
चुनाव नहीं लड़ेगा संयुक्त किसान मोर्चा, व्यक्तिगत रूप से चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र हैं किसान नेता
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अलग-अलग किसान संगठनों का प्रदर्शन लगातार जारी है। अलग-अलग किसान संगठनों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए एक संयुक्त किसान मोर्चा का गठन किया है। दूसरी ओर आरोप यह भी लग रहे है। कि संयुक्त किसान मोर्चा का एकमात्र उद्देश्य चुनावी लाभ है। वे भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहती है।
बीच-बीच में इस तरह की खबरें भी आती है। इन सबके बीच संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया है। कि इस बैनर तले कहीं भी चुनाव नहीं लड़ा जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया है। कि कोई भी व्यक्ति स्वतंत्र रूप से या किसी राजनीतिक दल के बैनर तले व्यक्तिगत हैसियत से चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र है। साथ ही साथ यह भी कहा गया है। कि अगर कोई भी चुनाव लड़ना चाहता है। तो उसे किसान मोर्चा से अलग होना होगा।
आपको बता दें कि हाल में ही हरियाणा भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा था। कि केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन में शामिल संगठनों को पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए। क्योंकि इससे बदलाव का मॉडल पेश किया जा सकता है। किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के प्रमुख नेता चढूनी ने कहा, ‘मैं कहना चाहता हूं कि हमें ‘मिशन उत्तर प्रदेश नहीं, बल्कि मिशन पंजाब’ चलाना चाहिए।
एसकेएम ने सितंबर में उत्तर प्रदेश में ‘महापंचायत’ और अन्य आयोजनों की योजना बनाई है। जहां अगले वर्ष चुनाव होने हैं। उन्होंने कहा, अब हम मिशन उप्र की ओर बढ़ रहे हैं। पांच सितंबर को वहां एक महापंचायत आयोजित की जाएगी। अन्य आयोजन होंगे। उसके बाद चुनाव आएंगे और हम भाजपा को हराने के लिए काम करेंगे। अगर मान लें कि भाजपा हार भी जाती है। तो क्या केंद्र हमारी मांगों को मान लेगा। इसे अन्यथा मत लीजिए।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है। जब किसान संगठनों पर राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से राजनीति करने का आरोप लग रहा है। चढूनी के बयान पर हरियाणा के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री तक ने बयान दिया है। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से अब तक इस तरह का औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है। लेकिन माना जा रहा है। कि सभी किसान नेताओं से बातचीत करने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से चुनाव लड़ने को लेकर स्थिति स्पष्ट की जा सकती है। संयुक्त किसान मोर्चा लगातार यह कहता है।
कि वह कोई राजनीतिक दल नहीं है। किसानो की हक की लड़ाई के लिए बनाया गया है। एक किसान नेता ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा एक ऐसा मंच है। जहां पांच सौ से ज्यादा संगठन एक साथ आए हैं। हमने भाजपा को हराने के लिए चर्चा जरूर की है। लेकिन यदि कोई किसान नेता भाजपा को चुनाव हराना चाहता है। तो वह व्यक्तिगत रूप से या किसी पार्टी की ओर से उम्मीदवार बन सकता है। कोई भी चुनाव लड़ता है तो उसे संयुक्त किसान मोर्चा को छोड़ना होगा। हमारा मोर्चा गैर राजनीतिक है। और ऐसा ही रहेगा।
संसद के बाहर प्रदर्शन के लिये तैयार किसान
मानसून सत्र के दौरान संसद भवन के बाहर प्रदर्शन में भाग लेने के लिए पंजाब के विभिन्न हिस्सों से किसानों के काफिलों ने दिल्ली की ओर यात्रा शुरू कर दी है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सोमवार को एक बयान में यह बात कही। एसकेएम ने कहा “हमने पहले ही, संसद के मानसून सत्र के दौरान 22 जुलाई से विरोध प्रदर्शन करने की योजना की घोषणा की थी।
लुधियाना, संगरूर, मनसा, बठिंडा, बरनाला, रोपड़, फाजिल्का और फरीदकोट सहित विभिन्न जिलों के दर्जनों कारवां सिंघू और टिकरी बॉर्डर के लिए रवाना हो चुके है। चालीस किसान संघों के संगठन एसकेएम तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर नवंबर से विरोध प्रदर्शन कर रहा है। संगठन ने किसानों के अधिकारों की बात संसद में उठाने के लिए 17 जुलाई तक विपक्षी दलों को चेतावनी पत्र भेजने की अपनी मंशा भी दोहराई।
एसकेएम ने कहा, फिर, 22 जुलाई से सत्र के अंत तक प्रत्येक किसान संगठन के पांच सदस्य, कुल मिलाकर कम से कम 200 किसान, संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे। कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश करती आ रही सरकार ने कानूनों में संशोधन की पेशकश की है। लेकिन उन्हें रद्द करने से इनकार कर दिया है। एसकेएम ने यह भी कहा कि पंजाब में भाजपा नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। और ‘‘आज बरनाला जिले के धनोला में भाजपा नेता हरजीत ग्रेवाल के खिलाफ रैली का आयोजन किया गया।बयान में कहा गया है। धनोला की दाना मंडी में इकट्ठा होने के बाद, प्रदर्शनकारी काले कृषि कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी की गारंटी देने वाला कानून लाने के नारे लगाते हुए धनोला बाजार पहुंचे।