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इमरान की राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति: आखिर क्यों बदला पाक का सुर, क्या आतंकवाद और व्यापार एक साथ चल सकता है?

पाकिस्तान ने हिन्दुस्तान से तीन-तीन जंगों में हाथ आजमाया। सात दशक में तीन जंगें हारने के बावजूद पाकिस्तान की हेकड़ी नहीं गई। पाकिस्तान भारत को दम दिखाने के लिए मिसाइलें छोड़ता रहा, न्यूक्लियर अटैक की धमकी देता रहा। भारत के फाइटर विमान के मुकाबले के विमान दिखाता रहा। लेकिन बात-बात पर भारत को आंखे दिखाना वाला पाकिस्तान अब घुटनों पर है। पाकिस्तान अब भारत में आतंकवादी हमलों के सपने भी नहीं देखना चाहता है। इसके साथ ही वो अब भारत के खिलाफ साजिशें भी नहीं करना चाहता है। पाकिस्तान अब भारत से रिश्ते सुधारने को बेकरार है। पाकिस्तान सरकार ने अपने वजूद में आने के बाद पहली बार जो सुरक्षा नीति बनाई है, उसमें कुछ ऐसी ही बातें कही गई है।

100 पन्नों का मौलिक दस्तावेज
पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा नीति बनी है। सात साल में दो सरकारों की मेहनत के बाद जो ये सुरक्षा नीति तैयार हुई है। उसके बारे में 14 जनवरी को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तानियों को बताया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि 100 पन्नों के मौलिक दस्तावेज में राष्ट्रीय सुरक्षा को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इस सुरक्षा नीति में इमरान खान सरकार ने भारत के साथ भारत के साथ अच्‍छे रिश्‍ते की उम्‍मीद जताई है। साथ ही जम्‍मू-कश्‍मीर को द्विपक्षीय संबंधों में कोर मुद्दा बताया गया है।

भारत के लिए क्या
2022 से 2026 तक के लिए जारी यह पंचवर्षीय पॉलिसी डॉक्युमेंट कहता है कि भारत के साथ रिश्ते सुधारने और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कश्मीर का विवाद अंतिम तौर पर सुलझ जाने का इंतजार करना जरूरी नहीं है। उसे लेकर दोनों पक्षों में पॉजिटिव बातचीत जारी रखते हुए भी आपसी सहयोग और व्यापार को बढ़ावा देने का काम किया जा सकता है।

नीति में जम्मू-कश्मीर को द्विपक्षीय संबंध के केंद्र में रखा गया है। यूसुफ के हवाले से कहा गया कि जब उनसे पूछा गया कि यह भारत को क्या संदेश देता है तो उन्होंने कहा, ‘‘यह भारत को कहता है कि सही कार्य करिए और हमारे लोगों की बेहतरी के लिए क्षेत्रीय संपर्क से जुड़िए। यह भारत को यह भी कहता है कि अगर आप सही कार्य नहीं करेंगे तो इससे पूरे क्षेत्र को नुकसान होगा और उसमें भी सबसे अधिक भारत का नुकसान होगा।

रूस के साथ भी बेहतर रिश्ते
इमरान खान सरकार भारत के दोस्‍त रूस के साथ भी अच्‍छे रिश्‍ते बनाना चाहती है। पाकिस्‍तान ने कहा कि अमेरिका के साथ उसका सहयोग का लंबा इतिहास रहा है। पाकिस्‍तान किसी खेमे की राजनीति का हिस्‍सा नहीं बनना चाहता है।

कथनी पर ईमानदारी से अमल जरूरी
अगर पाकिस्तान अपने रुख में निर्णायक बदलाव लाता है और वह ईमानदारी से उस पर अमल करता है तो दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में सुधार इस पूरे क्षेत्र में शांति और समृद्धि के एक नए दौर की शुरुआत साबित हो सकता है। भारत और पाकिस्तान को मिला दें तो आबादी के लिहाज से यह दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा। भारत के साथ सामान्य व्यापारिक संबंध रखने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को कहीं अधिक फायदा हो सकता है, जो अभी बहुत मुश्किल दौर से गुजर रही है। बेशक, इससे भारतीय कंपनियों को भी एक आकर्षक बाजार मिलेगा।

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