
सरकारी नियंत्रण से मुक्त होंगे 51 मंदिर
देवस्थानम बोर्ड को लेकर 2019 में आंदोलन चल रहा था कि मंदिर को किसी भी तरह से देवस्थानम बोर्ड से अलग किया जाए। ये फैसला त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने लिया था। लेकिन तीरथ सिंह रावत ने इसको पलटकर वापस 51 मंदिरों को देवस्थानन बोर्ड से अलग करने का फैसला लिया है।
देवस्थानम बोर्ड में शामिल किए गए बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सहित 51 मंदिरों को बोर्ड के नियंत्रण से मुक्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड के बारे में पुनर्विचार किया जाएगा। इस बारे में उनकी सरकार गंभीरता से विचार करेगी और जल्द ही चार धामों के तीर्थ पुरोहितों की बैठक बुलाएंगे।
दिसंबर 2019 में उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार ने बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत प्रदेश के 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के लिए एक एक्ट के जरिये चारधाम देवस्थानम बोर्ड बनाया। इस एक्ट को मंजूरी मिलने से पहले ही मंदिरों के पुरोहितों ने बोर्ड और मंदिरों के सरकारीकरण का विरोध शुरू कर दिया। उत्तराखंड सरकार के इस कदम को हिन्दुओं की आस्था में दखल करार देते हुए संत समाज ने भी पुरोहितों का साथ देने का ऐलान किया।