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Maldives में राजनीतिक संकट, सईद और गयूम गिरफ्तार

जाहिर है चीन वहां इसलिए पैसे नहीं लगा रहा कि वह उसके लिए कोई आकर्षक बाजार है। इसकी इकलौती वजह रणनीतिक है। चीन की महत्वाकांक्षा कहीं न कहीं मालदीव (Maldives) में मिलिटरी बेस बनाने की भी है। मौजूदा तानाशाह अब्दुल्ला यामीन को चीन का करीबी माना जाता है।

हाल के वर्षों में मालदीव (Maldives) का भारत के बजाय चीन की तरफ झुकाव बढा है। 2012 में हुए सैन्य तख्तापलट में मालदीव (Maldives) के पहले निर्वाचित राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। उसके बाद चीन ने मालदीव को अपने पाले में करने के लिए आक्रामक रणनीति अपनाई। चीन ने एक तरह से मालदीव (Maldives) को कर्ज के जाल में फंसा लिया। मालदीव (Maldives) के लिए कुल अंतरराष्ट्रीय कर्ज में करीब दो-तिहाई हिस्सेदारी तो अकेले चीन की है।

हैरानी की बात यह है कि 2011 तक मालदीव (Maldives) में जिस चीन का दूतावास तक नहीं था, वही चीन अब वहॉं की घरेलू राजनीति में प्रभावी दखल रखता है। मालदीव (Maldives) अब चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड इनीशियेटिव (BRI) का हिस्सा है।

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