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राष्ट्रपति ने आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष 2022 में उ0प्र0 विधान मण्डल की समवेत बैठक को सम्बोधित किया

भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द ने आज यहां विधान सभा में आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश विधान मण्डल की समवेत बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्व के सबसे विशाल लोकतंत्र के सबसे बड़े राज्य के विधान मण्डल के सदस्यों को, इस महत्वपूर्ण सत्र में सम्बोधित करते हुए उन्हंे विशेष प्रसन्नता हो रही है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विधान मण्डल लोकतंत्र का मंदिर होता है। जनता, आप सबको अपना भाग्य विधाता मानती है। प्रदेश की जनता को आप सबसे बहुत सी उम्मीदें और अपेक्षाएं हैं। उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना ही आपका सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है। आपकी जन-सेवा के दायरे में सभी नागरिक शामिल हैं, चाहे उन्होंने आपको वोट दिया हो या न दिया हो। इसलिए, हर व्यक्ति के हित में कार्य करना आपकी ज़िम्मेदारी है।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि यूरोप के तीन महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक देशों-जर्मनी, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम को मिलाकर जितनी कुल आबादी है, उतनी अकेले उत्तर प्रदेश की है। उत्तर प्रदेश की सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व भौगोलिक विविधता यहां के लोकतंत्र को और भी समृद्ध और मजबूत बनाती है। उत्तर प्रदेश की 20 करोड़ से अधिक की आबादी, अनेकता में एकता की हमारी सांस्कृतिक विशेषता का बहुत अच्छा उदाहरण हमारे सामने प्रस्तुत करती है। इस महत्वपूर्ण राज्य में विधान मण्डल के सदस्यों का जन-प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित होना विशेष महत्व की बात है।

राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर प्रदेश की प्रत्येक यात्रा, अपनी जन्म-स्थली व आरम्भिक जीवन की कर्म-स्थली से जुड़ने और अपने प्रियजनों से मिलने का अवसर भी प्रदान करती रही है। उनकी इस यात्रा के दौरान, तीन जून को, प्रधानमंत्री जी ने उनके गांव परौंख का भ्रमण किया, वहां पर बाबा साहब डॉ0 आंबेडकर की प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित की तथा उनके गांव में उपस्थित लोगों को सम्बोधित भी किया।

