छठ पूजा लोक आस्था का पर्व, प्रदेश सरकार आस्था का सम्मान करती है: मुख्यमंत्री
यह पर्व सामाजिक समरसता का उदाहरण प्रस्तुत करता है
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि छठ पूजा लोक आस्था का पर्व है। पूरा समाज इस आयोजन में सम्मिलित होता है। पर्व और त्योहार का महत्व ही सामूहिकता का दर्शन है। हम सब मिलकर प्रकृति, स्वच्छता और लोक आस्था के प्रति समर्पित भाव के साथ कार्य करते हैं।
छठ पर्व इसका एक आदर्श उदाहरण है। चार चरणों में इस कार्यक्रम का आयोजन होता है। इसमें अन्तःकरण और वाह्य शुद्धि पर पूरी तरह ध्यान दिया जाता है। शुद्धि के बिना कोई कार्य नहीं हो सकता। इस पर्व के माध्यम से प्रधानमंत्री जी के स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाने का अवसर प्राप्त होता है।
मुख्यमंत्री आज यहां लक्ष्मण मेला मैदान, गोमती तट पर छठ पर्व पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इसमें माताएं-बहनें अस्तांचल में जा रहे सूर्य को अर्घ्य देती हैं। यहां पर गोमती नदी पर शासन-प्रशासन के सहयोग से स्वच्छता का अभियान चलाया गया।
परिणामस्वरूप गोमती नदी स्वच्छ दिखाई दे रही है। यहां पर सभी लोग आस्था के साथ इस पर्व को मना रहे हैं। कल सूर्याेदय के पहले भी यह कार्यक्रम यहां सम्पन्न होगा। जहां कहीं भी भोजपुरी समाज है, देश व दुनिया में प्रत्येक जगह इस पर्व को मनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पर्व में स्वयं व प्रकृति की शुद्धता पर बल दिया जाता है। सात्विक भाव के साथ लोग पहले चरण में नहाय-खाय के साथ इस त्योहार को प्रारम्भ करते हैं। फिर खरना का कार्यक्रम होता है। इसके पश्चात अस्तांचल में जा रहे भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
कल प्रातः सूर्याेदय के साथ अर्घ्य देने और अन्य कार्यक्रमों को करने के साथ छठ पूजा का यह पर्व सम्पन्न होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आस्था व्यक्तिगत विषय नहीं हो सकता है। पूरे लोक को साथ में लेकर चलने वाला यह पर्व प्रकृति पूजा के साथ-साथ ब्रह्माण्ड के देवता सूर्य की उपासना के साथ हम सबको एक नई प्रेरणा देता है। सूर्य हमारी परम्परा में जगत पिता के रूप में जाने जाते हैं।
सूर्य के बिना इस सृष्टि की कल्पना नहीं की जा सकती, इस चराचर जगत में कुछ भी दृष्टिगोचर नहीं हो सकता। उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए हम लोग जल का अर्घ्य देते हैं। यह कार्यक्रम तभी फलीभूत होंगे, जब व्यक्ति का अन्तःकरण भी शुद्ध हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पर्व सामाजिक समरसता का भी उदाहरण प्रस्तुत करता है, क्योंकि छठी माई, सामाजिक समरसता की सबसे बड़ी प्रतिमूर्ति हैं। छठी माई की कृपा से ही हम लोग इस आस्था के साथ जुड़े हुए हैं। ईश्वर की कृपा सभी को बिना भेदभाव के प्राप्त होती है, उसको प्राप्त करने की सामर्थ्य होनी चाहिए।
छठी माई ने भगवान सूर्य की उपासना से शक्ति प्राप्त की थी, जिसने मृत पड़े बच्चे के अन्दर संजीवनी पैदा करके पुनर्जीवित कर दिया था। यहीं से छठ उपासना की परम्परा प्रारम्भ होती है। वर्षाें से झारखण्ड, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, नेपाल की तराई के साथ-साथ देश और दुनिया में प्रत्येक जगह यह पर्व इसी लोक आस्था के साथ मनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार आस्था का सम्मान करती है। छठ का कार्यक्रम वर्ष में एक बार होता है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम भगवान सूर्य को प्रत्येक दिन अर्घ्य दें, ताकि इसका पुण्य फल हम सभी को प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि नदी के घाटों पर पक्की पिण्डी न बनाकर अस्थाई पिण्डी का निर्माण करना चाहिए, ताकि त्योहार के पश्चात भी उसका सम्मान बना रहे।
पूरे प्रदेश में इस पर्व के सुचारु आयोजन के लिए पूरी व्यवस्था की गयी है। शासन-प्रशासन ने आयोजकों के साथ इस त्योहार की व्यवस्थाओं के लिए संवाद स्थापित किया है। अपनी आस्था को पूर्ण करने के साथ-साथ सभी की सुविधा व सुरक्षा का ध्यान रखें। कार्यक्रम सम्पन्न होने के पश्चात आयोजकगण स्वच्छता अभियान को पुनः चलायें।
मुख्यमंत्री ने अखिल भारतीय भोजपुरी समाज की पत्रिका ‘संदेश’ का विमोचन किया।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में छठ पूजा के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गयी है। छठ का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस आयोजन के माध्यम से हम भोजपुरी समाज की समृद्ध, सांस्कृतिक विरासत को प्रदेश की राजधानी में देख पाते हैं।
इस अवसर पर सांसद अशोक बाजपेयी, लखनऊ की महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया, विधान परिषद सदस्य गोविन्द शुक्ला, अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के अध्यक्ष प्रभुनाथ राय, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, गृह एवं सूचना संजय प्रसाद, प्रमुख सचिव शहरी विकास अमृत अभिजात, सूचना निदेशक शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।