति को इसके लिए बोली लगाने की अनुमति नहीं हैं।
पवन हंस लिमिटेड 43 हेलीकॉप्टरों के बेड़े के साथ दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता है। पवन हंस अन्य चीजों के अलावा हेलीकॉप्टर सेवाएं, हेली-टूरिज्म, सीप्लेन सेवाएं, छोटे फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट सेवाएं, प्रशिक्षण और कौशल विकास प्रदान करने में शामिल हैंं।
पवन हंस लिमिटेड के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों का न्यूनतम नेटवर्थ 300 करोड़ रुपये होना चाहिए। पवन हंस लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2019-20 में 376 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया और कुल 28 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।