वह कार्यक्रम उनके गांव के इतिहास की अविस्मरणीय घटनाओं के रूप में लोगों की स्मृति में सदैव विद्यमान रहेगा। चार जून को कानपुर में उत्तर प्रदेश के मर्चेन्ट्स चैम्बर को संबोधित करते समय उन्होंने इस राज्य के उद्यमियों में एक नए उत्साह का अनुभव किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का लक्ष्य अवश्य सिद्ध होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश का भारत में पहला स्थान है। इसी प्रकार आम, आलू, गन्ना व दूध के उत्पादन में भी उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। हाल के वर्षों में राज्य में सड़कों के निर्माण में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। रेल तथा एयर कनेक्टिविटी में उल्लेखनीय सुधार हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश के प्रतिभाशाली युवा अन्य राज्यों में तथा विदेशों में आर्थिक प्रगति के प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजनैतिक व प्रशासनिक स्थिरता की संस्कृति का निर्माण करते हुए यह विश्वास जगाया है कि निकट भविष्य में ही उत्तर प्रदेश द्वारा आर्थिक प्रगति के नए कीर्तिमान स्थापित किए जाएंगे। पर्यटन, फूड प्रोसेसिंग, इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी तथा अर्बन डेवलपमेंट की अपार सम्भावनाएं उत्तर प्रदेश में उपलब्ध हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जैसी उपजाऊ भूमि तथा कृषि के लिए सहायक प्राकृतिक स्थितियां हैं वे पूरे विश्व में तथा भारत के अन्य प्रदेशों में कहीं पर भी नहीं है। अतः कृषि के क्षेत्र में उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता पर तथा कृषि आधारित उद्यमों पर और अधिक ध्यान देकर राज्य की आर्थिक स्थिति में बहुत बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि वर्तमान में, केन्द्र एवं राज्य की सरकारें मिलकर इस दिशा में निरंतर प्रयत्नशील हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर प्रदेश की इस यात्रा के दौरान गोरखपुर में गीताप्रेस के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम में भाग लेने तथा श्री गोरखनाथ मंदिर में दर्शन करने की स्मृतियां, उनके मानस पटल पर सदैव अंकित रहेंगी। कल उन्हें जनपद संत कबीर नगर में मगहर स्थित कबीर चौरा धाम जाने का सौभाग्य भी मिला। वहां जाना उनके लिए तीर्थ यात्रा जैसा महत्व रखता है। संत कबीर अकादमी में भविष्य में होने वाले अध्ययन व शोध कार्य उत्तर प्रदेश की आध्यात्मिक, सामाजिक व शैक्षिक विरासत को और मजबूत बनाएंगे।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के मंदिर में उनका दर्शन करके तथा वहां के नवनिर्मित गलियारे और परिसर के सौन्दर्य तथा भव्यता को देखकर उन्हें बहुत प्रसन्नता हुई है। अब उस परिसर में जाने पर यह अहसास होता है कि महात्मा गांधी ने सन् 1916 में काशी विश्वनाथ मंदिर की अपनी यात्रा के सन्दर्भ में, वहां की संकरी व गंदी गलियों तथा अव्यवस्था के विषय में, जो असंतोष व्यक्त किया था, उसे प्रधानमंत्री जी व मुख्यमंत्री जी ने दूर कर दिया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि डॉ0 बाबा साहब आंबेडकर कहा करते थे कि भारतीय लोकतंत्र के बीज हमें पश्चिम के देशों से नहीं मिले, बल्कि उनका स्पष्ट उदाहरण भगवान बुद्ध के समय में गठित संघों की कार्य-प्रणाली में दिखाई देता है। आज के उत्तर प्रदेश में स्थित कौशाम्बी और श्रावस्ती में, प्राचीन काल में ही, वैसी लोकतांत्रिक व्यवस्था के उदाहरण मौजूद थे जिनका उल्लेख डॉ0 आंबेडकर ने संविधान सभा के अपने ऐतिहासिक भाषण में किया था। आप सभी जनप्रतिनिधिगण उस प्राचीन लोकतांत्रिक विरासत के उत्तराधिकारी हैं। आप सबके ऊपर भगवान बुद्ध और बाबा साहब डॉ0 आंबेडकर के आदर्शों को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी भी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि इतिहास के हर दौर में उत्तर प्रदेश एक अग्रणी राज्य रहा है। भारत की संविधान सभा में भी सबसे अधिक प्रतिनिधि इसी राज्य से गए। यही नहीं, यहां के प्रतिनिधियों का योगदान भी उच्च स्तरीय था। विधान मण्डल के जिन गलियारों में आप सभी जन-प्रतिनिधिगण का आना-जाना होता है वहीं आप सबके यशस्वी पूर्ववर्ती आते-जाते थे। डॉ0 राम मनोहर लोहिया और पं0 दीनदयाल उपाध्याय, उत्तर प्रदेश की ऐसी विभूतियां रहे हैं, जिनके जीवन-चरित से प्रत्येक जनप्रतिनिधि को बहुत कुछ सीखना चाहिए।

राष्ट्रव्यापी राजनीति के सन्दर्भ में उत्तर प्रदेश के लिए इससे बढ़कर गर्व की बात क्या हो सकती है कि इस राज्य से लोकसभा के लिए निर्वाचित सांसदों में से 09 प्रधानमंत्रियों ने अब तक देश को नेतृत्व प्रदान किया है। आदर्शों पर आधारित राजनीति व जन-सेवा के प्रतीक दो पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री और श्री अटल बिहारी वाजपेयी भी उत्तर प्रदेश से सांसद चुने जाते थे। लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र काशी को अपने गृह नगर की तरह अपनाया है तथा देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के चहुंमुखी विकास को नए आयाम प्रदान किए हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधान मण्डल का इतिहास अद्भुत उदारता और व्यापकता के उदाहरण प्रस्तुत करता है। उत्तर प्रदेश में ही, स्वाधीन भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री के निर्वाचन का इतिहास रचा गया। उस ऐतिहासिक घटना को महिला-सशक्तीकरण के आरंभिक उदाहरण के रूप में देखना चाहिए तथा महिला सशक्तीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश को इस सन्दर्भ में एक अग्रणी राज्य बनाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह एक सुखद संयोग है कि उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल, महात्मा गांधी की शिष्या श्रीमती सरोजिनी नायडू थीं और वर्तमान में यहां की राज्यपाल, निष्ठावान जन-सेविका श्रीमती आनंदीबेन पटेल हैं। विधान मण्डल को कर्मठ महिलाओं का मार्गदर्शन मिलना सामाजिक प्रगति में सहायक होता है।

