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सुजलान एनर्जी के चेयरमैन तुलसी तांती का हृदयगति रुकने से निधन

नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की कंपनी सुजलान एनर्जी के संस्थापक चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक तुलसी तांती का हृदय गति रुकने से निधन हो गया है। वह 64 वर्ष के थे। कंपनी के एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि तांती शनिवार शाम को अहमदाबाद से पुणे जा रहे थे।

और उसी दौरान उनकी हृदय गति रुक गई। उनके परिवार में पत्नी गीता, बेटी निधि और बेटा प्रणव हैं। कंपनी ने शेयर बाजारों को तांती के असामयिक निधन की सूचना दी है। कंपनी ने कहा, इस मुश्किल समय में अनुभवी निदेशक मंडल और वरिष्ठ प्रबंधन टीम तांती की विरासत को आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।

सुजलान एनर्जी इस समय राइट्स इश्यू के जरिये 1,200 करोड़ रुपये का कोष जुटाने की तैयारियों में लगी हुई है। कंपनी के अधिकारी ने बताया कि तांती राइट्स इश्यू से संबंधित मसलों पर कई बैठकों में हिस्सा लेने के बाद अहमदाबाद से पुणे स्थित अपने घर लौट रहे थे।

उसी समय उन्होंने सीने में दर्द होने की शिकायत अपने ड्राइवर से की और अस्पताल ले जाने को कहा। लेकिन कोई चिकित्सकीय मदद मिलने के पहले ही उनका निधन हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तांती के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें अपने क्षेत्र का पथ-प्रदर्शकबताया।

प्रधानमंत्री ने अपने एक ट्वीट में कहा, तुलसी तांती एक पथ-प्रदर्शक कारोबारी दिग्गज थे। जिन्होंने भारत की आर्थिक प्रगति में योगदान दिया और टिकाऊ विकास की दिशा में देश के प्रयासों को मजबूती दी।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी अपने शोक संदेश में कहा कि तांती ने भारत में पवन ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति की अगुवाई की। रीन्यू पावर के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुमंत सिन्हा ने अपने ट्वीट में उनके निधन पर गहरा शोक जताते हुए कहा कि वह नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के अग्रदूत थे।

गुजरात के राजकोट में 1958 में जन्मे तांती ने गुजरात विश्वविद्यालय से स्नातक किया था। उन्होंने 1995 में सुजलान एनर्जी की स्थापना की थी। जिसका मूल्यांकन अब 8,535.9 करोड़ रुपये हो चुका है। तांती ने भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को अलग पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने सुजलान एनर्जी की स्थापना के साथ भारत में पवन ऊर्जा के क्षेत्र में कदम जमाए।

वह इंडियन विंड टर्बाइन मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के चेयरमैन भी थे। उन्होंने एक नया कारोबारी मॉडल अपनाया जिसमें कंपनियों को हरित ऊर्जा विकल्प अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। उनके मार्गदर्शन में सुजलान एनर्जी ने भारत के अलावा यूरोपीय बाजारों में भी अपनी मौजूदगी दर्ज की। जर्मनी, नीदरलैंड्स, डेनमार्क में भी कंपनी के शोध एवं विकास केंद्र मौजूद हैं।

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