आईआईटी के साथ हुआ ग्रामश्री का एमओयू, राज्यपाल बोलीं- अब शोध से हस्तशिल्पियों का बचेगा समय
हस्तशिल्पियों के सामने समय पर उत्पाद तैयार करना बहुत बड़ी चुनौती है। हाथ से काम होने की वजह से अक्सर कारीगर उत्पाद की बेहतर मांग होने के बाद भी आपूर्ति नहीं कर पाता है। इसलिए शोध से ऐसी मशीनें बनाए जाने की जरूरत है, जिससे हस्तशिल्प समय पर अपने उत्पाद बना सके। ग्रामश्री और क्रॉफ्टरूट का आईआईटी कानपुर के साथ समझौता हुआ है। अब यह विशेषज्ञ हस्तशिल्पियों की समस्या का समाधान आधुनिक मशीन व उपकरण बनाकर करेंगे।
यह कहना है कि प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का। वे शुक्रवार को लाजपत भवन में हस्तकला प्रदर्शनी को संबोधित कर रही थी। बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने हस्तशिल्प कलाकारों की चुनौतियों और उसके निदान पर चर्चा भी की। कहा कि हस्तशिल्पियों के उत्पादों की वैश्विक मांग है।
इसके बाद भी इस क्षेत्र में उत्पाद तैयार करने में बहुत समय लगता है। आईआईटी के साथ हुए एमओयू से अब इस समस्या का निदान भविष्य में सामने आएगा। उधर प्रदर्शनी के दौरान ही ग्रामश्री क्रॉफटरूट की संस्थापक अनार पटेल और आईआईटी कानपुर के प्रतिनिधि के बीच इस विषय पर एमओयू भी साइन हुआ। एमओयू साइन होने के दौरान आईआईटी के निदेशक प्रो मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि इस सेक्टर में काम की रफ्तार तेज हो सके इसके लिए संस्थान के डिजाइन विभाग की ओर से कार्य किया जाएगा।
इसके अलावा नई डिजाइन पर भी शोध कार्य एमओयू के तहत किया जाएगा। मशीनों को डिजाइन करते समय इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि मशीनें इस प्रकार डिजाइन की जाए जिससे हाथ के कारीगरों के कार्य पर किसी तरह का असर न पड़ सके। समारोह के दौरान सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो विनय पाठक ने भी छात्रों को हस्तकला शिल्प की ओर रुख करने का आह्वान किया। कहा कि युवा जब इस क्षेत्र से जुड़ेगा तो अपनी नई सोच और डिजाइन के बल पर इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने में योगदान देगा।
अहमदाबाद में होगा सर्वे
एमओयू के बाद अब आईआईटी के विशेषज्ञ सबसे पहले अहमदाबाद जाकर वहां पर हस्तकला के क्षेत्र में कार्य कर रहे कारीगरों पर सर्वे करेंगे। इस सर्वे के दौरान विशेषज्ञ कारीगरों की समस्याओं और उसके समाधान पर भी कार्य करेंगे। आईआईटी कानपुर की ओर से होने वाले इस सर्वे में कारीगरों की सहूलियत को देखते हुए उपकरणों को तैयार किया जाएगा।