
वरद चतुर्थी व्रत से बाधाएं होती हैं दूर
आज वरद चतुर्थी व्रत है, हिन्दू धर्म में वरद चतुर्थी का खास महत्व है, तो आइए हम आपको वरद चतुर्थी के महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जाने वरद चतुर्थी व्रत के बारे में
भगवान श्री गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, विघ्नहर्ता यानी आपके सभी दु:खों को हरने वाले देवता। वरद चतुर्थी व्रत के दिन विधि-विधान से श्री गणेश की पूजा करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं।
विनायक चतुर्थी के दिन श्री गणेश की पूजा मध्याह्न समय में की जाती है। इस दिन गणेश की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, धन, संपन्नता एवं बुद्धि की प्राप्ति भी होती है। साथ ही श्री गणेश जी के निम्न महामंत्र का जाप करने से विशेष पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
इस साल वरद चतुर्थी 16 दिसम्बर को पड़ रही है। रिद्धि-सिद्धि, बुद्धि के दाता गणपति जी को प्रसन्न करने के लिए हर माह की विनायक चतुर्थी का व्रत बहुत शुभफलदायी माना जाता है। मार्गशीर्ष माह में आने वाली वरद चतुर्थी गणेश भक्तों के लिए बहुत खास मानी जा रही है। इस दिन चंद्रमा देखना वर्जित है।
वरद चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा
वरद चतुर्थी के दिन व्रतधारी ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें, लाल रंग के वस्त्र धारण करें। साथ ही पूजन के समय अपने शक्ति के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित शिव-गणेश प्रतिमा स्थापित करें।
संकल्प के बाद भगवान शिव और श्री गणेश का पूजन करके आरती करें। उसके बाद अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र चावल आदि चढ़ाएं। गणेश मंत्र- ‘ॐ गं गणपतयै नम:’ बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। अब बूंदी के 21 लड्डुओं और शिव जी को मालपुए का भोग लगाएं।



