पुलिस और सेना में दाढ़ी मूँछ रखने के नियम
हाल ही में यूपी के एक जिले में दरोगा को दाढ़ी रखने के वाबत विभागीय कार्यवाही करते हए निलम्बित कर दिया गया। कई मित्रों ने इस सन्दर्भ में मौजूद नियमों की जानकारी चाही है, जिसे मैं अपनी जानकारी के अनुसार यहां साझा कर रहा हूँ।
उत्तर प्रदेश पुलिस मैनुअल अधिनियम और नियमों के अनुसार सिखों को छोड़कर किसी को भी वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के बिना दाढ़ी रखने की इजाज़त नहीं है। पुलिस विभाग के कर्मचारी बिना अनुमति मूंछें तो रख सकते हैं, लेकिन दाढ़ी नहीं रख सकते। केवल सिख समुदाय बिना इजाजत दाढ़ी रख सकता है।
उत्तर प्रदेश पुलिस नियमावली में 10 अक्टूबर 1985 को एक सर्कुलर संयोजित किया गया जिसके अनुसार मुस्लिम कर्मचारी जिला कप्तान अथवा विभागध्यक्ष से अनुमति लेकर अपनी दाढ़ी रख सकते हैं। वे गुण-दोष के आधार पर अनुमति प्रदान कर सकते हैं किन्तु यदि बिना अनुमति के दाढ़ी बढ़ा ली है तो विभागध्यक्ष वैधानिक कार्यवाही के लिए स्वतंत्र हैं। ड्रेस रेगुलेशन अनुमति लेने की इजाजत देते हैं।
इसी तरह सेना में भी अपनी यूनिफार्म में धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल कर धार्मिक पहचान जाहिर करने की इजाजत नही है। सेना में भी सिक्खों के अलावा किसी को भी दाढ़ी रखने की अनुमति नही है और ना ही चिन्ह के माध्यम से धार्मिक पहचान दिखाने की इजाजत है। यह नियम थल सेना और वायु सेना में प्रभावी है।
दुनिया के ज्यादातर देशों ने सेना में धार्मिक प्रतीकों की अभिव्यक्ति करने पर रोक लगा रखी है। इसके पीछे तर्क है कि अगर हर किसी को उसकी मान्यताओं को अभिव्यक्ति करने की आजादी दे दी गई तो इससे सेना की एक इकाई के तौर पर सामंजस्य और उसकी सामूहिक पहचान को चोट पहुंचेगी।
जुलाई 2008 में सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा था, दाढ़ी रखना मुस्लिमों के लिए ‘बाध्यकारी आवश्यकता’ नहीं है। कोर्ट ने कहा था,’सेना के हर सदस्य के चेहरे की पहचान महत्वपूर्ण है, खासकर जब वह वर्दी में हो।’
दाढ़ी न रखने का नियम भारतीय सेना के सभी अंगों पर लागू है। इंडियन नेवी के जवान अपने कमाडिंग ऑफिसर की इजाजत से दाढ़ी रख सकते हैं। दरअसल यह नियम ब्रिटिश रॉयल नेवी से आया है जिसमें नौसैनिकों को दाढ़ी रखने की इजाजत थी। 1971 तक भारतीय नौसैनिकों को दाढ़ी और मूंछ दोनों रखने की या क्लीन शेव रहने की इजाजत थी, लेकिन 1971 में एडमिरल आर0के0 नंदा ने नौसैनिकों को उनकी मर्जी के मुताबिक दाढ़ी, मूंछ रखने या क्लीन शेव रहने की इजाजत दे दी। तब जारी आदेश में कहा गया था कि सिर्फ दाढ़ी या मूंछ या दोनों ही रखी जा सकती है।
मुस्लिमों के दाढ़ी रखने के बारे में आईएएफ ने पहला निर्देश 1980 में जारी किया था। जिसके मुताबिक, दाढ़ी रखने वाले मुस्लिम व्यक्ति के दाढ़ी की लंबाई इतनी ही होनी चाहिए जो कि उसे मुट्ठी में लेने पर उससे बाहर न निकले, लेकिन इसके लिए उसे इसका कारण बताते हुए कमाडिंग ऑफिसर को आवेदन देना होगा। वर्ष 2003 में आए निर्देश के मुताबिक, सिर्फ उन्हीं (मुस्लिमों) को दाढ़ी और मूंछ रखने की इजाजत होगी जिनकी नियुक्ति 1 जनवरी 2002 से पहले हुई थी लेकिन किसी भी हालत में बिना मूंछ के दाढ़ी रखने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
सिखिज्म में केश (बाल) की प्राकृतिक बढ़त को नुकसान न पहुंचाने की मान्यता है। यह प्रथा 5 ककारों में से एक है, जिसे खुद सिख गुरु गोविंद सिंह ने जरूरी बताया था। साल 1699 में गुरु ने कहा था कि मेरा सिख उस्तरा इस्तेमाल नहीं करेगा। दाढ़ी के बाल काटना उसकी बड़ी भूल माना जाएगा। सिखों के लिए दाढ़ी का महत्व इससे समझा जा सकता है कि मुगल काल में दमन के दौरान सिखों ने दाढ़ी कटाने की बजाए अपना सिर कटवाना सही माना था।
मुस्लिमों में दाढ़ी रखने या न रखने को लेकर कोई पक्का धार्मिक नियम नहीं है। वैसे दाढ़ी रखना सुन्नत माना जाता है यानी इसे रखना अच्छा माना जाता है, लेकिन ये इस्लाम में फर्ज या अनिवार्य नहीं है। यही वजह है कि पुलिस सेवा में सिखों के अलावा किसी को भी दाढ़ी रखने की इजाजत नहीं है और रखनी ही हो तो अलग से इजाजत लेनी होती है।
अगर कोई बिना इजाजत ऐसा करे तो ये डिफेंस सर्विस रेगुलेशन 665 के खिलाफ जाना होगा। दाढ़ी मूंछों के रखने या न रखने का ये नियम सेना में दो वजहों से बना है ताकि सेना, पुलिस या पैरा मिलिट्री एक यूनिट की तरह दिखाई दे। दूसरा कि ये सेवाएं सीधे देश और आम जनता की सुरक्षा से जुड़ी हुई हैं। ऐसे में दाढ़ी या मूछें रखकर चेहरे की पहचान भी बदली जा सकती है, जो देश की सुरक्षा से खिलवाड़ होगा। सिखों की भी दाढ़ी समेत फोटो ली जाती है, जिसमें ये सुनिश्चित किया जाता है कि चेहरा पूरी तरह से समझ में आए।
(सौजन्य से, वरिष्ठ पत्रकार शेखर पंडित की फेसबुक वॉल से)