
सप्ताह के प्रमुख व्रत
महालक्ष्मी व्रत से पाएं सुख-समृद्धि और सौभाग्य
भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष अष्टमी के दिन से श्री महालक्ष्मी व्रत आरंभ हो जाते हैं और आश्विन माह में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को संपन्न होते हैं। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए श्री महालक्ष्मी व्रत किया जाता है। इस व्रत में मां लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा-अर्चना करने से उनकी कृपा के साथ मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। महालक्ष्मी व्रत का 16वें दिन उद्यापन किया जाता है।
पूजा में 16 का विशेष महत्व
श्रीमहालक्ष्मी व्रत में 16का विशेष महत्व है। 16 बार तर्पण, 16 दीपक, 16 बोल की कहानी, 16 शृंगार, 16 दिन का व्रत, 16 दूर्वा, 16 डुबकी लगाने का विधान है। इस दौरान खट्टी और नमक वाली चीजों के सेवन की मनाही होती है। सुबह-शाम मां लक्ष्मी की पूजा-आराधना करें। महालक्ष्मी व्रत में व्रती के साथ परिवार के सदस्यों को भी तामसिक छोड़कर केवल सात्विक भोजन करना चाहिए।
14 सितंबर को व्रत का पारण
इस बार महालक्ष्मी व्रत 31 अगस्त से शुरू हुए थे और 14 सितंबर को समाप्त होंगे। महालक्ष्मी व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अन्न ग्रहण करके किया जाता है। इस दिन पूजा स्थल की सफाई करके गणेश जी और नवग्रहों का पूजन करें, उसके बाद माता महालक्ष्मी की पूजा करके उन्हें 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।