धार्मिक

वैशाख पूर्णिमा पर गंगा स्नान का है विशेष महत्व

आज वैशाख पूर्णिमा है, वैशाख पूर्णिमा के दिन ही विष्णु के नवें अवतार गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। तो आइए हम आपको वैशाख पूर्णिमा के महत्व तथा पूजा विधि के बारे में बताते हैं।

जानें वैशाख पूर्णिमा के बारे में
हिन्‍दू धर्म में हर महीने की पूर्णिमा विष्णु भगवान को समर्पित होती है। हर पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। उसी प्रकार वैशाख पूर्णिमा भी बहुत खास होती है। वैशाख पूर्णिमा का बहुत महत्व है। इस दिन दान-पुण्य और धर्म-कर्म के अनेक कार्य किये जाते हैं। इसे सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहा जाता है। वैशाख पूर्णिमा पर ही भगवान विष्णु का तेइसवां अवतार महात्मा बुद्ध के रूप में हुआ था, इसलिए बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं।

वैशाख पूर्णिमा का बुद्ध से खास सम्बन्ध
वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। वैशाख पूर्णिमा के दिन ही महान दार्शिनक तथा विचारक गौतम बुद्ध का 563 ईसा पूर्व में जन्म हुआ था। यही नहीं 531 ईसा पूर्व निरंजना नदी के तट पर पीपल के पेड़ के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। साथ ही महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण भी वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुआ था इसलिए बौद्ध धर्म में वैशाख पूर्णिमा का खास महत्व होता है।

वैशाख पूर्णिमा पर इन कामों से बचें
वैशाख पूर्णिमा बहुत पवित्र दिन होता है, इसलिए इस दिन विशेष प्रकार के काम न करें। इस दिन सदैव शाकाहार ग्रहण करें तथा मांसाहार का सेवन कभी नहीं करें। यह दिन पितरों के तर्पण के लिए खास माना जाता है इसलिए वैशाख पर्णिमा के दिन गंगा नदी में स्नान कर हाथ में तिल लेकर पितरों के तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

वैशाख पूर्णिमा व्रत और धार्मिक कर्म
वैशाख पूर्णिमा पर व्रत और पुण्य कर्म करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि अन्य पूर्णिमा व्रत के सामान ही है। पंडितों के अनुसार ऐसी पूजा से होगा लाभ।
– वैशाख पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए।
– स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
– इस दिन धर्मराज के निमित्त जल से भरा कलश और पकवान देने से लाभ होगा।
– 5 या 7 ब्राह्मणों को शक्कर के साथ तिल देने से पाप क्षय होते हैं।
– इस दिन तिल के तेल के दीपक जलाएँ और तिलों का तर्पण विशेष रूप से करें।
– इस दिन व्रत के दौरान एक समय भोजन करें।

वैशाख पूर्णिमा का महत्व
वैशाख पूर्णिमा पर धर्मराज की पूजा करने का विधान है, इसलिए इस व्रत के प्रभाव से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के बचपन के साथी सुदामा जब द्वारिका उनके पास मिलने पहुंचे थे, तो भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें सत्य विनायक पूर्णिमा व्रत का विधान बताया। इसी व्रत के प्रभाव से सुदामा की सारी दरिद्रता दूर हुई।

वैशाख पूर्णिमा 2023 का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 4 मई 2023 को 11 बजकर 44 मिनट से हो रही है। अगले दिन 5 मई 2023 को रात 11 बजकर 03 मिनट तक इसकी समाप्ति होगी।

बुद्ध पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण 5 मई को वैशाख पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) तिथि पर रात 08 बजकर 45 मिनट पर लगेगा और देर रात 01.00 बजे ग्रहण समाप्त होगा। चंद्र ग्रहण का परमग्रास समय रात 10 बजकर 53 मिनट पर है। चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है लेकिन साल का पहला चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। पंचांग के अनुसार 130 साल के बाद ये दुर्लभ संयोग बना है. जब बुद्ध पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है।

– उपच्छाया की अवधि – 04 घंटे 15 मिनट्स 34 सेकण्ड्स
– उपच्छाया चन्द्र ग्रहण का परिमाण – 0.95

वैशाखी पूर्णिमा का इन चीजों का करें दान
1. धर्मराज के निमित्त जल से भरा हुआ कलश, पकवान एवं मिष्ठान आज के दिन दान करना, गौदान के समान फल देने वाले बताए गए हैं।
2. वैशाख पूर्णिमा के दिन शक्कर और तिल दान करने से अनजान में हुए पापों का भी क्षय हो जाता है।
3. इस माह में पंखे का दान करना भी पुण्य का काय है। धूप और परिश्रम से पीड़ित लोगों को जो पंखे से हवाकर शीतलता प्रदान करता है, वह इतने ही मात्र से निष्पाप होकर भगवान का प्रिय हो जाता है। पुराने समय में ताड़ का पंखा दान किया जाता था। इससे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।
4. शास्त्र कहते हैं कि जो किसी जरूरतमंद व्यक्ति को पादुका या जूते-चप्पल दान करता है, वह यमदूतों का तिरस्कार करके भगवान श्री हरि के लोक में जाता है।
5. इस दिन जल का दान सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। अत: प्याऊ लगाकर राहगीरों को जल जरूर पिलाएं। इस पुण्य कार्य के माध्यम से जातक त्रिदेव की कृपा प्राप्त करता है।
6. इस दिन जल से भरा घड़ा दान करने से सभी देवी और देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। जल से भरा मिट्टी का घड़ा मंदिर में दान करें। साथ ही कुल्हड़, सकोरे भी दान करें।
7. अन्न दान करने से बड़ा कोई पुण्य नहीं। दोपहर में आए हुए ब्राह्मण, अतिथि या भूखे जीव को यदि कोई भोजन करवाए तो उसको अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सत्तू, ककड़ी, खरबूजा, चावल, दूध, दही, घी, फल, इमली, सब्जी, शहद, पंचमेवा, पंचधान, सीधा दान आवश्य करें।
8. वस्त्र दान में कुर्ता, पायजामा, दरी, धोति आदि दान करें।
9. इस दिन दूध और खीर का दान करने से सभी तरह के चंद्रदोष के साथ ही संकट समाप्त हो जाते हैं।
10. पलंग, कंबल, चादर, गादी, रजाई, तकिया।

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