खबरफ्लैश न्यूजविशेष

कोरो-बॉट करेगा स्वास्थ्यकर्मियों की मदद, 23 साल के प्रतीक ने बनाया रोबोट

कोरोना वॉरियर्स हर दिन खतरों के साथ अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं। ऐसे में, अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टरों, नर्सों, वार्ड बॉय और अन्य लोगों के काम तो और भी ज़्यादा जोखिम भरे हैं। इन्हीं सब बातों से अवगत एक 23 वर्षीय, इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियर ने ऐसी रचना की है कि वह चीज़ कोरोना मरीजों से नर्स या वार्ड बॉय के शारीरिक संपर्क में कटौती कर देगा। थाणे के रहने वाले, प्रतीक तिरोड़कर ने ऐसा कमाल कर दिखाया है कि इससे कोविड का इलाज कर रहे अस्पतालों में कोरोना मरीजों से संपर्क की आवश्यकता कम हो सकती है। उसने इंटरनेट से नियंत्रित किए जाने वाले पहले प्रकार के रोबोट की रचना की है।

‘कोरो-बॉट’ कहे जाने वाले इस रोबोट को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान से प्रेरित होकर प्रतीक ने इसका आविष्कार किया है। इस कोरो-बॉट की खास बात यह है कि यह बिना किसी और की मदद के, खुद ही कोरोना मरीज़ों को पानी, खाना, पेय पदार्थ, दवाइयां और अच्छी सलाह दे सकता है। इसमें किसी नर्स या अन्य हेल्प करने वाले की जरूरत नहीं है। इसको बनाने वाले प्रतीक तिरोड़कर डोम्बिवली स्थित पीएनटी सॉल्यूशंस स्टार्टअप कंपनी के मालिक हैं। उनके इस रोबोट का प्रयोग कल्याण के होली क्रॉस अस्पताल में किया जा रहा है।

संचालन के लिए बनाया है खास ऐप

इसके संचालन के लिए एक खास ऐप बनाया गया है जो कि ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ के आईडिया पर आधारित है। इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग खासतौर पर घर के यंत्रों या स्मार्ट होम में होता है। प्रतीक की मानें तो यह पहली बार है कि इस आईडिया को मेडिकल फील्ड में पहली बार प्रयोग में लाया गया है। इस ऐप से कोई भी रोबोट को दुनिया के किसी भी कोने से नियंत्रित कर पाएगा। इसके अंदर एक कैमरा लगा हुआ है जिससे रोगियों से रोबोट संपर्क कर पाएगा। कैमरे की मदद से रोबोट यह जानकारी ले सकेगा कि उन्हें खाना, पानी, दवाई या अन्य किस चीज की आवश्यकता है। इसके अंदर एक स्पीकर भी लगा हुआ। यह स्पीकर रोगियों को सलाह देते वक़्त काम आएगा।

क्या है इस ‘कोरो-बॉट’ के फीचर्स?

आत्मनिर्भर शब्द से प्रेरित हुए, प्रतीक की यह रचना मेडिकल वालों के लिए एक बहुत बड़ी मदद है। यह रोबोट, ना ही सिर्फ़ मरीजों को ट्रे से समान उठाने से पहले हाथ सैनिटाइज करने की सलाह देता है, बल्कि खुद को भी समय-समय पर सैनिटाइज करता है। इसमें तीन ट्रे हैं, जहां कितनी भी वस्तुओं को रखा जा सकता है। हर ट्रे में 10-15 किलो के सामान को रखने का बल है। इसके तल पर 30 किलो के चीज़ों को रखने की क्षमता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि एक समय में रोबोट 12 लोगों तक को सामान देने की सेवा कर सकता है।

इसमें पानी, चाय, कॉफी के लिए अलग-अलग डिस्पेंसर दिए गए हैं। सैनिटाइजर के लिए सेंसर दिया गया है। जब मरीज अपना हाथ उसके नीचे रखता है, तब तुरंत वह सैनिटाइजर को उसके हाथ पर डाल देता है और हाथ हटाए जाने पर बिना किसी देरी के, सैनिटाइजर का फ्लो बंद कर देता है। इससे सैनिटाइजर के फालतू खर्च होने का डर नहीं रहता।