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि नीति आयोग की एस0डी0जी0 इण्डेक्स रिपोर्ट 2020-21 के तहत महिलाओं और पुरुषों के बीच वेतन का अन्तर देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा उत्तर प्रदेश में सबसे कम है। यह जेण्डर इक्वालिटी का एक महत्वपूर्ण मानक है। इस उपलब्धि के लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार को साधुवाद दिया।

इन दिनों देशवासी स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इस महोत्सव का एक उद्देश्य उन शहीदों को याद करना भी है जो प्रायः विस्मृत रहते हैं तथा जिनके बारे में सभी देशवासियों को विशेषकर नई पीढ़ी को जानना चाहिए। महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वाधीनता संग्राम की मुख्य धारा के साथ-साथ संघर्ष की अन्य धाराएं भी प्रवाह में थीं।

उन सभी धाराओं के मिले जुले आवेग के सामने अंग्रेज़ टिक नहीं सके और उन्हें भारत छोड़ना पड़ा। उन्हांेने कहा कि उत्तर प्रदेश में भी अनेक ऐसे अज्ञात व गुमनाम स्वाधीनता सेनानी रहे हैं जिनके विषय में और अधिक जानकारी सुलभ होनी चाहिए। विख्यात सेनानियों के विषय में भी और अधिक जानकारी का प्रसार होने से नयी पीढ़ी में जागरूकता बढ़ेगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि सन 1857 में नाना साहब के साथियों द्वारा रोटी और कमल के जरिए क्रांति का संदेश पहुंचाने की शुरुआत इसी क्षेत्र में हुई। उस संग्राम के दौरान झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और उनकी सहयोगी वीरांगना झलकारी बाई ने अपनी वीरता से सबको चकित कर दिया। अवध क्षेत्र में ऊदा देवी जैसी वीरांगना ने शौर्य और पराक्रम की अमर गाथा लिखी। उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में पराक्रमी और शूरवीर योद्धाओं की परंपरा में राजा सुहेलदेव तथा राजा बिजली पासी का सादर स्मरण किए बिना इस प्रदेश की वीरगाथा अधूरी रह जाती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रयागराज में जन्मे और कानपुर में सक्रिय रहे गणेश शंकर विद्यार्थी ने स्वाधीनता संग्राम व सामाजिक सौहार्द के लिए आत्म बलिदान का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। सरदार भगत सिंह के क्रांतिवीर साथी बटुकेश्वर दत्त की शिक्षा-दीक्षा कानपुर में हुई थी। भगत सिंह और चन्द्रशेखर आजाद के साथ जिन दुर्गा भाभी का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है उस वीरांगना का जन्म भी आज के कौशाम्बी जिले में हुआ था।

गोरखपुर में चार-चार शहीद स्मारक हैं, जो हमारे स्वाधीनता सेनानियों की गौरव-गाथा का परिचय देते हैं। उत्तर प्रदेश के क्रांतिवीरों की सूची इतनी लम्बी है कि सबके नामों का उल्लेख करना किसी एक सम्बोधन में सम्भव नहीं है। उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि उत्तर प्रदेश के क्रांतिवीरों की याद में शिक्षण संस्थानों में व्याख्यान मालाएं आयोजित की जाएं। साथ ही अन्य माध्यमों के जरिए उनकी जीवन गाथाओं से लोगों को अवगत कराया जाए।

राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधान मण्डल में सत्ता पक्ष तथा प्रतिपक्ष के बीच गरिमापूर्ण सौहार्द का गौरवशाली इतिहास रहा है। विधान मण्डल के सदस्यों को उत्तर प्रदेश की स्वस्थ राजनीतिक परम्परा को और मजबूत बनाना है। लोकतन्त्र में सत्ता तथा प्रतिपक्ष की विचारधाराओं में अंतर हो सकता है परंतु दोनों पक्षों में वैमनस्य नहीं होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि संवैधानिक शपथ के अनुसार विधान मण्डल के सदस्य सभी अपने-अपने क्षेत्रों के अलावा पूरे प्रदेश ही नहीं अपितु पूरे देश के लिए कार्य करने हेतु वचनबद्ध हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि विधान मण्डल सदस्यों के अथक परिश्रम से उत्तर प्रदेश शीघ्र ही हर तरह से ‘उत्तम प्रदेश’ बनेगा। जब देश का सबसे बड़ा राज्य प्रगति के उत्तम मानकों को हासिल करेगा तो स्वतः ही पूरे देश के विकास को संबल प्राप्त होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आज से 25 वर्ष बाद जब हमारे देशवासी आजादी की शताब्दी के उत्सव मना रहे होंगे तब उत्तर प्रदेश विकास के मानकों पर भारत के अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित हो चुका होगा और हमारा देश विश्व-समुदाय में विकसित देशों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा होगा।

राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी ने कहा कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ देश के स्वावलम्बन का प्रतीक है। भारत की विकास यात्रा के अवलोकन का अवसर है। यह महोत्सव प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में 12 मार्च, 2021 को साबरमती आश्रम से आरम्भ हुआ, जो 15 अगस्त, 2023 तक 75 सप्ताह तक अनवरत जारी रहेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों एवं कार्यक्रमों के माध्यम से सम्पूर्ण राज्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाया जा रहा है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश विधान मण्डल के सदस्यों को राष्ट्रपति जी का सम्बोधन गौरव का विषय है।

राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रपति के संसदीय एवं विधायी अनुभवों तथा व्यापक लोकतांत्रिक दृष्टिकोण का लाभ माननीय सदस्यों को प्राप्त होगा। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ हमारी राष्ट्रीय यात्रा का एक उत्सव है। अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दी गयी आजादी की विरासत को संजोने का उत्सव है। यह उत्सव नये भारत के निर्माण और स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को स्मरण करने का अवसर है।

राज्यपाल ने कहा कि यह हमारा गम्भीर दायित्व है कि हम स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और उनके आदर्शों को आत्मसात करें और प्रेरणा लें। स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदान का ही प्रतिफल है कि आज हम आजाद भारत की सबसे बड़ी विधायिका में जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

विधान परिषद के सभापति श्री कुँवर मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव, देश पर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले वीर सपूतों को याद करने का अवसर है। वर्तमान में भारत एक और अखण्ड है।

यह तेजी से हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। आजादी के बाद भारत को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन इन चुनौतियों से बाहर निकलकर देश आज आत्मनिर्भर भारत बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। आजादी का अमृत महोत्सव, आजादी की ऊर्जा का अमृत, स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणा लेने का अवसर, नई ऊर्जाओं और संकल्पों का अवसर, राष्ट्र के जागरण का अवसर, स्वराज के सपनों को पूरा करने का अवसर, वैश्विक शान्ति बनाए रखने का महोत्सव और हम सभी के लिए गर्व करने हेतु अथाह भण्डार है। यह अवसर अमृत के रूप में वर्तमान पीढ़ी को प्राप्त होगा। एक ऐसा अमृत जो देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करेगा।

विधान सभा अध्यक्ष श्री सतीश महाना ने कहा कि इस विधान मण्डल में प्रदेश के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों, जाति, धर्म तथा समुदाय से निर्वाचित सदस्यों का समावेश, भारत की धार्मिक, सांस्कृतिक एवं लोकतांत्रिक समरसता का पर्याय है। राष्ट्रपति जी का सम्बोधन एवं मार्गदर्शन इस समरसता को एक नया आयाम देगा। आजादी का अमृत महोत्सव प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत की आजादी के संघर्ष के गौरवशाली इतिहास को याद करने, देश भक्तों एवं बलिदानियों के जीवन से प्रेरणा लेने तथा देश की नई पीढ़ी को समृद्ध एवं संघर्षशील इतिहास से परिचित कराने हेतु सम्पन्न हो रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर उत्तर प्रदेश विधान मण्डल लोकतंत्र के नए मानदण्ड स्थापित करे, ऐसा हमारा प्रयास होना चाहिए।

विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि इस ऐतिहासिक विधान सभा में 126 सदस्य प्रथम बार निर्वाचित हुए हैं। इसके साथ ही, दूसरी बार से लेकर दसवीं बार तक निर्वाचित होने वाले सदस्यों में कुछ सदस्य लगातार निर्वाचित हुए हैं। इस विधान सभा में 18 सदस्य चिकित्सक, 15 सदस्य इंजीनियर, 08 सदस्य प्रबन्धन से जुड़े हुए हैं। कई सदस्यों ने एग्रीकल्चर के क्षेत्र में पी0एच0डी0 की है। बहुत सारे ऐसे सदस्य हैं, जो केवल समाज के लिए समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं।

विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि निकट भविष्य में हमारा प्रयास होगा कि विधान सभा को जनता के लिए खोला जाए। यहां की ऐतिहासिक धरोहरों से उनका परिचय कराया जाए। उन्हें सदन की कार्यवाही का प्रत्यक्ष दर्शन कराया जाए। विधान सभा लोक कल्याण की दिशा में इस प्रकार का कार्य कर सकती है, यह जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिले, ऐसी हमारी योजना है। उत्तर प्रदेश विधान सभा पूरे देश के लिए एक रोल मॉडल के रूप में उभर कर आए, इस दिशा में हम सब काम कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द का उत्तर प्रदेश की जनता एवं राज्य विधान मण्डल के सदस्यगणों की ओर से अभिनन्दन किया। उन्होंने ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ वर्ष के अवसर पर विधान मण्डल की समवेत बैठक को सम्बोधित करने के आमंत्रण को सहर्ष स्वीकार करने के लिए राष्ट्रपति जी के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए सौभाग्य का विषय है कि इस ऐतिहासिक अवसर पर हमें राष्ट्रपति जी का सम्बोधन एवं मार्गदर्शन प्राप्त होगा। राष्ट्रपति जी की गरिमामयी उपस्थिति हम सभी के लिए प्रेरणादायी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेशवासियों के लिए यह गौरव का विषय है कि प्रदेश के जनपद कानपुर देहात के परौंख गाँव जैसे एक सामान्य गांव के एक साधारण परिवार में जन्में राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द जी भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर देश की गरिमा में वृद्धि कर रहे हैं। यह भारत के लोकतंत्र की ताकत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री राम नाथ कोविन्द जी ने स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा कानपुर में लेने के पश्चात कानपुर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री भी प्राप्त की। वर्ष 1977 से 1979 तक वे दिल्ली उच्च न्यायालय में भारत सरकार के अधिवक्ता रहे। वर्ष 1979 में उच्चतम न्यायालय में एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड बने तथा वर्ष 1980 से 1993 तक उच्चतम न्यायालय में भारत सरकार के स्थायी अधिवक्ता के रूप में अपनी अमूल्य सेवाएं दीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश से देश के उच्च सदन राज्यसभा के सदस्य के रूप में श्री राम नाथ कोविन्द जी का निर्वाचन हुआ। वर्ष 2000 में वे पुनः उत्तर प्रदेश से ही राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। राज्यसभा की अनेक महत्वपूर्ण समितियों के साथ-साथ राज्यसभा की हाउस कमेटी के सभापति के रूप में भी उन्होंने अमूल्य सेवाएं दीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री राम नाथ कोविन्द जी ने भारतीय शिष्टमण्डल के सदस्य के रूप में 22 अक्टूबर, 2003 को संयुक्त राष्ट्र आम सभा को अपना महत्वपूर्ण सम्बोधन दिया। 08 अगस्त, 2015 को वे बिहार के राज्यपाल पद पर आसीन हुए। कुलाधिपति के रूप में उन्होंने राज्य विश्वविद्यालयों के काम-काज में अनेक सुधार लागू किए तथा उनमें प्रौद्योगिकी का प्रयोग भी प्रारम्भ किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल के रूप में श्री राम नाथ कोविन्द जी की स्वच्छ छवि, कार्यकुशलता और उल्लेखनीय उपलब्धियों ने राष्ट्रपति पद के लिए प्रबल और सर्वोत्तम विकल्प के रूप में आपको प्रस्तुत किया। वे वर्ष 2017 में देश के चौदहवें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए। देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद को धारण करने वाले श्री राम नाथ कोविन्द जी उत्तर प्रदेश से प्रथम राष्ट्रपति हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के प्रथम नागरिक के रूप में राष्ट्रपति जी ने भारत की ओर से शान्ति, प्रगति और भाईचारे का संदेश सम्पूर्ण विश्व को दिया है। राष्ट्रपति के रूप में श्री राम नाथ कोविन्द जी को छः देशों-मेडागास्कर, इक्वेटोरियल गिनी, ऐस्वातिनी, क्रोएशिया, बोलिविया और गिनी गणराज्य द्वारा वहां का सर्वोच्च राजकीय सम्मान प्रदान किया गया है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण के प्रति समर्पित 08 वर्ष पूर्ण हो गए हैं। इन 08 वर्षों के दौरान देशवासियों के आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी हुई है। प्रत्येक क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं बढ़ी हैं। जरूरतमन्दों तक बिना भेदभाव विकास और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचा है। भारत को नई वैश्विक प्रतिष्ठा भी प्राप्त हुई है। स्वाधीन भारत के इतिहास में पिछले 08 वर्षों का यह कार्यकाल बेमिसाल साबित हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज़ाद भारत की 75वीं वर्षगांठ स्वतंत्रता के गौरवशाली इतिहास के पुनरावलोकन का अवसर है। इसे पूरा देश आज़ादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है। उत्तर प्रदेश को यह गौरव प्राप्त है कि उसकी धरती से ही सन् 1857 में देश के प्रथम स्वातंत्र्य समर की शुरुआत हुई थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहास के पन्नों में आज़ादी के ऐसे भी नायक हैं, जिन्हें हो सकता है उचित स्थान न प्राप्त हुआ हो, परन्तु उनके योगदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री जी ने देश को अमृत महोत्सव के पंच सूत्र दिये हैं।

