एनालिसिस
Bofors का जिन्न सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेगी सीबीआई
सीबीआई ने यह पिटीशन उस समय दाखिल की है जब एक दिन पहले ही अटार्नी जनरल के0के0 वेणुगोपाल ने साफ किया है कि इस केस को लेकर किसी भी तरह की अपील नहीं की जानी चाहिए। पूरे मामले में लंबा समय निकल जाने के कारण इसका अब कोई महत्व नहीं रह गया है। इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के सदस्य और वकील अजय कुमार अग्रवाल ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केस फाइल की है।
बोफोर्स (Bofors) केस के आरोपियों को दिल्ली हाईकोर्ट ने मई 2005 में बरी कर दिया था। बोफोर्स (Bofors) मामला 65 करोड़ रुपये की दलाली से जुड़ा है। बोफोर्स केस 1987 में सामने आया था। आज तीस सालों के बाद पुन: उसी मामले को खुलवाने और सुप्रीम कोर्ट में चलाने का क्या औचित्य? सिवाय इसके कि सुप्रीम कोर्ट को बिना मतलब उस केस में उलझा दिया जाये, जिसका कोई मतलब नहीं।
इसमें स्वीडन से (Bofors) तोप खरीदने के सौदे में रिश्वत के लेनदेन के आरोपों में तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी और दिवंगत इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के नाम सामने आया था।
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