
तरबूज उत्पादकों ने बिक्री में गिरावट के लिए गोवा-मुंबई राजमार्ग के विस्तार को जिम्मेदार ठहराया
सिंधुदुर्ग – महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के एक गांव में तरबूज उगाने वाले किसानों ने दावा किया है कि पिछले दो वर्षों में गोवा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग के विस्तार के बाद उनकी उपज की बिक्री में गिरावट आई है। कोंकण क्षेत्र के बिबावने गांव के एक किसान ने कहा कि अब वह राजमार्ग पर तरबूजों की बिक्री से प्रतिदिन लगभग 1,500 रुपये कमाता है।
जबकि पहले वह प्रतिदिन 5,000 रुपये कमाता था। क्षेत्र के एक कानून निर्माता ने भी यह कहा कि उन्हें किसानों से ऐसी शिकायतें मिली हैं और वह इस मामले को देख रहे हैं। बिबावने गांव कुडाल कस्बे से पांच किलोमीटर दूर सिंधुदुर्ग में राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है।
एक दशक से अधिक समय से तरबूजों का उत्पादन और बिक्री कर रहे किसान कृष्णकांत गोपाल पुंदुरकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “राजमार्ग का निर्माण हमारे लिए अभिशाप है। जब से बीच में डिवाइडर वाली चौड़ी सड़कों का निर्माण हुआ है, तब से तरबूज का कारोबार डूब गया है।” पुंदुरकर उन कई किसानों में से एक हैं।
जो गोवा-मुंबई राजमार्ग के इस खंड पर अस्थायी दुकान लगाकर तरबूजों की बिक्री से अपना जीवन यापन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजमार्ग का विस्तार शुरू होने से पहले तीन दशकों तक कारोबार फलता-फूलता रहा। पुंदुरकर ने याद किया कि कैसे स्थानीय निवासी अरुण रेगे ने बिबावने में राजमार्ग के किनारे पहली अस्थायी दुकान लगाई थी। तब राजमार्ग संकरा था और इसके दोनों तरफ पेड़ थे।
उन्होंने कहा कि गोवा या मुंबई जाने वाले लोग प्रकृति का आनंद लेने और तरबूज खरीदने के लिए कुछ समय वहां रुकते थे। उन्होंने कहा, “फिर दुकानों की संख्या में वृद्धि हुई। इस क्षेत्र में अब कम से कम 30 दुकाने हैं। पुंदुरकर ने कहा फिर 2021-22 में राष्ट्रीय राजमार्ग का विस्तार किया गया। पेड़ काट दिए गए और चार लेन वाला एक शानदार राजमार्ग बनाया गया और एक डिवाइडर का निर्माण किया गया।
उन्होंने कहा, “जो लोग पहले पेड़ों की छांव में रुकते थे, वे अब इस शानदार राष्ट्रीय राजमार्ग से गुजर जाते हैं। उन्होंने दावा किया कि पहले वह प्रतिदिन लगभग 5,000 रुपये कमाते थे। उन्होंने कहा, आय अब घटकर महज 1,500 रुपये रह गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे तरबूजों का व्यापार सामुदायिक खेती का प्रतीक है।