
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स पर अभिनेता दिलजीत दोसांझ की आने वाली फिल्म पंजाब-95 को लेकर लंबे-लंबे पोस्ट किए हैं।
जो मानवाधिकार कार्यकर्ता शहीद जसवंत सिंह खालरा के जीवन पर आधारित है। बादल ने अपने पोस्ट में सेंसर बोर्ड से अपील की है कि फिल्म पंजाबी-95 को बिना किसी कट के पास किया जाए, ताकि सच्चाई लोगों के सामने आ सके।
सुखबीर सिंह बादल ने सेंसर बोर्ड पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर सेंसर बोर्ड कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर बनी फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ को बिना कट के पास कर सकता है। तो उन्हें पंजाब 95 पर आपत्ति क्यों है।
सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल सेंसर बोर्ड से शहीद जसवन्त सिंह खालड़ा पर बनी फिल्म को बिना किसी कट के रिलीज करने की अपील करता है।
सेंसर बोर्ड की कार्रवाई से सिख समुदाय दुखी
फेसबुक पर एक पोस्ट में सुखबीर सिंह बादल ने लिखा कि फिल्म पंजाब 95 एक मानवाधिकार कार्यकर्ता के खिलाफ राज्य के दमन को उजागर करती है और अदालती दस्तावेजों पर आधारित है।
सिख समुदाय इस बात से नाराज है कि सेंसर बोर्ड एक ऐसे कार्यकर्ता के खिलाफ राज्य के अत्याचारों को छिपाने की कोशिश कर रहा है जो आधिकारिक आंकड़ों के बाहर हत्याओं पर आंकड़े एकत्र कर रहा था।
खालरा के जीवन पर एक बायोपिक है पंजाबी-95
पंजाब-95 मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवन्त सिंह खालरा के जीवन पर एक बायोपिक है, जिन्होंने पुलिस द्वारा हजारों अज्ञात लोगों के अपहरण, हत्या और दाह संस्कार के सबूत खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
1980 के दशक के मध्य से 1990 के मध्य तक पंजाब में उग्रवाद के दौरान 25,000 अवैध दाह संस्कारों की खालरा की जांच ने दुनिया भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया।
इसके बाद सीबीआई जांच के बाद यह निष्कर्ष निकला कि पंजाब पुलिस ने गुपचुप तरीके से तरनतारन जिले में ही 2097 लोगों का अंतिम संस्कार कर दिया. इस खुलासे के बाद खालड़ा अचानक गायब हो गए।
उनकी मौत को शुरू में पंजाब पुलिस ने आत्महत्या करार दिया था, लेकिन बाद में, पंजाब पुलिस के छह अधिकारियों को खालरा के अपहरण और हत्या का दोषी ठहराया गया और सात साल जेल की सजा सुनाई गई।
The SAD condemns the legal murder of biopic on late Sardar Jaswant Singh Khalra through massive cuts imposed by Censor Board of India. These restrictions have reportedly killed its spirit as well as the theme.
The film Punjab 95 (earlier titled Ghallughara) highlights State… pic.twitter.com/OjrRz1v6m5— Sukhbir Singh Badal (@officeofssbadal) August 9, 2023
पहले घल्लूघारा था फिल्म का नाम
पहले इस फिल्म का नाम घल्लूघारा था। फिल्म का नाम घल्लुघर होते ही यह सुर्खियों में आ गई। फिल्म को सर्टिफिकेट देने में सेंसर बोर्ड को छह महीने से ज्यादा का वक्त लग गया।
लेकिन जब इसकी रिलीज को हरी झंडी मिली तो फिल्म को ए सर्टिफिकेट के साथ 21 कट्स का सामना करना पड़ा। जिसके बाद फिल्म निर्माता सीबीएफसी के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट चले गए।



