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कल है महाशिवरात्रि, जानें कैसे करें शिव की आराधना,देखें पूजा विधि

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि व्रत रखते है। इस वर्ष महाशिवरात्रि कल यानी 01 मार्च दिन मंगलवार को है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा और व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। यहां जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व।

महाशिवरात्रि व्रत के नियम
शिवरात्रि के दिन भक्तों को सन्ध्याकाल स्नान करने के पश्चात् ही पूजा करनी चाहिए या मंदिर जाना चाहिए।
शिव भगवान की पूजा रात्रि के समय करना चाहिए एवं अगले दिन स्नानादि के पश्चात् अपना व्रत का पारण करना चाहिए।
व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए भक्तों को सूर्योदय व चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए।
लेकिन, एक अन्य धारणा के अनुसार, व्रत के समापन का सही समय चतुर्दशी तिथि के पश्चात् का बताया गया है।
दोनों ही अवधारणा परस्पर विरोधी है। लेकिन, ऐसा माना जाता है की, शिव पूजा और पारण (व्रत का समापन), दोनों ही चतुर्दशी तिथि अस्त होने से पहले करना चाहिए।

रात्रि के चारों प्रहर में की जा सकती है शिव पूजा
शिवरात्रि पूजा रात्रि के समय एक बार या चार बार की जा सकती है। रात्रि के चार प्रहर होते हैं, और हर प्रहर में शिव पूजा की जा सकती है।

पौराणिक ग्रंथों में भगवान शिव के 108 नामों का उल्लेख किया गया है। माना जाता है कि जो भक्त भगवान शिव के इन 108 नामों का नियमित रूप से जाप करता है भगवान शिव उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते है।

शिवजी को ऐसे चढ़ाएं बेलपत्र
कहते हैं कि शिवलिंग पर हमेशा उल्टा बेलपत्र अर्पित करना चाहिए. बेल पत्र का चिकना भाग अंदर की तरफ यानी शिवलिंग की तरफ होना चाहिए।

मान्यताएं
मान्यता है कि इस दिन महादेव का व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिंग स्वरूप का पूजन किया जाता है। यह भगवान शिव का प्रतीक है. शिव का अर्थ है- कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन।

पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं।

दीप और कर्पूर जलाएं.
पूजा करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
शिव को बिल्व पत्र और फूल अर्पित करें।
शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें।
होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें।
सामान्यतया लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं।

महाशिवरात्रि पूजा सामग्री
महाशिवरात्रि 1 मार्च को मनाई जाएगी बेल के पत्ते महाशिवरात्रि पूजा सामग्री का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। जो पूजा के दिन ही नहीं तोड़े जाने चाहिए।

पूजा के लिए निम्नलिखित चीजें आवश्यक हैं:

1 शिव लिंग या भगवान शिव की एक तस्वीर
2 बैठने के लिए ऊन से बनी चटाई
3 कम से कम एक दीपक
4 कपास की बत्ती
5 पवित्र बेल
6 कलश या तांबे का बर्तन
7 थाली
8 शिव लिंग रखने के लिए सफेद कपड़ा
9 माचिस
10 अगरबत्तियां
11 चंदन का पेस्ट
12 घी
13 कपूर
14 रोली
15 बेल के पत्ते (बेलपत्र)
16 विभूति- पवित्र आशु
17 अर्का फूल

शिव और शक्ति का हुआ था मिलन
महाशिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। एक कथा के अनुसार माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। जिसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को माता पार्वती का विवाह भगवान शिव से हुआ। इसी कारण इस दिन को अत्यन्त ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

महाशिवरात्रि पूजा का महत्व
महाशिवरात्रि पर्व के यदि धार्मिक महत्व की बात की जाए तो महाशिवरात्रि शिव और माता पार्वती के विवाह की रात्रि मानी जाती है। मान्यता है इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से ग्रहस्थ जीवन की ओर रुख किया था। महाशिवरात्रि की रात्रि को भक्त जागरण करके माता-पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं. मान्यता है जो भक्त ऐसा करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है।

महाशिवरात्रि तिथि 2022
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 01 मार्च, मंगलवार को है। चतुर्दशी तिथि मंगलवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 02 मार्च, बुधवार को सुबह करीब 10 बजे तक रहेगी।

इस दिन पूजा करना का विशेष फलदायी
वैसे तो इस दिन मंदिर जाकर पूजन करना विशेष फलदायी होता है। लेकिन यदि आप नहीं जा पाते हैं तब भी घर पर ही पूजन करें।

महाशिवरात्रि का उपवास व जागरण क्यों ?
ऋषि महर्षियों ने समस्त आध्यात्मिक अनुष्ठानों में उपवास को महत्त्वपूर्ण माना है। गीता के अनुसार उपवास विषय निवृत्ति का अचूक साधन है। आध्यात्मिक साधना के लिये उपवास करना परमावश्यक है। उपवास के साथ रात्रि जागरण का महत्व है। उपवास से इन्द्रियों और मन पर नियंत्रण करने वाला संयमी व्यक्ति ही रात्रि में जागकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील हो सकता है। इन्हीं सब कारणों से इस महारात्रि में उपवास के साथ रात्रि में जागकर शिव पूजा करते है।

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