राष्ट्रीय

नड्डा को भाजपा ने बहुत बड़ी जिम्मेदारी दे तो दी है, क्या वह अपेक्षाओं पर खरे उतर पाएंगे

भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक धरातल को मजबूती देने, उसके संगठन के आधार को सुदृढ़ बनाने, उसका जनाधार बढ़ाने एवं विभिन्न राज्यों एवं लोकसभा चुनाव में जीत के नये कीर्तिमान गढ़ने की दृष्टि से राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अपने नये कार्यकाल में अग्रसर हो रहे हैं। प्रतीक्षा और कयासों को विराम देते हुए भाजपा ने उनका कार्यकाल वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव तक बढ़ा दिया है।

एक बड़ी चुनौती के रूप में वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव एवं वर्ष 2023 में नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव हैं। नड्डा ने न केवल देश के निराशाजनक आर्थिक परिदृश्य, महंगाई और बेरोजगारी के बीच पार्टी की पताका लहराने का बल्कि नौ ही विधानसभा चुनावों में शानदार जीत दिलाने का संकल्प व्यक्त किया है। जेपी आंदोलन से सुर्खियों में आए नड्डा विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का सफल नेतृत्व कर राजनाथ सिंह एवं अमित शाह के नेतृत्व में आये स्वर्ण युग को जारी रखा है और अब एक नये अभ्युदय की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।

एक जमीनी कार्यकर्ता से ऊपर उठकर राजनीति में चमकते सितारे की तरह जगह बनाने वाले नड्डा राजनीतिक कौशल में महारथ हासिल कद्दावर के नेता हैं। अनेक सफलताओं एवं कीर्तिमानों के बीच कुछ हार भी उनकी झोली में गिरी है। गुजरात में भाजपा की शानदार जीत के उत्साह के साथ अध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ने का ईनाम मिला तो है लेकिन गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में सरकार खोने का दर्द भी है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के पंजाब तक पहुंचना एवं दिल्ली के निकाय चुनावों में अपेक्षित जीत न मिल पाना भी भाजपा के लिए संकट के रूप में है।

बावजूद नड्डा ने भाजपा के ताज में मणि ही जड़े हैं। भाजपा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले नड्डा को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आशीर्वाद, अटूट विश्वास और अमित शाह का पूरा समर्थन मिला। राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में नड्डा की राह में असली चुनौतियों एवं संघर्ष की भरमार अब सामने है। यही उनके लिये असली परीक्षा का समय भी है, जब उन्हें वर्ष 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव वर्ष 2024 के आम चुनावों में अपनी क्षमता, राजनीतिक कौशल और सामर्थ्य को दर्शाना है।

एक उत्कृष्ट संगठनात्मक नेता के रूप में जेपी नड्डा का पिछला अध्यक्षीय कार्यकाल संतोषजनक ही नहीं, बल्कि यशस्वी, उत्साहवर्धक एवं करिश्माई रहा है। उन्होंने अपने कार्यकाल में विधानसभा चुनावों में 70 फीसदी से अधिक सफलताएं हासिल की हैं। वर्ष 2024 तक के लिए उनके कार्यकाल का विस्तार उनकी उच्चस्तरीय क्षमता को ही प्रदर्शित करता है। नड्डा के समक्ष अपने गठबंधन साझेदारों को साथ लेकर चलने समेत कई चुनौतियां हैं। एनडीए का साथ छोड़कर कई दलों ने अपनी राह पकड़ ली है। देखा जाए, तो राज्यों में नड्डा की चुनावी सफलताएं निर्बाध रूप से जारी रही हैं।

2019 में भाजपा हरियाणा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और उसने जननायक जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई। बिहार में पार्टी को 74 सीटों पर जीत मिली। कोरोना महामारी के बाद असम, यूपी, मणिपुर, उत्तराखंड और गुजरात में चुनावी सफलता मिली। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना कि नड्डा को अब कर्नाटक की सत्ता में फिर से वापसी को लेकर बड़ी योजना तैयार करनी होगी। इसी तरह तेलंगाना पर विशेष कार्ययोजना बनानी होगी। उत्तर भारत के प्रमुख राज्यों में भी इस वर्ष चुनाव होने हैं, जो बड़ी चुनौती लिए हुए हैं।

पटना में 1960 में जन्में नड्डा ने बीए और एलएलबी की परीक्षा पटना से पास की थी और शुरू से ही वे एबीवीपी से जुड़े हुये थे। अपने राजनीतिक कैरियर में नड्डा जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, केरल, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के प्रभारी और चुनाव प्रभारी रहे। वे केन्द्र सरकार में मंत्री के रूप में भी अपनी सफलततम पारी खेल चुके हैं। संघ से तालमेल बिठाने एवं चुनाव जीतने की इन दो बड़ी चुनौतियों का सफल निर्वहन कर उन्होंने भाजपा को अमाप्य ऊंचाइयां प्रदान की हैं।

