
सावन माह में बुधाष्टमी व्रत करने से होते हैं सभी पाप नष्ट
आज बुधाष्टमी पर्व है, इस व्रत को बुधवार के दिन अष्टमी तिथि के पड़ने पर किया जाता है। श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया गया बुधाष्टमी व्रत जीवन में सुख को लाता है तो आइए हम आपको बुधाष्टमी व्रत के महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें बुधाष्टमी पर्व के बारे में
हिंदू पंचांग के आधार पर सावन मास में अष्टमी तिथि व्रत का बहुत बड़ा महत्व है। अष्टमी व्रत के दिन काल भैरव की पूजा शिव के साथ किया जाता है। यदि बुधवार के दिन अष्टमी व्रत का संगम बनता है, तब बुध अष्टमी व्रत माना जाता है और यह विशेष लाभकारी हो जाता है। इस व्रत को करने से भूत प्रेत व नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं और सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं।
बुधाष्टमी का महत्व
हमारे शास्त्रों में अष्टमी तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। जिस बुधवार के दिन अष्टमी तिथि पड़ती है उसे बुध अष्टमी कहा जाता है। बुध अष्टमी के दिन सभी लोग विधिवत बुद्धदेव और सूर्य देव की पूजा अर्चना करते हैं। पंडितों के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में बुध कमजोर होता है उनके लिए बुध अष्टमी का व्रत बहुत ही फलदाई होता है।
बुधाष्टमी के दिन ऐसे करें पूजा
बुध अष्टमी का व्रत करने के लिए व्यक्ति को प्रातः काल उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करने के पश्चात् पूजा का संकल्प लेना चाहिए। अगर आपके घर के आस पास कोई नदी नहीं है तो अपने नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। ऐसा करने से आपको गंगा स्नान जितना ही पुण्य प्राप्त होगा। अब एक कलश में गंगाजल भर कर अपने घर के पूजा कक्ष स्थापित करें। बुधाष्टमी के दिन बुध देव की पूजा के साथ बुधाष्टमी की कथा भी अवश्य सुननी चाहिए।
व्रत का संकल्प लेने के पश्चात् बुध ग्रह की विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए। बुधाष्टमी के दिन भगवान् को भोग लगाने के लिए 8 प्रकार के पकवान बनाने चाहिए और इन्हे बांस के पत्तों में रखकर भगवान को भोग लगाना चाहिए। इस भोग को फल, फूल, धूप आदि के साथ बुध देव को चढ़ाना चाहिए। पूजा खत्म होने के पश्चात् भगवान पर चढ़ाये गए भोग को परिवार के सभी लोगों के साथ मिलकर ग्रहण करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है।
बुधाष्टमी व्रत के लाभ
जो भी मनुष्य पूरे विधि विधान से बुधाष्टमी का व्रत करता है उसके सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस व्रत करने से धन-धान्य पुत्र और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से मनुष्य धरती पर सभी सुखों को भोग कर मृत्यु के पश्चात स्वर्ग को प्राप्त होता है।
बुद्ध दोष दूर करने के लिए बुद्धाष्टमी के दिन करें ये उपाय
अगर आपकी कुंडली में बुध दोष है और आप अपनी कुंडली से बुद्ध दोष को दूर करना चाहते हैं तो ,बुद्ध अष्टमी के दिन ये छोटे-छोटे उपाय करके इस दोष से छुटकारा पा सकते हैं।
– भगवान गणेश को मोदक बहुत प्रिय है, अगर आप बुद्ध दोष से छुटकारा पाना चाहते हैं तो बुद्ध अष्टमी के दिन भगवान गणेश को मोदक का प्रसाद चढ़ाये।
– अपनी कुंडली से बुध दोष के प्रभाव को दूर करने के लिए बुद्ध अष्टमी के दिन अपने हाथ की सबसे छोटी उंगली में पन्न रत्न धारण करें. पन्ना रत्न धारण करने से पहले किसी ज्योतिषी से सलाह जरूर लें.
– बुधवार के दिन गाय को हरी घास खिलाने से भी भगवान् गणेश प्रसन्न होते हैं और बुध दोष का असर कम होता है।
– कुंडली से बुद्ध दोष को दूर करने के लिए बुद्ध अष्टमी के दिन भगवान् गणेश को सिंदुर अर्पित करें।
– बुद्ध अष्टमी के दिन स्नान करने के पश्चात् किसी मंदिर में जाकर गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं। अगर आप भगवान गणेश को दूर्वा की 11 या 21 गांठ चढ़ाते है तो इससे आपको बहुत जल्द फल प्राप्त होगा।
बुधाष्टमी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा
भविष्यपुराण की एक कथा के अनुसार इल नाम के राजा रहा करते थे। एक बार वह हिरण का पीछा करते हुए, उस वन में जा पहुंचे जहां भगवान शिव और पार्वती जी भ्रमण कर रहे थे। उस समय शिव जी का आदेश था कि वन में पुरुष प्रवेश करते ही स्त्री में बदल जाए। इसलिए जैसे ही राजा इल ने वन में प्रवेश किया वह स्त्री बन गए। इल के उत्तम स्वरूप को देख बुध देव उन पर मोहित हो गए तथा उनसे विवाह कर लिया। जिस दिन इल और बुध का विवाह हुआ उस दिन अष्टमी तिथि थी, तभी से बुधाष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा।
बुधाष्टमी व्रत दिलाता है विजय
बुधाष्टमी पर्व विजय की प्राप्ति के लिए बहुत ही उपयोगी होता है। यह व्रत उन कार्यों में सफलता दिलाने में बहुत सहायक बनता है जिनमें व्यक्ति को साहस और शौर्य की अधिक आवश्यकता होती है। धर्मराज, मां दुर्गा और भगवान शिव की शक्ति के लिए भी बुधाष्टमी व्रत बहुत महत्व होता है। इस व्रत की ऊर्जा का प्रवाह व्यक्ति को जीवन शक्ति और विपदाओं से आगे बढ़ने की क्षमता देता है।
जिस पक्ष में बुधाष्टमी का अवसर हो उस दिन यह सिद्धि का योग बनाता है। बुध अष्टमी तिथि में किसी पर विजय प्राप्ति करना उत्तम माना गया है। यह विजय दिलाने वाली तिथि है, इस कारण जिन भी चीजों में व्यक्ति को सफलता चाहिए वह सभी काम इस तिथि में करे तो उसे सकारात्मक फल मिल सकते हैं। यह दिन बुरे कर्मों के बंधन को दूर करता है। इस दिन लेखन कार्य, घर इत्यादि वास्तु से संबंधित काम, शिल्प निर्माण से संबंधी काम, अस्त्र-शस्त्र धारण करने वाले काम का आरम्भ भी सफलता देने वाला होता है।