सैन्य मुख्यालय में तबादला रैकेट का भंडाफोड़, दो गिरफ्तार
सैन्य मुख्यालय में कथित स्थानांतरण रैकेट के संबंध में एक लेफ्टिनेंट कर्नल और एक बिचौलिए को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। ऐसा आरोप है कि सैन्य अधिकारियों ने उनकी तैनाती में हेरफेर करने के लिए लाखों रुपए दिए थे।
सीबीआई सूत्रों ने आज बताया कि सेना के कार्मिक डिवीजन में तैनात लेफ्टिनेंट रंगनाथन सुब्रमणि मोनी और बिचौलिए गौरव कोहली को उस समय गिरफ्तार किया जब बेंगलूरू में रह रहे एक सैन्य अधिकारी के तबादले के लिए दो लाख रुपए की कथित रिश्वत दी जा रही थी।
जांच एजेंसी को कुछ सैन्य अधिकारियों की अवैध गतिविधियों का पता चला था जिसके बाद दो लोगों को गिरफ्तार करने के लिए जाल बिछाया गया। सूत्रों ने बताया कि सैन्य मुख्यालय में तैनात वरिष्ठ सैन्य अधिकारी की संलिप्तता वाले रैकेट का भंडाफोड़ किया।
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि इस खुलासे से सेना में हलचल मचनी तय है क्योंकि कुछ और वरिष्ठ अधिकारियों के भी इस मामले में लिप्त होने का संदेह है। प्राथमिकी में डीडीजी कार्मिक ब्रिगेडियर एसके ग्रोवर का भी नाम है लेकिन आरोपियों की सूची में उनका नाम शामिल नहीं किया गया।
मोनी, हैदराबाद में रह रहे सैन्य अधिकारी पुरुषोत्तम, बैरक एवं स्टोर अधिकारी (बीएसओ) बेंगलूरू एस सुभाष और कथित बिचौलिए गौरव कोहली के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
सीबीआई प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि यह रिश्वत हवाला माध्यमों के जरिए दी जा रही थी। एजेंसी इस पर भी ध्यान दे रही है कि सैन्य अधिकारी अपनी पसंद की जगह पर तैनाती पाने के लिए किस प्रकार लाखों रुपए देने के लिए तैयार थे।
ऐसा आरोप है कि मोनी ने कोहली एवं सैन्य अधिकारी पुरुषोत्तम के साथ मिलकर विभिन्न अधिकारियों के तबादलों को प्रभावित करने के लिए एक आपराधिक षड़यंत्र रचा।
काकीनाडा में इंजीनियर स्टोर्स विभाग में तैनात एक सैन्य अधिकारी पुरुषोत्तम ने उन सैन्य अधिकारियों से कथित रूप से संपर्क किया जिन्हें या तो विभिन्न फील्ड फार्मेशंस में तैनात किया गया या जिनका जल्द ही तबादला होना था और जो उनके पसंदीदा स्थलों पर तैनाती पाना चाहते थे।
वह कोहली से संपर्क किया करता था जिसके यहां सैन्य मुख्यालय के कार्मिक विभाग में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से निकट संबंध थे। प्राथमिकी में कहा गया है कि कोहली ने बड़े अवैध लाभ के बदले सैन्य अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए इन संपर्कों का इस्तेमाल किया।
इसमें दावा किया गया है कि पुरुषोत्तम ने कोहली से कथित अनुरोध किया कि वह रिश्वत के बदले में डीएसआरके रेड्डी और सुभाष का तबादला कराए। दोनों बेंगलूरू से सिंकदराबाद या विशाखापत्तनम् में तैनाती चाहते थे।
इसमें आरोप लगाया गया है कि मोनी ने भरोसा दिलाया कि वह अवैध धन के बदले सैन्य मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों के जरिए सुभाष के स्थानांतरण में मदद करेंगे। सुभाष ने कोहली को हवाला माध्यम से रिश्वत के तौर पर पांच लाख रूपए कथित रूप से दिए।
सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है, ‘‘कोहली मोनी के आवास पर गया और उसने दिल्ली में सैन्य मुख्यालयों में कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। सूचना में भी खुलासा किया गया कि.. मोनी सुभाष के तबादले के मामले के लिए सैन्य मुख्यालय के डीडीजी (कार्मिक) बिग्रेडियर एसके ग्रोवर के संपर्क में थे।’’ ऐसा आरोप है कि सुभाष के तबादले के लिए कोहली मोनी को दो लाख रुपए देने वाले थे।