SC (उच्चतम न्यायालय) ने कहा कि वह अगले सोमवार को इस सवाल पर विचार करेगा कि क्या उच्च न्यायालय रिट अधिकार के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करके एक मुस्लिम युवक की उस हिन्दू महिला से शादी को अमान्य घोषित कर सकता है, जिसने निकाह करने से पहले इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था। SC के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एoएमoखानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि केरल के मुस्लिम युवक शफीन जहां की नयी अर्जी पर नौ अक्टूबर को विचार किया जायेगा।
इस अर्जी में शफीन ने न्यायालय से अपना पहले का आदेश वापस लेने का अनुरोध किया है। जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेन्सी को यह पता लगाने के लिये कहा गया था कि क्या इस मामले में कथित ‘लव जिहाद’ का व्यापक पैमाना है। शफीन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने दलील दी कि बहुधर्मी समाज में शीर्ष अदालत (SC )को इस मामले की राष्ट्रीय जांच एजेन्सी को जांच का आदेश नहीं देना चाहिए था।
उन्होंने इस आदेश को वापस लेने के लिये दायर अर्जी पर शीघ्र सुनवाई का आग्रह किया। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘सवाल यह है कि क्या उच्च न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 226 में प्रदत्त अधिकार का इस्तेमाल करके शादी अमान्य घोषित कर सकता है।’’ केन्द्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करते हुये कहा कि इस प्रकरण में पेश हो रहे अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिन्दर सिंह व्यक्तिगत काम की वजह से बाहर गये हुये हैं।