श्रीराम जन्मभूमि के लिए समर्पित महंत बाबा अभिराम दास के नाम से सरयू तट स्थित निर्माणधीन वेद वेदांत शिक्षक प्रशिक्षण विद्यापीठम संस्कृत महाविद्यालय में आप्तोर्यम महा सोमयज्ञ का 6 दिवसीय आयोजन किया जा रहा है। सोमवार को संकल्प के साथ कलश स्थापना कर इसका प्रारम्भ हुआ। इस यज्ञ को पूरा करने के लिए अयोध्या, काशी, चेन्नई, विजयवाड़ा, हैदराबाद सहित 6 राज्यों से आये लगभग कुल 16 वैदिक आचार्य प्रवास कर अनुष्ठान को संपन्न कर रहे।
अनुष्ठान में शामिल वैदिक आचार्य युवराज मिश्र ने बताया कि दक्षिण भारत के गुरुजनों के नेतृत्व में स्रोत यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। इसका वर्णन भागवत महा पुराण, महाभारत, बाल्मीकि रामायण में प्रभु श्रीराम के अवतार के लिए महाराज दशरथ के द्वारा जो पुत्रयेष्ठि यज्ञ हुआ, भगवान श्रीराम के द्वारा अश्वमेघ यज्ञ हुआ था उसे ही स्रोत यज्ञ कहा गया है। यह यज्ञ उसी का प्रतिरूप है। पूज्य श्री धर्मदास की अध्यक्षता में भारत से आये प्रमुख आचार्य के संरक्षण में यह यज्ञ संपन्न हो रहा है जिसमें लगभग विभिन्न प्रांतों से 16 आचार्य इसे पूरा कर रहे हैं। जो अगले 6 दिनों तक चलेगा। बताया कि आज इस यज्ञ का अयोध्या में किए जाने का मुख्य उद्देश्य है भगवान श्री रामलला भव्य मंदिर में विराजमान हो गए है। साथ ही सर्वे भवंतु सुखिना के तहत सभी धर्म, जाति और संप्रदाय में समरसता की भावना हो और सभी सुखद अनुभव करें व सुख शांति का विस्तार हो। इसके लिए यज्ञ सरयू तट पर प्रारंभ किया गया है जहां सभी आचार्य छह दिनों तक प्रवास करते हुए अनुष्ठान को सम्पन्न कर रहे।
महंत धर्म दास ने बताया कि अयोध्या काशी सहित दक्षिण भारत के वैदिक आचार्य के द्वारा यज्ञ का आयोजन संपन्न किया जा रहा है। इस प्रकार के यज्ञ के लिए अयोध्या में अनादि काल से परंपरा रही है। त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने भी किया था। इसी क्रम में दक्षिण भारत के चंद्रशेखर याजुर ने 35 वर्ष पहले नक्षत्रष्टि यज्ञ किया था और उनकी इच्छा थी कि एक यज्ञ अयोध्या में सरयू के तट पर किया जाए जिसे पूरा किया जा रहा है।
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