रात के अंधेरे में भी इस रोबोट का प्रयोग काफी आसान है क्योंकि इसमें एलईडी लाइटें लगी हैं। आपातकालीन बटन और लंच-डिनर के लिए टाइमर भी उपलब्ध है। यदि आपको कोई मनोरंजन चाहिए या कंप्यूटर का बेसिक कार्य करना चाहते हैं, तो उसके लिए पीसी जैसा छोटा स्क्रीन भी दिया गया है।

रोबोट रख सकता है खुद का ख्याल

रोबोट के पीछे तीन नलिकाएं दी गई हैं। इससे यह खुद को कीटाणुनाशक स्नान देता है। जब भी कोरो-बॉट चलता है, तो अपने आगे और पीछे के रास्तों पर सैनिटाइजर छिड़कते हुए जाता है। यह ज़मीन पर यू.वी लाइट्स के इस्तेमाल से उसे कीटाणुरहित बनाता है। इस प्रकार यह खुद का भी ख्याल रखता है। सिर्फ लोगो को नहीं, बल्कि खुद को भी सैनिटाइज करता है।

क्या कहते हैं प्रतीक?

मुंबई के भारती विद्यापीठ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के छात्र, प्रतीक कहते हैं कि, “मैं इस रोबोट को हमारे वार्ड बॉय और नर्सों के लिए खासतौर पर बनाना चाहता था, जो कोरोना मरीजों की देखभाल में सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं।” उन्होंने बताया कि वे इस रोबोट के लिए जरूरी सामान का प्रबंध करने में असफल रहे क्योंकि लॉकडाउन का समय था। फिर, कल्याण के एमपी श्रीकांत शिंदे ने उनकी सहायता की।

अपने 8 लोगों के टीम के साथ, वे प्रोटोटाइप बनाने में सफल रहे। वे कहते हैं कि लॉकडाउन में और ढील मिलते ही, वे कुछ और सामानों को उस रोबोट में जोड़ेंगे ताकि उसका पूरा रूप तैयार किया जा सके। उनके इस एक रोबोट को बनने में पंद्रह दिन का समय लगा था।

प्रतीक तिरोड़कर ने पहले भी कई आविष्कार किए हैं। इसमें 47 एक्सिस मूवमेंट्स के साथ वाला दुनिया का पहला ‘ह्यूमनॉइड’, विभिन्न बाहरी अनुप्रयोगों के लिए एक रोबोट पक्षी ऑर्निथॉप्टर, एक मिनी-पैकेजिंग रोबोट और अन्य ऐसे हाई-टेक क्रिएशन शामिल हैं।

दो दर्जन अस्पतालों से आए है कोरो-बॉट के लिए आदेश

कोरो-बॉट के दाम 1.60 से लेकर 3.80 लाख तक के रुपयों के अन्तर्गत आते हैं। यह ज़रूरी स्पेसीफिकेशन पर निर्भर करता है। उसके साथ दाम ऊपर-नीचे हो सकते हैं। इसी के साथ, मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) के लगभग दो दर्जन अस्पतालों ने कोरो-बॉट के लिए आदेश दिया है। प्रतीक की कंपनी पीएनटी सॉल्यूशंस इन्हें एक माह में डिलीवर करने की उम्मीद रखती है। थाणे के संरक्षक मंत्री ने एक बयान में कहा है कि कोरो-बॉट एक दर्जन और सरकारी और निजी अस्पतालों में मंगवाई जा सकती है। प्रतीक को उम्मीद है कि उनकी कंपनी के लोग एक हफ्ते में दो-तीन रोबोट बना सकते हैं।

राज्‍यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button

sbobet

https://www.baberuthofpalatka.com/

Power of Ninja

Power of Ninja

Mental Slot

Mental Slot