भले ही वे दिल्ली में आम आदमी पार्टी को कमजोर करने में नाकाम रहे हैं, लेकिन उसकी तेज धार चुनौतियों को निस्तेज करने की दिशा में कदम बढ़ाये हैं। अब नड्डा को बड़ी जिम्मेदारियां दी गई हैं और जैसा उनका ट्रैक रिकॉर्ड है, इस बात की भी उम्मीद है कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की उन उम्मीदों को कायम रखेंगे, जिनका उद्देश्य भाजपा को नंबर 1 के पायदान पर बरकरार रखना है।

मुख्य चुनौती सहयोगी दलों से तालमेल बिठाने की है। नड्डा के समक्ष अपने गठबंधन साझेदारों को साथ लेकर चलने समेत कई चुनौतियां हैं। वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के बीच एनडीए के 15 सहयोगी पार्टी से छिटक चुके है। लेकिन कई वजह से ये लोकसभा चुनाव परिणामों पर असर नहीं डाल पाए। लेकिन अब भाजपा अलग परिदृश्य का सामना कर रही है। उसके बड़े सहयोगी दल जैसे बिहार में जदयू, महाराष्ट्र में शिवसेना, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल, महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी उससे दूर हैं।

इस वर्ष होने वाले दस विधानसभा चुनाव में भले ही नड्डा ने सभी में जीत हासिल करने का संकल्प व्यक्त किया हो, लेकिन यह इतना आसान नहीं है। मौजूदा समय में मध्य प्रदेश, त्रिपुरा और कर्नाटक में भाजपा की सरकार है, जबकि मेघालय, नगालैंड और मिजोरम में भाजपा एनडीए के साथियों के साथ सरकार में है। कांग्रेस के पास केवल राजस्थान और छत्तीसगढ़ हैं। तेलंगाना में भारतीय राष्ट्र समिति (पूर्व नाम तेलंगाना राष्ट्र समिति) की सरकार है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से जम्मू-कश्मीर में अभी तक चुनाव नहीं हुए हैं।

राजनीतिक नजरिए से नड्डा के लिये यह साल काफी अहम होने वाला है। फरवरी और मार्च के बीच पूर्वोत्तर के तीन राज्यों- त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में चुनाव होंगे। वहीं, अप्रैल-मई में दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होगी। साल के अंत में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना राज्य भी विधानसभा चुनाव का सामना करेंगे। इसी साल केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव हो सकते हैं। इन सभी राज्यों के चुनाव नड्डा के लिये चुनौती भरे हैं।

इन राज्यों में भाजपा के परचम को लहराना नड्डा के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा की राहें सुगम नहीं हैं। यहां नड्डा को एंटी इंकम्बेंसी को तोड़ना है। भाजपा के लिए इन राज्यों में चुनाव जीतना एक टेढ़ी खीर है लेकिन मोदी का जादू अभी बरकरार है एवं नड्डा भी कौशल दिखाने में माहिर हैं, इसलिये इस टेढ़ी खीर को भी मात दी जायेगी। इन राज्यों में सफलता लोकसभा चुनाव में जीत दिलाने में टॉनिक का काम करेगी।

जेपी नड्डा ने जटिल चुनौतियों के समय में पदभार संभाला है। क्योंकि विपक्षी एकता के प्रयास हो रहे हैं, विदेशी ताकतें मोदी की छवि को धूमिल करने पर जुटी हैं, कांग्रेस की भारत जोड़ा यात्रा भी प्रभावी बन रही है, इसलिए 9 राज्यों के चुनाव एवं लोकसभा चुनाव जितवाना उनके लिए एक मुश्किलों भरा लक्ष्य हो सकता है। लेकिन नड्डा के पिछले नेतृत्व में ही बिहार में भाजपा का स्ट्राइक रेट सबसे ज्यादा रहा था।

एनडीए ने महाराष्ट्र में बहुमत हासिल किया, उत्तर प्रदेश में जीत हासिल की और पश्चिम बंगाल में भाजपा की संख्या बढ़ी। गुजरात में भी प्रचंड जीत दर्ज की। यकीन है कि मोदीजी के नेतृत्व में और नड्डाजी के साथ भाजपा 2024 के चुनावों में 2019 से अधिक सीटें जीत ले और नौ राज्यों में भी विलक्षण एवं चमत्कारी परिणाम आ जायें तो कोई आश्चर्य नहीं। अब देखना है कि अगले डेढ़ साल तक जेपी नड्डा इन चुनौतियों से कैसे पार पाते हैं और भाजपा की नैया पार लगा पाते हैं।

राज्‍यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button

mahjong slot

spaceman slot

https://www.saymynail.com/

slot bet 200

slot garansi kekalahan 100

rtp slot

Slot bet 100

slot 10 ribu

slot starlight princess

https://moolchandkidneyhospital.com/

situs slot777

slot starlight princes

slot thailand resmi

slot starlight princess

slot starlight princess

slot thailand

slot kamboja

slot bet 200

slot777

slot88

slot thailand

slot kamboja

slot bet 200

slot777

slot88

slot thailand

slot kamboja

slot bet 200

slot777

slot88

slot thailand

slot kamboja

slot bet 200

slot777

slot88

ceriabet

ceriabet

ceriabet

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

slot starlight princess

ibcbet

sbobet

roulette

baccarat online

sicbo