
खेती को कैमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ने का आह्वान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इससे पहले कि खेती से जुड़ी समस्याएं विकराल हो जाएं। हमें बड़े कदम उठाने का ये सही समय है। हमें अपनी खेती को कैमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना ही होगा। जब मैं प्रकृति की प्रयोगशाला की बात करता हूं तो ये पूरी तरह से विज्ञान आधारित ही है। किसान रासायनिक खादों और कीटनाशकों से मुक्त होकर ही आत्मनिर्भर होगा. जब किसान आत्मनिर्भर होगा तभी देश आत्मनिर्भर होगा. यह वक्त धरती मां को रासायनिक खादों और कीटनाशकों से मुक्त करने का है। वो गुजरात के आणंद में नेचुरल फार्मिंग पर आयोजिक नेशनल कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे।
पीएम मोदी ने निवेशकों से ऑर्गेनिके व प्राकृतिक खेती और उसके उत्पादों की प्रोसेसिंग में निवेश करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया को फूड सिक्योरिटी और प्रकृति से समन्वय का समाधान भारत से देना है। इसके लिए हर किसान को कोशिश करनी होगी। क्लाइमेट चैंज समिट में मैंने दुनिया से लाइफस्टाइल फॉर एनवायरमेंट को ग्लोबल मिशन बनाने का आह्वान किया था। 21वीं सदी में इसका नेतृत्व भारत करने वाला है। भारत का किसान करने वाला है।
हर पंचायत के कम से कम एक गांव में हो शुरुआत
हर पंचायत का कम से कम एक गांव इसकी कोशिश करे। इससे 80 फीसदी छोटे किसानों को फायदा मिलेगा। मोदी ने कहा कि मैं ये नहीं कहता कि एक साथ पूरी खेती को दूसरे पैटर्न पर ले आएं। बल्कि खेती के छोटे से हिस्से से इसकी शुरुआत करें। इसमें फायदा दिखेगा तो धीरे-धीरे आप खुद ही पूरी तरह ऐसी खेती करने लगेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ने बीज से बाजार तक किसानों को हर मौके पर मदद की है। अब वक्त ऐसा है कि हमें खेती के लिए 25 साल का रोडमैप बनाना होगा।
फसल अच्छी नहीं होने का भ्रम
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक ऐसा भ्रम पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी। जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है। पहले केमिकल नहीं होते थे। लेकिन फसल अच्छी होती थी. मानवता के विकास का, इतिहास इसका साक्षी है। उन्होंने कहा कि छोटे किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है। अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी। इसलिए उनसे यही आग्रह है कि वो प्राकृतिक खेती को जनआंदोलन बनाने के लिए आगे आएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि से जुड़े हमारे इस प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की जरूरत है। बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी जरूरत है। इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करने होंगे। प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में ढालना होगा। ये सही है कि केमिकल फर्टिलाइजर ने हरित क्रांति में अहम रोल निभाया है। लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हमें इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करते रहना होगा।