धार्मिकराष्ट्रीय

जन्माष्टमी विशेष – श्रीकृष्ण का जीवन दर्शन एवं अलौकिक लीलाएं

जन्माष्टमी का त्यौहार प्रतिवर्ष भाद्रपक्ष कृष्णाष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व का भारतीय संस्कृति में इतना महत्व इसीलिए माना गया है क्योंकि श्रीकृष्ण को भारतीय संस्कृति का विलक्षण महानायक माना गया है। उनके व्यक्तित्व को जानने के लिए उनके जीवन दर्शन और अलौकिक लीलाओं को समझना जरूरी है। द्वापर युग के अंत में मथुरा में अग्रसेन नामक राजा का शासन था। उनका पुत्र था कंस, जिसने बलपूर्वक अपने पिता से सिंहासन छीन लिया और स्वयं मथुरा का राजा बन गया।

कंस की बहन देवकी का विवाह यदुवंशी वसुदेव के साथ हुआ। एक दिन जब कंस देवकी को उसकी ससुराल छोड़ने जा रहा था। तभी आकाशवाणी हुई, हे कंस! जिस देवकी को तू इतने प्रेम से उसकी ससुराल छोड़ने जा रहा है, उसी का आठवां बालक तेरा संहारक होगा। आकाशवाणी सुन कंस घबरा गया। उसने देवकी की ससुराल पहुंचकर जीजा वसुदेव की हत्या करने के लिए तलवार खींच ली। तब देवकी ने अपने भाई कंस से निवेदन किया कि हे भाई! मेरे गर्भ से जो भी संतान होगी, उसे मैं तुम्हें सौंप दिया करूंगी, उसके साथ तुम जैसा चाहे व्यवहार करना पर मेरे सुहाग को मुझसे मत छीनो।

कंस ने देवकी की विनती स्वीकार कर ली और मथुरा लौट आया तथा वसुदेव एवं देवकी को कारागार में डाल दिया। कारागार में देवकी ने अपने गर्भ से पहली संतान को जन्म दिया, जिसे कंस के सामने लाया गया। देवकी के गिड़गिड़ाने पर कंस ने आकाशवाणी के अनुसार देवकी की आठवीं संतान की बात पर विचार करके उसे छोड़ दिया पर तभी देवर्षि नारद वहां आ पहुंचे और उन्होंने कंस को समझाया कि क्या पता, यही देवकी का आठवां गर्भ हो, इसलिए शत्रु के बीज को ही नष्ट कर देना चाहिए। नारद जी की बात सुनकर कंस ने बालक को मार डाला। इस प्रकार कंस ने देवकी के गर्भ से जन्मे एक-एक कर 7 बालकों की हत्या कर दी।

जब कंस को देवकी के 8वें गर्भ की सूचना मिली तो उसने बहन और जीजा पर पहरा और कड़ा कर दिया। भाद्रपक्ष की कृष्णाष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में देवकी के गर्भ से श्रीकृष्ण ने जन्म लिया। उस समय घोर अंधकार छाया हुआ था तथा मूसलाधार वर्षा हो रही थी। तभी वसुदेव जी की कोठरी में अलौकिक प्रकाश हुआ। उन्होंने देखा कि शंख, चक्र, गदा और पद्मधारी चतुर्भुज भगवान उनके सामने खड़े हैं। भगवान के इस दिव्य रूप के दर्शन पाकर वसुदेव और देवकी उनके चरणों में गिर पड़े।

तब उन्होंने वसुदेव से कहा, अब मैं बालक का रूप धारण करता हूं। तुम मुझे तत्काल गोकुल में नंद के घर पहुंचा दो, जहां अभी एक कन्या ने जन्म लिया है। मेरे स्थान पर उस कन्या को कंस को सौंप दो। मेरी ही माया से कंस की जेल के सारे पहरेदार सो रहे हैं और कारागार के सारे ताले भी अपने आप खुल गए हैं। यमुना भी तुम्हें जाने का मार्ग अपने आप देगी।

वसुदेव ने भगवान की आज्ञा पाकर शिशु को छाज में रखकर अपने सिर पर उठा लिया। यमुना में प्रवेश करने पर यमुना का जल भगवान श्रीकृष्ण के चरण स्पर्श करने के लिए हिलोरें लेने लगा और जलचर भी श्रीकृष्ण के चरण स्पर्श के लिए उमड़ पड़े। गोकुल पहुंचकर वसुदेव सीधे नंद बाबा के घर पहुंचे। घर के सभी लोग उस समय गहरी नींद में सोये हुए थे पर सभी दरवाजे खुले पड़े थे। वसुदेव ने नंद की पत्नी यशोदा की बगल में सोई कन्या को उठा लिया और उसकी जगह श्रीकृष्ण को लिटा दिया। उसके बाद वसुदेव मथुरा पहुंचकर अपनी कोठरी में पहुंच गए। कोठरी में पहुंचते ही कारागार के द्वार अपने आप बंद हो गए और पहरेदारों की नींद खुल गई। कंस को कन्या के जन्म का समाचार मिला तो वह तुरन्त कारागार पहुंचा और कन्या को बालों से पकड़कर शिला पर पटककर मारने के लिए ऊपर उठाया लेकिन कन्या अचानक कंस के हाथ से छूटकर आकाश में पहुंच गई। आकाश में पहुंचकर उसने कहा, ‘‘मुझे मारने से तुझे कुछ लाभ नहीं होगा।

तेरा संहारक गोकुल में सुरक्षित है। यह सुनकर कृष्ण के मामा कंस के होश उड़ गए। वह कृष्ण को ढ़ूंढ़कर मारने के लिए तरह-तरह के उपाय करने लगा। कंस ने उन्हें मारने के लिए अनेक प्रयास किए। उसने श्रीकृष्ण का वध करने के लिए अनेक भयानक राक्षस भेजे परन्तु श्रीकृष्ण ने उन सभी का संहार कर दिया। कंस का वध करने के बाद श्रीकृष्ण ने उसके पिता उग्रसेन को राजगद्दी पर बिठाया और अपने माता-पिता वसुदेव तथा देवकी को कारागार से मुक्त कराया। तभी से भगवान श्रीकृष्ण के जनमोत्सव की स्मृति में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाने लगा। वास्तव में श्रीकृष्ण की लीलाओं को समझना पहुंचे हुए ऋषि-मुनियों और बड़े-बड़े विद्वानों के बूते से भी बाहर है। जन्माष्टमी का पर्व हमें प्रेरणा देता है कि हम अपनी बुद्धि और मन को निर्मल रखने का संकल्प लेते हुए अहंकार, ईर्ष्या और द्वेष रूपी मन के विकारों को दूर करें।

राज्‍यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button

mahjong slot

spaceman slot

https://www.saymynail.com/

slot bet 200

slot garansi kekalahan 100

rtp slot

Slot bet 100

slot 10 ribu

slot starlight princess

https://moolchandkidneyhospital.com/

situs slot777

slot starlight princes

slot thailand resmi

slot starlight princess

slot starlight princess

slot thailand

slot kamboja

slot bet 200

slot777

slot88

slot thailand

slot kamboja

slot bet 200

slot777

slot88

slot thailand

slot kamboja

slot bet 200

slot777

slot88

slot thailand

slot kamboja

slot bet 200

slot777

slot88

ceriabet

ceriabet

ceriabet

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

slot starlight princess

ibcbet

sbobet

roulette

baccarat online

sicbo