इन सूत्रों में आजादी की ऊर्जा का महोत्सव, स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणा का महोत्सव, नए विचारों का महोत्सव, नए संकल्पों का महोत्सव तथा आत्मनिर्भरता को प्राप्त करने का महोत्सव है। यह 05 सूत्र आजादी की लड़ाई के साथ-साथ आजाद भारत के सपनों और कर्तव्यों को देश के सामने रखकर आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव हमें आत्मावलोकन का अवसर दे रहा है। वर्ष 2047 का भारत कैसा होगा, इसके लिए प्रधानमंत्री जी ने आगामी 25 वर्ष के काल खण्ड को अमृत काल निर्धारित करते हुए, नवीन संकल्प के साथ नए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पूरे देश के नागरिकों से परिश्रम करने का आह्वान किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अवसर पर यह याद करना आवश्यक होगा कि आजादी के आन्दोलन की सबसे महत्वपूर्ण मांग ‘अपने देश के लिए अपने कानून’ की थी। देश हमारा लेकिन शासन अंग्रेजों का, इसलिए कानून भी उन्हीं का था। लम्बे संघर्ष के बाद हमें अपना कानून बनाने का अधिकार मिलने की शुरुआत हुई। यद्यपि हमें कानून बनाने का पूरा अधिकार नहीं मिला था, केवल शुरुआत हुई थी, इसके दृष्टिगत राज्य स्तर पर विधान मण्डल की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 05 जनवरी, 1887 को विधान परिषद का गठन किया गया था। उस समय उत्तर प्रदेश को ‘उत्तर पश्चिम प्रान्त एवं अवध प्रान्त’ के नाम से जाना जाता था। स्थापना के समय विधान परिषद का कोई निश्चित स्थान नहीं था। परिषद की प्रथम बैठक प्रयागराज में, एक बैठक बरेली मंे और एक बैठक मालवीय सभागार (तत्कालीन बैनेट हॉल), लखनऊ विश्वविद्यालय में हुई। विधान परिषद की बैठकें प्रयागराज या लखनऊ के राजभवन में होती रहीं। कालान्तर में लखनऊ में परिषद भवन निर्मित किया गया। यह भवन अब हमारा विधान भवन कहलाता है। वर्ष 1928 में यह भवन विधान परिषद का स्थायी स्थान बन गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गवर्नमेन्ट ऑफ इण्डिया एक्ट-1935 के अनुसार विधान मण्डल द्वि-सदनीय हो गया। तब विधान परिषद का मण्डप विधान सभा को दे दिया गया। वर्ष 1937 में अपने गठन के पश्चात विधान परिषद की प्रथम बैठक तत्कालीन परिषद भवन के एक समिति कक्ष में हुई। तत्समय ही विधान परिषद के लिए एक अलग मण्डप का निर्माण प्रारम्भ कर दिया गया था, जो वर्ष 1937 में तैयार हो गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महामना पं0 मदन मोहन मालवीय जी, पं0 गोविन्द बल्लभ पंत जी, डॉ0 ईश्वरी प्रसाद जी, पं0 मोती लाल नेहरू जी, श्रीमती महादेवी वर्मा जी, डॉ0 सम्पूर्णानन्द जी, राजर्षि पुरुषोत्तम दास टण्डन जी, गणेश शंकर विद्यार्थी जी, आचार्य नरेन्द्र देव जी जैसी विभूतियां उत्तर प्रदेश विधान मण्डल की सदस्य रहीं हैं। देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करने वाले श्री लालबहादुर शास्त्री, चौधरी चरण सिंह तथा श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह भी इसी विधान मण्डल के मा0 सदस्य रहे हैं। भारत के शायद ही किसी राज्य के विधान मण्डल ने देश को तीन-तीन प्रधानमंत्री दिये हों।