पंचतंत्र
PanchTantra-टका नहीं तो टकटका भाग-4
पिछले अंक, PanchTantra-टका नहीं तो टकटका भाग-3 में आपने पढ़ा कि……….
देसावरी व्यापारी (Businessmen) तो परदेश में जा कर अपने माल (Goods) को दूने-तीगुने दाम पर बेचता है और वहां का माल (Goods) लाकर अपने देश जवार में कई गुने मोल पर चला देता है।
इससे आगे भाग-4 में पढ़िए….
इन सब पर विचार करने के बाद उसने परदेश में जा कर व्यापार करने का मन बनाया और माल (Goods) असवाब जुटा कर शुभ दिन,शुभ घड़ी में,बड़े बूढ़ों की आज्ञा ले कर,रथ पर सवार हो कर, मथुरा की ओर रवाना हुआ।
उसने जिन गाडिय़ों पर अपना माल (Goods) लादा था। उनमें से एक में नंदक और संजीवक नाम के दो बैल जुते हुए थे। ये दोनों उसके घर में ही पले-बढ़े थे। इसलिए इनसे उसे बहुत लगाव था। जब उनका जत्था यमुना के कछार में पहुंचा तो एक जगह कीचड़ में इस गाड़ी का पहिया धंस गया।
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