जगतगुरु परमहंस दास महराज को मुक्त किया जाये-पांडेय
लखनऊ। भगवन राम की जन्मस्थली अयोध्या की परिक्रमा क्षेत्र में मॉस और मदिरा की दुकानों को हटाने को ले कर हिन्दू महासभा के संरक्षक सदस्य जगतगुरु परमपूज्य परमहंस दास महराज द्वारा चलाए जा रहे अभियान के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार से मांग उठाई गई, जिसके चलते उन्हें आश्रम में नजरबन्द कर दिया गया जो अतिनिंदनीय है।
उक्त विचार अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के राष्ट्रिय महासचिव देवेंद्र पांडेय ने अपने जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से ब्यक्त करते हुए कहा है कि अयोध्या की परिक्रमा क्षेत्र में जहा सम्पूर्ण विश्व का सनातनी अपने आस्था को सजोये इस पवन धरा में आकर अपने जीवन को धन्य मानता है। जिस अयोध्या में गौमाता सहित सम्पूर्ण जीवों का निर्भीक जीवन हमारी संस्कृति का हिस्सा है, उसी अयोध्या में मांस और मदिरा की दुकानें हमारी धार्मिक आस्था पर बज्रपात करती हैं।
पाण्डे ने कहा है कि हिन्दू महासभा के संरक्षक सदस्य जगतगुरु परमपूज्य परमहंस दास महराज ने मात्र उत्तर प्रदेश सरकार से विनम्र निवेदन किया था कि उक्त दुकानों को वहां से हटाया जाय किन्तु उन्हें नजरबन्द करना किसी न्यायप्रिय या धार्मिक मान्यताओं का आदर करने वाले शासक का नहीं हो सकता। सरकार को चाहिए कि परमहंस दास महराज एवं करोङो तीर्थयात्रियों कि भावनाओं का आदर कर मांस एवं शराब कि दुकानों को हटाया जाय।
पांडेय ने कहा है कि यदि सरकार द्वारा परिक्रमा क्षेत्र से उक्त दुकाने नहीं हटाई गईं तथा जगतगुरु परमपूज्य परमहंस दास महराज की नजरबंदी से स्वतंत्रता बहाल नहीं किया गया तो अखिल भारतीय हिन्दू महासभा आंदोलन करने को बाध्य होगी। आगे उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवानराम कि जन्मस्थली के रक्षार्थ हिन्दू महासभा सन 1950 से निरंतर अंतिम फैसले तक मुक़दमा लड़नेवाला संगठन है। हिन्दू महासभा राजनीति नहीं बल्कि धर्म और राष्ट्रनीति के आधार पर आज भी अयोध्या के सम्मान के लिए सड़कों पर उतरने को तैयार है।
अखिल भारत हिन्दू महासभा महिला मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुश्री प्रीति राय ने जगतगुरु परमपूज्य परमहंस दास महराज को नजरबन्द करने की घटना की निंदा करते हुए कहा है कि पुरुषोत्तम श्रीराम कि जन्मस्थली एक पवित्र स्थान है जहा रामराज कि परिकल्पना चरितार्थ होती है, वहां जीव हत्या या मदिरापान न्यायोचित नहीं है। इसे सरकार को तत्काल बंद करने की पहल करनी चाहिये तथा महाराज को नजरबन्द कि प्रक्रिया से स्वतंत्र कर देना चाहिए।