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनवरी, 2013 में उत्तर प्रदेश विधान मण्डल का उत्तरशती रजत जयन्ती समारोह मनाया गया। इस अवसर पर 08 जनवरी, 2013 को तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी जी ने विधान मण्डल के पूर्व एवं वर्तमान सदस्यों को सम्बोधित किया था। उत्तर प्रदेश विधान मण्डल अपने स्थापना काल के पश्चात् से ही अनेक ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है। चाहे सामाजिक क्षेत्र हो, आर्थिक क्षेत्र हो या राजनैतिक क्षेत्र हो, उत्तर प्रदेश विधान मण्डल ने प्रत्येक क्षेत्र में समय-समय पर देश को नई दिशा और विभिन्न विधान मण्डलों को मार्गदर्शन दिया है। जनता के कल्याण और प्रदेश की प्रगति की दिशा में नये मापदण्ड और आयाम स्थापित किए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर आहूत विशेष सत्र में पहली बार सतत् विकास के लक्ष्यों पर लगातार दिन-रात 36 घण्टे की चर्चा की गई। संविधान दिवस 26 नवम्बर, 2019 को संविधान को अंगीकार किये जाने की 70वीं वर्षगांठ पर विधान मण्डल के विशेष सत्र में भी सार्थक चर्चा हुई थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों के अनुरूप भारत का विकास हो रहा है। इसके तहत उत्तर प्रदेश द्वारा विशिष्ट उपलब्धियां हासिल की गई हैं। नए भारत का नया उत्तर प्रदेश निरन्तर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के समग्र विकास तथा गांव, गरीब किसान, नौजवान, महिला सहित समाज के प्रत्येक वर्ग के कल्याण के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। सुदृढ़ कानून व्यवस्था से प्रदेश में विकास और निवेश का नया माहौल बना है। ईज़ ऑफ लिविंग का लक्ष्य प्राप्त किया जाना विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों का केन्द्र बिन्दु है। राज्य सरकार के प्रभावी प्रयासों के परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश आज केन्द्र सरकार की चार दर्जन विकास एवं जनकल्याणकारी योजनाओं में देश में प्रथम स्थान पर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के युवाओं को रोजगार एवं नौकरी प्रदान करने और उन्हें सामर्थ्यवान बनाने के लिए राज्य सरकार कृतसंकल्पित है। प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय पटल पर एक समर्थ प्रदेश के रूप में उभरा है। अब हमारा राज्य देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान जीवन और जीविका, दोनांे को बचाते हुए उत्तर प्रदेश में कोरोना का प्रभावी प्रबन्धन भी किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की 18वीं विधान सभा में कई विशिष्ट रूप से शिक्षित मा0 सदस्य निर्वाचित हुए हैं। अभी हाल ही में राज्यपाल जी के अभिभाषण तथा वर्ष 2022-23 के प्रदेश सरकार के बजट पर विधान मण्डल के सदस्यों ने सारगर्भित संसदीय परिपक्वता का परिचय देते हुए सारगर्भित परिचर्चा को आगे बढ़ाया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्रपति जी के सम्बोधन से सदस्यगण लाभान्वित एवं प्रेरित होंगे। राष्ट्रपति जी का आशीर्वचन सदस्यगणों के संसदीय एवं विधायी जीवन की सफलता में मार्गदर्शक सिद्ध होगा।

विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष श्री अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने संसदीय लोकतंत्र की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देते हुए इससे बेहतर कोई व्यवस्था नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि हम सबके लिए यह गौरव की बात है कि राष्ट्रपति जी उत्तर प्रदेश के हैं। हमारे प्रदेश के युवाओं को उनसे प्रेरणा मिलेगी।

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