मतलब उन्हें मुंह पर मास्क अवश्य ही पहनना होगा। साथ ही सोशल डिस्टेनसिंग पर भी ध्यान देना होगा। प्रधानमंत्री जी ने इसके लिये बहुत बढ़िया “दो गज की दूरी” का इस्तेमाल किया है I यानि कि मिलो-जुलो पर दूर से ही I अभी इस स्तर पर बहुत गड़बड़ी हो रही है। हालात यह है कि दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में पढ़े-लिखे लोग भी बहुत ही लापरवाही कर रहे हैं। इनमें रहने वाले पढ़े-लिखे शिक्षित लोग भी सुबह पार्कों और बाजारों में बिना मास्क पहने घूम रहे होते हैं। वे सोशल डिस्टेनसिंग या “दो गज की दूरी “ पर भी आवश्यक ध्यान नहीं दे रहे हैं।
महाराष्ट्र में कोरोना के रोगियों की तादाद अब तो 80 हजार से ज्यादा हो चुकी है। वहां पर स्थिति पर नजर रखने की जरूरत है। मुंबईकरों को अपने को कोरोना के हमले से बचाना ही होगा। पर वे तो मरीन ड्राइव पर सुबह इस तरह से निकलने लगे हैं मानो सब कुछ सामान्य हो गया हो। सैकड़ों मुंबईकर मरीन ड्राइव पर मास्क लगाकर टहलते तो दिखाए देते हैं लेकिन वहां सोशल डिस्टेनसिंग की कोई परवाह नहीं कर रहा है।
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