राष्ट्रीय

क्या मोदी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट कर पाएंगी ममता या अकेले ही देंगी टक्कर

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद ममता बनर्जी अब राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में पूरा दमखम लगा रही हैं। तृणमूल कांग्रेस की ओर से ममता बनर्जी को अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टक्कर की नेता के तौर पर पेश किया जा रहा है और उन्हें 2024 के चुनाव में एक विकल्प के तौर पर आगे बढ़ाया जा रहा है। ममता बनर्जी भी फिलहाल विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रही हैं।

इसके साथ ही वह विभिन्न प्रदेशों में पार्टी का विस्तार भी कर रही हैं। हाल में ही इंडिया टुडे का मूड ऑफ नेशन सर्वे आया था। सर्वे के मुताबिक देश के 17 फ़ीसदी लोगों का मानना है कि भाजपा के खिलाफ गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए ममता बनर्जी सबसे अच्छा विकल्प हैं। इसके अलावा 16 फ़ीसदी लोग अरविंद केजरीवाल के भी पक्ष में हैं। सिर्फ 11 फ़ीसदी लोगों का ही मानना है कि राहुल गांधी विपक्ष का नेतृत्व कर सकते हैं।

सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या भाजपा के खिलाफ विपक्ष को ममता बनर्जी एकजुट कर सकती हैं या फिर वह अकेले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टक्कर देंगी? ममता बनर्जी भी सीधे अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही सवाल करती हैं। ममता बनर्जी ने विपक्षी एकजुटता के लिए हाल में ही दिल्ली में कई बड़े नेताओं से मुलाकात की थी।

इसके अलावा वह देश के वरिष्ठतम नेताओं में से एक शरद पवार को भी साधने की कोशिश कर रही हैं। पिछले महीने उन्होंने मुंबई दौरे के दौरान शरद पवार के साथ-साथ शिवसेना के नेताओं से भी मुलाकात की थी। हालांकि ममता बनर्जी मुंबई में ही यूपीए के अस्तित्व पर सवाल उठते हो उठाते हुए कांग्रेस के बगैर ही एक नए गठबंधन की ओर भी इशारा कर दिया था।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने के बाद ममता बनर्जी का ग्राफ राष्ट्रीय स्तर पर काफी तेजी से बढ़ा है। लेकिन ममता बनर्जी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह भी है कि क्या वह सभी को एक साथ कर सकती हैं? इतना ही नहीं, ममता के लिए कांग्रेस को भी साथ लाना बेहद जरूरी है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ममता राहुल के नेतृत्व में आगे बढ़ेंगी या कांग्रेस ममता के नेतृत्व को स्वीकार करेगी?

इतना ही नहीं, पश्चिम बंगाल में ममता की धुर विरोधी पार्टी सीपीआई क्या उनका समर्थन करेगी? आपको यह जानना भी जरूरी है। कि ममता बनर्जी की राजनीति सीपीआई के विरोध पर ही शुरू हुई थी। लेकिन यह असंभव नहीं है। 1989 में वीपी सिंह भी विपक्ष को एकजुट करने में कामयाब हुए थे। उनके गठबंधन में लेफ्ट से लेकर भाजपा तक शामिल थी।

ममता बनर्जी प्रखंड नेता हैं। लेकिन यह बात भी सच है कि तृणमूल कांग्रेस का बंगाल के अलावा किसी अन्य राज्य में संगठन नहीं है। पार्टी की ओर से त्रिपुरा में संगठन मजबूत किया जा रहा है। लेकिन वहां लोकसभा के सिर्फ दो ही सीटें हैं। गोवा विधानसभा चुनाव में भी तृणमूल कांग्रेस पूरा दमखम लगा रही हैं। लेकिन पार्टी को वहां कुछ खास विशेष लाभ होता दिखाई नहीं दे रहा है।

कांग्रेस के खिलाफ जिस तरीके से ममता बनर्जी हमलावर है। उससे साफ यह लग रहा है कि वह कांग्रेस के बगैर ही राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ना चाहती हैं। ममता बनर्जी के रिश्ते लालू प्रसाद यादव, अखिलेश यादव, शरद पवार और अरविंद केजरीवाल से अच्छे हैं। ऐसे में यह दल ममता बनर्जी को समर्थन तो दे सकते हैं। लेकिन क्या उनके नेतृत्व को स्वीकार करेंगे यह बड़ी बात है।

 

राज्‍यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button

mahjong slot

spaceman slot

https://www.saymynail.com/

slot bet 200

slot garansi kekalahan 100

rtp slot

Slot bet 100

slot 10 ribu

slot starlight princess

https://moolchandkidneyhospital.com/

situs slot777

slot starlight princes

slot thailand resmi

slot starlight princess

slot starlight princess

slot thailand

slot kamboja

slot bet 200

slot777

slot88

slot thailand

slot kamboja

slot bet 200

slot777

slot88

slot thailand

slot kamboja

slot bet 200

slot777

slot88

slot thailand

slot kamboja

slot bet 200

slot777

slot88

ceriabet

ceriabet

ceriabet

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

klikwin88

slot starlight princess

ibcbet

sbobet

roulette

baccarat online

sicbo