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सुशांत गहरे डिप्रेशन में थे उनके इंस्टाग्राम की पोस्ट खंगाले से बहुत कुछ साफ हो जाएगा।

सुशांत राजपूत की आत्महत्या उसके तमाम खास दोस्तों के गले नहीं उतर रही है।‌ जितना मैं सुशांत राजपूत को जान पाया उसके अनुसार वह एक जुझारू व्यक्तित्व का लड़का था। मेरी मुलाकात पवित्र रिश्ता के दौरान हुई थी और अक्सर भेंट होती रहती थी।

sushant rajput
sushant rajput

चार-पांच साल पहले आराम नगर में भेंट हुई थी और हम लोग अंधेरी के पास आईनाक्स तक आए थे। वही कोने में एक काफी डे है जहां बैठकर काफी पी उसके बाद भेंट तो नहीं हुई लेकिन मैंने अपनी एक फिल्म के लिए अपने प्रोड्यूसर से कहा था कि मैं खुद बात करूंगा उससे।

सुशांत ने अपने जीवन में जो भी पाया था वह अपनी हाड़तोड़ मेहनत से ही पाया था। हां, उसके जीजा ने जो कि एक ब्यूरोक्रेट हैं, उन्होंने जरूर उसकी इंडस्ट्रीज में घुसने में थोड़ी मदद की थी। सुशांत अक्सर अनुराग कश्यप के आफिस के चक्कर लगाया करता था कि उसे कुछ काम मिल जाए।

इसी बीच उसने अनुराग कश्यप के साथी मुकेश छाबड़ा के साथ अच्छा कनेक्ट कर लिया। मुकेश ने उसे काई पोछे आदि फिल्में दिलाईं। अभी थोड़ी देर पहले फिल्म व टीवी धारावाहिकों के राइटर राकेश ओझा से मैंने फोन पर बातचीत की तो वो भी हतप्रभ हैं कि उसने ऐसा किया क्यों?

राकेश बातों-बातों में बताते हैं कि सुशांत राजपूत गृह-नक्षत्रों को लेकर बनने वाली एक फिल्म की स्क्रिप्ट पर मंथन कर रहा था। सुशांत आदतन करेक्टर में स्वंय को घुसा देता था। धोनी फिल्म में भी उसके साथ यही हुआ था जब वह खुद भी डिप्रेशन में चला गया था क्योंकि धोनी रेलवे की अपनी नौकरी को छोड़ने और बाद की स्थितियों में गहरे डिप्रेशन में चले जाते हैं।

राकेश ओझा और सुशांत के खास दोस्तों में रहे अभिषेक बताते हैं कि वह धोनी फिल्म के दौरान गुमसुम और उदास और एकाकी रहता था। इंडस्ट्री में यह हवा उड़ी कि वह अहंकारी हो गया है इस लिए किसी से बात नहीं करता है, लेकिन ऐसा नहीं था।

सुशांत ग्रह-नक्षत्रों वाली इस फिल्म में इतना घुसा कि वह उसी में खो‌ गया। राकेश बताते हैं कि उसने रात में तारों का अध्ययन करने वाली दूरबीन आदि भी खरीद ली थीं। …इसके बावजूद वह आत्महत्या कर लेगा यह गले से नहीं उतरता।

फिल्मी दुनियां में इस समय गहरा अवसाद है इससे इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन सभी को पता है कि जब भी आरंभ होगा तो एक नई लड़ाई नई चुनौती के साथ आरंभ होगा। लेकिन एक मुकाम पर बैठा यह युवा कलाकार ऐसा कर सकता है, यह गले से नहीं उतरता है।

लेकिन यह सच है कि सुशांत गहरे डिप्रेशन में थे। उनके दिमाग में मां और एक बहन की मौत‌ ने भी गहरा जख्म दिया था। … इंस्टाग्राम की उसकी कुछ पोस्ट बहुत कुछ इशारा करती हैं देखिए बहुत कुछ समझ आएगा। व्यक्तिगत तौर पर मुझे बहुत दुख हुआ है। ईश्वर सुशांत की आत्मा को शांति प्रदान करे यही कामना करता हूं।?


पवन सिंह
लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं।

northindiastatesman.com का समस्त स्टाफ अपनी हार्दिक श्रद्धान्जलि अर्पित करता है।

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