अफगानी-अमेरिकियों का दूतावास के सामने प्रदर्शन
अफगानी-अमेरिकियों के एक समूह ने कथित पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी घटनाओं के खिलाफ यहां पाकिस्तानी दूतावास के सामने शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया।
पाकिस्तान द्वारा इस प्रकार के आरोपों को ‘आधारहीन’ करार दिए जाने के बावजूद प्रदर्शनकारियों के समूह ने बैनर और पोस्टर पकड़कर प्रदर्शन किया और ‘‘पाकिस्तान एक आतंकी देश है’’,
‘‘पाकिस्तान आतंकवाद का अपना कारखाना बंद करो’’ और ‘‘आईएसआई अल-कायदा के बराबर है’’ और ‘‘आतंकियों को धन भेजना बंद करो’’ जैसे नारे लगाए।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि अफगानिस्तान के काबुल में इंटर सर्विसेज इन्टेलीजेंस (आईएसआई) के इशारे पर हमला किया गया था। इस हमले में कम से कम 90 लोगों की मौत हो गयी थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि आईएसआई अफगानी के खिलाफ तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी समूहों की मदद कर रही है। अफगानी अमेरिकी वलीद ने कहा, ‘‘मैं यहां उन आतंकवादी कार्यों का विरोध करने आया हूं, जिन्हें पाकिस्तान अफगानिस्तान और भारत के खिलाफ पहले भी लगातार बढ़ावा देता रहा है और अब भी दे रहा है।
वे लोग करदाताओं के धन का इस्तेमाल आतंकवाद को पोषित करने में कर रहे हैं। वे अमेरिकी धन का इस्तेमाल अफगानिस्तान के लोगों के खिलाफ कर रहे हैं।’’
वलीद मंसूरी वर्ष 2007 में काबुल में भारतीय दूतावास में हुये हमले का प्रत्यक्षदर्शी हैं। इसमें कई शीर्ष भारतीय राजनयिकों की मौत हो गयी थी। वलीद ने आरोप लगाया कि हक्कानी नेटवर्क ‘‘आईएसआई के हाथ की कठपुतली और उसके हथियार’’ के तौर पर काम करता है और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी अफगानिस्तान के अंदर आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है।
प्रदर्शनकारियों द्वारा सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘सबसे अहम यह है कि 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन मारा गया जहां वह पाकिस्तानी सैन्य अकादमी से एक मील से भी कम दूरी पर रहता था।
अमेरिका के पास प्रत्यक्ष प्रमाण था कि आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट अहमद शुजा पाशा को पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन की मौजूदगी का पता था।’’